- केंद्र सरकार ने सलमान खान की फिल्म बैटल ऑफ गलवान में चीन की आलोचना को कलात्मक स्वतंत्रता का हिस्सा बताया है
- फिल्म 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प पर आधारित है
- सरकार ने स्वीकार किया कि इस झड़प में भारत के 20 सैनिक मारे गए जबकि चीन ने संख्या कम बताई है
बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की फिल्म गलवान में चीन की आलोचना को केंद्र सरकार ने 'कलात्मक स्वतंत्रता' बताया है. केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि देश में 'कलात्मक स्वतंत्रता'है और फिल्म निर्माताओं को इस स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए फिल्में बनाने का अधिकार है. सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार चीनी मीडिया ने सलमान खान अभिनीत फिल्म 'बैटल ऑफ गलवान' में "तथ्यों को विकृत" करने का दावा किया है. यह फिल्म 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प पर आधारित है. फिल्म में सलमान खान ने 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बिक्कुमल्ला संतोष बाबू की भूमिका निभाई है, जो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों से लड़ते हुए मारे गए थे.
केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि उसने भीषण आमने-सामने की लड़ाई में अपने 20 सैनिक खो दिए हैं. इसके विपरीत, बीजिंग, जिसने पहले झड़प में किसी के हताहत होने से इनकार किया था, बाद में दावा किया कि उसने चार सैनिकों को खो दिया, संख्या को गंभीर रूप से कम करके आंका.
एक सूत्र ने एनडीटीवी को बताया कि भारत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाला देश है और सिनेमाई अभिव्यक्ति इसका अभिन्न अंग है. भारतीय फिल्म निर्माता इस कलात्मक स्वतंत्रता के अनुसार फिल्में बनाने के लिए स्वतंत्र हैं. जिन लोगों को इस विशेष फिल्म पर चिंता हो सकती है, वे किसी भी स्पष्टीकरण के लिए भारत के रक्षा मंत्रालय से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं. इस फिल्म में सरकार की कोई भूमिका नहीं है.
आपको बता दें कि चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एक आर्टिकल में आरोप लगाया गया है कि फिल्म में दिखाई गई जून 2020 की झड़प की घटनाएं 'तथ्यों से मेल नहीं खातीं है.बॉलीवुड फिल्में अधिक से अधिक मनोरंजन से प्रेरित,भावनात्मक रूप से आवेशित चित्रण प्रदान करती हैं, लेकिन कोई भी सिनेमाई अतिशयोक्ति इतिहास को फिर से नहीं लिख सकती है या चीन के संप्रभु क्षेत्र की रक्षा के लिए पीएलए के दृढ़ संकल्प को हिला नहीं सकती है.
ग्लोबल टाइम्स के आर्टिकल में झूठा दावा किया गया है कि गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी पक्ष पर स्थित है. यह जून 2020 की झड़पों की जिम्मेदारी भारत पर डालता है और दावा करता है कि भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार की और लड़ाई को उकसाया.
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