एक्सक्लूसिव : अरुणाचल के नजदीक चीन ने किया तीन गांवों का निर्माण, ग्रामीणों को किया स्थानांतरित

चीन की गतिविधियों पर नजर रखने वाले ब्रह्म चेलानी का कहना है कि "चीन अपने क्षेत्रीय दावों को मजूबत करने और सीमा पर घुसपैठ को बढ़ाने के लिए भारत की सीमा के पास कम्युनिस्ट पार्टी के हैन चाइनीज और तिब्बती सदस्यों को बसा रहा है."

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बुम ला पास से करीब 5 किलोमीटर दूर चीन ने बसाये कम से कम तीन गांव

नई दिल्ली:

चीन (China) ने बुम ला पास (Bum La Pass) से करीब पांच किलोमीटर दूर कम से कम तीन गावों (Villages) का निर्माण किया है, जो कि पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में भारत, चीन और भूटान के बीच त्रिकोणीय जंक्शन के करीब स्थित है. इस क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर विवाद है और यह नया निर्माण अरुणाचल प्रदेश की सीमा के साथ चीन के अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. 

चीन की गतिविधियों पर नजर रखने वाले ब्रह्म चेलानी का कहना है कि "चीन अपने क्षेत्रीय दावों को मजूबत करने और सीमा पर घुसपैठ को बढ़ाने के लिए भारत की सीमा के पास कम्युनिस्ट पार्टी के हैन चाइनीज और तिब्बती सदस्यों को बसा रहा है." जैसे चीन दक्षिण चीन सागर में मछुआरों का इस्तेमाल करता है. चीन भारतीय गश्त वाले हिमालयी क्षेत्रों में घुसपैठ करने के लिए नागरिक संसाधनों- चरवाहों और ग्रेजर (घास खाने वाले जानवरों) का उपयोग करता है. 

इस रिपोेर्ट में पेश की गई नई सैटेलाइट इमेज ऐसे समय सामने आई है जब एक हफ्ते पहले भूटानी क्षेत्र में चीनी गांवों को बसाने की तस्वीरें सामने आई थीं. यह डोकलाम (Doklam) की उस साइट से करीब सात किलोमीटर दूर है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष की स्थिति बनी थी. 

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इस रिपोर्ट में दिखाए गए गांव चीनी क्षेत्र में स्थित हैं और इनका निर्माण ऐसे समय में किया जा रहा है जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की फौजें आमने-सामने हैं. 1962 के युद्ध के बाद दोनों देश तनाव के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. भारत और चीन ने सीमा पर भारी तैनाती कर रखी है. आठ दौर की सैन्य वार्ता होने के बावजूद अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है. 

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इस रिपोर्ट में दिखाई गई तस्वीरें प्लैनेट लैब्स (Planet Labs) से हासिल की गई हैं. 17 फरवरी 2020 तक इस क्षेत्र में सिर्फ एक गांव दिख रहा है. इसमें 20 से ज्यादा संरचनाएं (घर) नजर आ रही हैं, इन्हें Chalets (आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्र में बनाए जाने वाले लकड़ी के घर) माना जा रहा है, जिसे लाल रंग की छत के जरिये आसानी से पहचाना जा सकता है. दूसरी तस्वीर, 28 नवंबर की है, जिसमें कम से कम 50 स्ट्रेक्चर के साथ तीन अतिरिक्त एन्क्लेव नजर आ रहे हैं.  एनडीटीवी इस इलाके में कम से कम एक एन्क्लेव की मौजूदगी से अवगत है. हर एन्क्लेव दूसरे अन्य एन्क्लेव से एक किलोमीटर अंदर है. सभी एन्क्लेव टार और सभी मौसम झेल सकने वाली सड़कों से जुड़े हैं.

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चीन इस क्षेत्र में सीमा की कानूनी स्थिति को चुनौती देता है और चीन के मानचित्र इस क्षेत्र के 65000 वर्ग किलोमीटर को चीन के तिब्बत क्षेत्र का हिस्सा बताते हैं. भारत दशकों से चीन के इस दावे को खारिज करता रहा है और इस बात पर जोर देता है कि 1914 शिमला समझौते में ब्रिटिश प्रशासक सर हेनरी मैकमोहन द्वारा प्रस्तावित ऐतिहासिक मैकमोहन लाइन यहां की सीमा को परिभाषित करती है. 

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