राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में द्रुतगामी रेल परिवहन प्रणाली आरआरटीएस के तहत इस्तेमाल होने वाली पहली ट्रेन को एल्सटॉम इंडिया के गुजरात स्थित विनिर्माण संयंत्र में शनिवार को 'नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन' (एनसीआरटीसी) को सौंप दिया गया. एनसीआरटीसी भारत का पहला रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) विकसित कर रही है जो तेज रफ्तार वाली क्षेत्रीय यात्री परिवहन रेल प्रणाली है. इस तरह की पहली ट्रेन सराये काले खां-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस गलियारे पर चलेगी.
आधुनिक सुविधाओं से युक्त इस ट्रेन को एल्सटॉम के गुजरात के सांवली स्थित संयंत्र में एनसीआरटीसी के सुपुर्द किया गया. एल्सटॉम इंडिया ने ट्रेन की चाबियां एनसीआरटीसी को सौंपी. इस अवसर पर आवासीय एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में सचिव मनोज जोशी भी मौजूद थे. इस अवसर पर आवासीय एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि नए दौर की यह ट्रांजिट प्रणाली तेजी से होते शहरीकरण का प्रबंधन करने में भी मददगार होगी. उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस परियोजना के पहले चरण की शुरुआत अपने निर्धारित समय पर हो जाएगा.
जोशी ने कहा कि यह सराहनीय बात है कि आयात करने के बजाय सभी मेट्रो और आरआरटीएस ट्रेनों का विनिर्माण भारत में ही हुआ है. दिल्ली-मेरठ के बीच के किराये के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी यह तय नहीं किया गया है लेकिन किराया यात्रियों की सुविधा एवं राजस्व को ध्यान में रखते हुए ही तय किया जाएगा.
एनसीआरटीसी के अधिकारियों ने कहा कि ये भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेनें होंगी और इन्हें इस तरह बनाया गया है कि इनकी अधिकतम गति 180 किलोमीटर प्रति घंटा, परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटा और औसत गति 100 किमी प्रति घंटा रहेगी. बयान के मुताबिक, आरआरटीएस के तहत 17 किलोमीटक लंबा प्राथमिक खंड 2023 तक शुरू हो सकता है और पूरे गलियारे पर परिचालन 2025 तक शुरू होने की उम्मीद है.
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