दिल्ली-एनसीआर में आंखों में जलन करने वाली स्मॉग की परत शुक्रवार को और मोटी हो गई, जिससे सूरज नारंगी रंग का नजर आने लगा और नवंबर की शुरुआत से ही खतरनाक प्रदूषण के स्तर से जूझ रहे क्षेत्र के कई स्थानों पर दृश्यता 200 मीटर तक कम हो गई. शुक्रवार को दिल्ली के प्रदूषण में 35 प्रतिशत भागिदारी 4000 से ज्यादा खेतों में लगाई गई आग ने निभाई. इसके कारण 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम 4 बजे तक 471 पर पहुंच गया. गुरुवार को यह 411 था. यह सीजन का सबसे खराब स्तर रहा.
दिल्ली में मौसम का सबसे कम तापमान, वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब'
शहर में दीवाली के बाद पिछले आठ में से छह दिनों में हवा की गुणवत्ता खराब स्तर पर दर्ज की गई है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक विश्लेषण के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में लोग हर साल 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं.
फरीदाबाद (460), गाजियाबाद (486), ग्रेटर नोएडा (478), गुरुग्राम (448) और नोएडा (488) में भी शाम चार बजे हवा की गुणवत्ता बेहद खराब दर्ज की गई. शून्य और 50 के बीच AQI "अच्छा", 51 और 100 "संतोषजनक", 101 और 200 "मध्यम", 201 और 300 "खराब", 301 और 400 "बहुत खराब" माना जाता है, और 401 और 500 "गंभीर" माना जाता है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 के नाम से जाने जाने वाले फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले महीन कणों की 24 घंटे की औसत सांद्रता आधी रात के आसपास 300 का आंकड़ा पार कर गई और शुक्रवार शाम चार बजे 381 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर पहुंच गई. यह ६० माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की सुरक्षित सीमा से छह गुना अधिक है. वहीं पीएम10 का स्तर 577 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया.
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के मुताबिक, अगर पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 48 घंटे या उससे अधिक समय तक क्रमश 300 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर बना रहता है तो हवा की गुणवत्ता आपातकालीन श्रेणी में मानी जाती है.
मौसम विभाग के आधिकारी ने बताया, इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सफदरजंग हवाई अड्डे पर दृश्यता का स्तर मध्यम कोहरे के कारण 200-500 मीटर तक गिर गया. आर्द्रता अधिक होने के कारण शुक्रवार को कोहरा घना हो गया.
दिल्ली की एयर क्वालिटी बेहद खराब, रोज बढ़ रहा प्रदूषण