सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया कि CrPC और IPC प्रावधानों में संशोधन के लिए सरकार सक्रिय तौर पर विचार विमर्श कर रही है. इसमें राजद्रोह कानून भी विचार शामिल है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र को जांच के लिए तीन महीने का और समय दिया है.
अदालत ने पिछले साल नवंबर में केंद्र को 4 महीने का समय दिया था. आज केंद्र की ओर से भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी प्रस्तुत हुए. उन्होंने कहा कि मैंने खुद सरकार को इस विशेष प्रावधान (सीआरपीसी की धारा 64) पर गौर करने की सलाह दी है. केंद्र सरकार ने इस मामले पर विचार शुरू किया है. इसका कुछ संबंध राजद्रोह कानून से भी है.
CJI ने पूछा कि राजद्रोह कानून का इससे क्या सम्बंध है? AG ने कहा इसका संबंध CrPC और कई अन्य कानूनों मे संशोधन से है. हालांकि, अटॉर्नी जनरल के आग्रह के बाद इस मामले की सुनवाई को जुलाई में तय कर दिया गया है. दरअसल, CrPC की धारा 64 के मुताबिक किसी अदालत द्वारा जारी समन को व्यक्ति के घर के किसी बालिग पुरुष सदस्य के द्वारा ही समन की तामील कराई जा सकती है, जबकि घर की कोई महिला समन स्वीकार नहीं कर सकती. इसके खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है ये प्रावधान लिंग के आधार पर भेदभाव करता है.
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