देश भर में हुए बैंक लोन घोटालों मामले (Bank Loan Scam Cases) में सुप्रीम कोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिकारियों की भूमिका की CBI जांच की याचिका का परीक्षण करने को तैयार है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, RBI, CBI व अन्य को नोटिस जारी किया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता स्वामी ने कहा कि इसमें जनता का पैसा शामिल है, जो देश के नागरिकों अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. इस अदालत ने 1997 में इस मामले पर चर्चा की थी. यह बहुत स्पष्ट रूप से सामने लाया गया है कि लोन दिया जाना चाहिए या नहीं यह तय करने में आरबीआई के नामितों की भूमिका निभाई गई है. यहां तक कि गीतांजलि और विजय माल्या मामलों ने सीबीआई ने आरबीआई को शामिल नहीं किया है. सीबीआई या कोई भी प्राधिकारी हो, उसे उन सभी लोगों को शामिल करना चाहिए जो लो आवंटित करने की प्रक्रिया में थे. यह निदेशक मंडल के पूर्ण सदस्य हैं और यदि वे दोषी हैं तो आरबीआई के प्रतिनिधि की भी जांच की जानी चाहिए. सीबीआई से जांच न कराना कानून का उल्लंघन है.
वहीं जस्टिस बीआर गवई ने कहा, लेकिन जब तक सीबीआई किसी व्यक्ति द्वारा किसी विशिष्ट भूमिका की मांग नहीं करती, क्या उसे आरोपी बनाया जा सकता है? अन्य निदेशकों के लिए जांच का स्तर क्या है? हम विचार करेंगे
RBI के अधिकारियों द्वारा अपने आधिकारिक कार्यों के निर्वहन में की गई अवैधताओं की सीबीआई द्वारा जांच का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. यह याचिका सुब्रमण्यम स्वामी ने दायर की है. इस याचिका में स्वामी ने कुछ वर्षों हुए विभिन्न बैंकिंग सेक्टर में हुए अरबों रुपए के घोटालों में RBI अधिकारियों की भूमिका की जांच CBI से कराए जाने की मांग की है और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ समुचित कानूनी कार्रवाई की मांग की है. याचिका में कहा गया कि देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले इन घोटालों की वजह से भारत के बैंकिंग क्षेत्र में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी हुई है. इनमें भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है.
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