'बे-बुनियाद और पुरानी पटकथा...' : राहुल गांधी के 5 सवाल पर चुनाव आयोग का पलटवार

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को "बे-बुनियाद और दोहराई गई पुरानी पटकथा" बताया है.

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  • राहुल ने चुनाव आयोग पर डिजिटल वोटर लिस्ट न देने, सीसीटीवी फुटेज मिटाने और फर्जी मतदान के गंभीर आरोप लगाए हैं.
  • आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को बे-बुनियाद बताया और कहा कि मतदाता सूची में सुधार पहले ही किया जा चुका है.
  • आयोग ने बताया कि कांग्रेस ने पहले भी सुप्रीम कोर्ट में गलत दस्तावेज प्रस्तुत कर गुमराह करने की कोशिश की थी.
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नई दिल्ली:

कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और कर्नाटक में सभा कर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए 5 सवाल पूछे. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट नहीं दे रहा, सीसीटीवी फुटेज मिटाई जा रही है, फर्जी मतदान हो रहा है, विपक्षी नेताओं को धमकाया जा रहा है और आयोग भाजपा का "एजेंट" बन चुका है. अब चुनाव आयोग ने राहुल के सवालों का जवाब दिया है. 

राहुल गांधी के 5 सवाल

1. विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं मिल रही? आप क्या छिपा रहे हैं?
2. सीसीटीवी और वीडियो साक्ष्य क्यों मिटाए जा रहे हैं? किसके आदेश पर?
3. फर्जी मतदान और वोटर लिस्ट में हेरफेर क्यों हो रहा है?
4. विपक्षी नेताओं को धमकाना और डराना क्यों?
5. साफ बताइए — क्या ECI अब भाजपा का एजेंट बन गया है?

राहुल गांधी के सवालों पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया है. 

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को "बे-बुनियाद और दोहराई गई पुरानी पटकथा" बताया. आयोग ने कहा

1. साल 2018 में, कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की, एक निजी वेबसाइट से दस्तावेज प्रस्तुत करके यह दिखाने के लिए कि मतदाता सूची में गलतियां हैं, इस हद तक कि एक ही चेहरा 36 मतदाताओं के लिए दोहराया गया है. जबकि वास्तव में, ये त्रुटियां लगभग 4 महीने पहले ही ठीक कर दी गई थी और इसकी प्रति भी उस पक्ष को दे दी गई थी. इसी आधार पर मतदाता सूची को सर्चेबल पीडीएफ प्रारूप में देने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता कमलनाथ की इस याचिका को अस्वीकार कर दिया था.

2. अब, वर्ष 2025 में, यह जानते हुए कि अदालत में वही चाल दोहराई नहीं जा सकती, उन्होंने जनता को गुमराह करने की कोशिश की, यह दावा करके कि मतदाता सूची में अनियमितताएं हैं — जैसे कि एक ही नाम अलग-अलग स्थानों पर दर्ज है. वास्तव में, आदित्य श्रीवास्तव का नाम, जिसके तीन अलग-अलग राज्यों में दर्ज होने का आरोप लगाया गया था, महीनों पहले ही ठीक कर दिया गया था.

3. कमलनाथ निर्णय ने मशीन-रीडेबल दस्तावेज़ के संबंध में एक स्थायी स्थिति स्पष्ट कर दी है, और बार-बार वही मुद्दा उठाना यह दर्शाता है कि राहुल गांधी को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का कोई सम्मान नहीं है.

4. कानून, मतदाता सूची पर आपत्ति दर्ज करने और अपील करने दोनों के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया प्रदान करता है. इन कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने के बजाय, उन्होंने मीडिया में निराधार दावे करके इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने की कोशिश की. यह एक स्थापित सिद्धांत है कि यदि कानून किसी कार्य को एक विशेष तरीके से करने का निर्देश देता है, तो उसे उसी तरीके से करना चाहिए, न कि किसी और तरीके से.

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5. इसलिए, यदि राहुल गांधी अपने विश्लेषण पर विश्वास करते हैं और निर्वाचन आयोग (ECI) के विरुद्ध लगाए गए आरोपों को सही मानते हैं, तो उन्हें कानून का सम्मान करते हुए घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करना चाहिए या फिर राष्ट्र से क्षमा मांगनी चाहिए कि उन्होंने निर्वाचन आयोग के विरुद्ध निरर्थक आरोप लगाए.

राजनीतिक टकराव तेज
राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच यह जुबानी जंग चुनावी माहौल में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाना लोकतंत्र की रक्षा के लिए ज़रूरी है, जबकि आयोग का दावा है कि सभी प्रक्रियाएं पारदर्शी और कानून के मुताबिक हो रही हैं.

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