अवमानना मामलाः भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनाएगा सजा 

सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2017 को माल्या को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना था क्योंकि उन्होंने संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया था.

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विजय माल्या को सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को सजा सुनाएगा. (फाइल)
नई दिल्ली:

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या (Vijay Malya) को कोर्ट की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 11 जुलाई को सजा सुनाएगा. जस्टिस यू यू ललित की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच फैसला सुनाएगी. दस मार्च को अदालत ने माल्या की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था. इससे पहले, 9 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना था क्योंकि उन्होंने संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया था. कोर्ट ने 10 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था.

दरअसल 9 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ अदालत की अवमानना और डिएगो डील से माल्या को मिले 40 मिलियन यूएस डॉलर पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था. बैंकों ने मांग की थी कि 40 मिलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील से मिले थे, उनको सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराया जाए. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माल्या से पूछा था कि आपने जो कोर्ट में अपनी सम्पतियों के बारे में जानकारी दी थी वो सही है या नहीं ? क्या आपने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं किया ? क्योंकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि माल्या बिना कोर्ट के अनुमति कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते. 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि माल्या के खिलाफ कोर्ट के आदेश को कैसे लागू किया जा सकता है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या को वापस लाने की कोशिश की जा रही है. वहीं एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माल्या पर 9200 करोड़ रुपये का बकाया है. बैकों ने कहा था कि माल्या की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए क्योंकि वह बार-बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं. विजय माल्या ने कोर्ट में कहा था कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे 9200 करोड़ रुपये बैंक के कर्ज़ को अदा कर पाएं, क्योंकि उनकी सभी सम्पत्तियों को पहले ही जब्त कर लिया गया है.

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सुनवाई के दौरान दस मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी जयदीप गुप्ता को 15 मार्च तक लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा था. माल्या के वकील अंकुर सहगल को भी लिखित दलीलें दाखिल करने का आखिरी मौका दिया गया था. सुनवाई के दौरान जस्टिस यू यू ललित ने कहा था कि संचार से हमें पता चलता है कि न्यायिक प्रकृति की कुछ गुप्त कार्यवाही चल रही है और हमें यह भी आभास है कि वह एक स्वतंत्र व्यक्ति है और किसी व्यक्ति की हिरासत में नहीं है.  

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एमिकस क्यूरी जयदीप गुप्ता ने कहा था कि वह किसी की हिरासत में नहीं है, वह एक स्वतंत्र व्यक्ति है, शायद एकमात्र कारण यह है कि कोई कार्यवाही लंबित है, जो तय करेगी कि व्यक्ति को प्रत्यर्पित किया जाना है या नहीं. उन्हांेने माल्या को लेकर कहा कि वह खबरों में रहा है, क्योंकि उसका लंदन स्थित बंगला एक बैंक द्वारा नीलाम किया जाना था और वह बैंक के साथ समझौता कर रहा था. 

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इस पर जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा कि भारत सरकार के विभाग द्वारा कार्यवाही शुरू की गई थी, जो समय-समय पर कार्यवाही कर रहा है. 

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वहीं जस्टिस एस रवींद्र भट ने पूछा था, तो आप उसका आर्थिक रूप से गला घोंटने का इरादा रखते हैं? सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को जवाब देने का आखिरी मौका दिया था और कहा था कि माल्या की अनुपस्थिति में ही सजा के मुद्दे पर आगे बढ़ने का फैसला करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि  अगर माल्या अपना पक्ष नहीं रखते हैं तो अदालत इस मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ेगी. 

वहीं दस फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को जवाब देने का आखिरी मौका दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि माल्या अदालत के निर्देशों का जवाब देने के लिए स्वतंत्र हैं. वरना माल्या की अनुपस्थिति में ही सजा के मुद्दे पर आगे बढ़ने का फैसला किया जाएगा, अगर माल्या अपना पक्ष नहीं रखते हैं तो अदालत इस मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ेगी. 

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