- शिमला के IGMC में डॉक्टर-मरीज मारपीट मामले के विरोध में 3000 से अधिक डॉक्टरों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी है
- हड़ताल के कारण प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं लगभग ठप और नियमित ऑपरेशन टाल दिए गए हैं
- CM सुक्खू ने डॉक्टरों से ड्यूटी जॉइन करने की अपील करते हुए डॉक्टर के खिलाफ टर्मिनेशन को सही बताया है
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के आईजीएमसी में डॉक्टर-मरीज मारपीट मामले को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल रविवार को तीसरे दिन भी जारी है. यहां तीन हजार से ज्यादा डॉक्टर स्ट्रॉइक पर हैं, जिसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं. इधर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपील की है कि डॉक्टर अपना अहम छोड़कर ड्यूटी जॉइन करें.
रेजिडेंट डॉक्टर आईजीएमसी (IGMC) शिमला में मरीज से हुई मारपीट की घटना के बाद बर्खास्त किए गए डॉक्टर राघव निरुला की बहाली की मांग पर अड़े हुए हैं. इस हड़ताल के कारण प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हड़ताल के चलते कई ऑपरेशन टल गए हैं.
गौरतलब है कि डॉक्टर राघव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर शुक्रवार से ही अवकाश पर चले गए थे और शनिवार से उन्होंने पूर्ण हड़ताल शुरू कर दी. आज तीसरे दिन भी डॉक्टर स्ट्राइक कर प्रदर्शन कर रहे हैं.
डॉक्टर का मरीज को पीटना गलत, टर्मिनेशन सही- सीएम सुक्खू
वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली में सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद शिमला लौटने पर डॉक्टरों से अहम छोड़कर ड्यूटी जॉइन करने की अपील की. उन्होंने कहा कि मैंने घटना की दोबारा जांच की बात कही थी, ऐसे में डॉक्टर फिर से स्ट्राइक पर क्यों गए. सीएम ने कहा कि डॉक्टर ने जो मरीज के साथ किया वो बहुत गलत था. सरकार का डॉक्टर को नौकरी से टर्मिनेट करने का फैसला सही है. मैं सोमवार को सीनियर डॉक्टर से बात करूंगा, इसलिए डॉक्टरों से भी मेरी अपील है कि स्ट्राइक कॉल्ड ऑफ करें और कल से ड्यूटी जॉइन करें.
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डॉक्टरों का आरोप है कि जांच में दोनों पक्षों को दोषी पाया गया था, लेकिन कार्रवाई केवल डॉक्टर पर की गई, जो पूरी तरह एकतरफा है. डॉक्टरों का कहना है कि इसी मुद्दे को लेकर उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात भी की थी.
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डॉक्टरों ने कहा कि बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बावजूद टर्मिनेशन वापस नहीं लिए जाने से डॉक्टरों में असंतोष बना रहा और वे हड़ताल पर चले गए.













