नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA पश्चिम बंगाल में भी लागू होगा : सुवेंदु अधिकारी

केंद्र की अधिसूचना से संबंधित एक सवाल पर सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से आए कुछ अल्पसंख्यक समूहों को नागरिकता देने वाली अधिसूचना द्वारा CAA को गुजरात के दो जिलों में पहले ही लागू कर दिया गया है."

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सुवेंदु अधिकारी ने कहा, CAA पश्चिम बंगाल में भी लागू होगा
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल विधानसभा के विपक्ष के नेता बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने मंगलवार को दावा किया कि देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और पश्चिम बंगाल भी इससे अछूता नहीं रहेगा. उनकी यह टिप्‍पणी केंद्र की ओर से अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले और वर्तमान में गुजरात के दो जिलों में रह रहे हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता कानून, 1955 के तहत भारतीय नागरिकता देने का फैसला किए जाने के एक दिन बाद आई है. विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) के बजाय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता देने का यह कदम महत्वपूर्ण है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, गुजरात के आनंद और मेहसाणा जिलों में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को धारा 5 के तहत भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण की अनुमति दी जाएगी या उन्हें नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 के तहत और नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार देशीयकरण का  प्रमाणपत्र दिया जाएगा. केंद्र की अधिसूचना से संबंधित एक सवाल पर सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से आए कुछ अल्पसंख्यक समूहों को नागरिकता देने वाली अधिसूचना द्वारा CAA को गुजरात के दो जिलों में पहले ही लागू कर दिया गया है." नंदीग्राम से विधायक सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "बंगाल को सीएए लागू करने की प्रक्रिया से नहीं छोड़ा जा सकता. मटुआ समुदाय के सदस्यों और नामशूद्रों जैसी अन्य पिछड़ी जातियों को जल्द ही कुछ लाभ मिलेगा. हमारे राज्य में भी CAA लागू किया जाएगा." केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री, शांतनु ठाकुर ने कहा, "मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि यदि CAA लागू होता है, तो यह मटुआ समुदाय सहित पिछड़ी जातियों के सदस्यों के लिए बहुत मददगार होगा." बता दें, बनगांव लोकसभा सीट से सांसद शांतनु ठाकुर मटुआ समुदाय से हैं.

गौरतलब है कि सीएए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का भी प्रावधान करता है. चूंकि अधिनियम के तहत नियम अब तक सरकार द्वारा नहीं बनाए गए हैं, इसलिए इसके तहत अब तक किसी को भी नागरिकता नहीं दी सकी है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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