धोखाधड़ी-रिश्वत मामला : जॉर्ज कुरुविला और तत्कालीन जीएम डब्ल्यूबी प्रसाद को CBI ने किया गिरफ्तार

बीईसीआईएल (ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड) के तत्कालीन चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक जॉर्ज कुरुविला और तत्कालीन महाप्रबंधक डब्ल्यूबी प्रसाद को एक बड़ी वित्तीय अनियमितता के मामले में गिरफ्तार किया है.

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नई दिल्ली:

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने बीईसीआईएल (ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड) के तत्कालीन चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक जॉर्ज कुरुविला और तत्कालीन महाप्रबंधक डब्ल्यूबी प्रसाद को एक बड़ी वित्तीय अनियमितता के मामले में गिरफ्तार किया है. इन पर मुंबई स्थित एक फर्म को 50 करोड़ रुपये का फर्जी लोन मंजूर करने और 3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है.

दोनों आरोपियों को विशेष सीबीआई अदालत, मुंबई में पेश किया गया, जहां से उन्हें 4 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया है. यह हिरासत 19 अप्रैल 2025 तक प्रभावी रहेगी. इससे पहले, सीबीआई ने इस मामले में मुम्बई की कंपनी टीजीबीएल के सीईओ और संस्थापक प्रतीक कनकिया को 24 मार्च 2025 को गिरफ्तार किया था. उन्हें पहले 1 अप्रैल 2025 तक सीबीआई हिरासत में रखा गया और इसके बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. अब, जब बीईसीआईएल के अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, तो प्रतीक कनकिया की भी दोबारा पुलिस रिमांड मांगी गई और अदालत ने 17 अप्रैल को उन्हें 3 दिन की और सीबीआई हिरासत में भेजा है.

सीबीआई ने यह मामला 3 सितंबर 2024 को दर्ज किया था, जिसमें  जॉर्ज कुरुविला, श्री डब्ल्यूबी प्रसाद, बीईसीआईएल के पूर्व विधिक सलाहकार आशिष प्रताप सिंह, पूर्व सलाहकार श सुधीर चौहान, प्रतीक कनकिया और उनकी कंपनी  टीजीबीएल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120-बी, 201, 420, 467, 468 और 471 के तहत और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया.

जांच में अब तक सामने आया है कि वर्ष 2022 में आरोपियों ने आपसी साजिश के तहत बीईसीआईएल से टीजीबीएल को 50 करोड़ रुपये का वेंचर लोन स्वीकृत करवाया और इसके एवज में प्रतीक कनकिया से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई. जांच में यह भी पता चला है कि टीजीबीएल ने 25 करोड़ रुपये की फर्जी परफॉर्मेंस बैंक गारंटी दिखाई थी और लोन के पैसे का प्रयोग निर्धारित उद्देश्यों के लिए नहीं किया गया. इसके अलावा, कंपनी ने बीईसीआईएल को यह लोन वापस भी नहीं किया.

इस घोटाले के चलते बीईसीआईएल को लगभग 58 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. सीबीआई की जांच अभी जारी है.
 

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