World Suicide Prevention Day: एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2022 में 1.75 लाख लोगों ने सुसाइड किया था. हर साल 10 सितंबर को वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे के रूप में मनाया जाता है. हम अक्सर सोचते हैं कि अगर शरीर में दर्द है, थकान है या नींद नहीं आ रही, तो जरूर कोई शारीरिक बीमारी होगी. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कई बार ये लक्षण शरीर नहीं, बल्कि मन की परेशानी का संकेत होते हैं? मानसिक तनाव, चिंता या डिप्रेशन सिर्फ मन को नहीं, शरीर को भी प्रभावित करता है. इसे ही कहते हैं साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर. एक ऐसी स्थिति जिसमें मानसिक समस्याएं शारीरिक लक्षणों के रूप में सामने आती हैं. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन, शरीर धीरे-धीरे संकेत देने लगता है कि अंदर कुछ ठीक नहीं है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ साइलेंट सिग्नल्स और एक्सपर्ट्स की राय.
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एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
साइकोलोजिस्ट डॉक्टर कामना छिब्बर बताती हैं कि आत्महत्या को समझने के लिए 2 चीजों को समझना बहुत जरूरी है. पहला नजदीकी फैक्टर्स, जिनपर हम सभी का ध्यान जाता है, यानि हाल ही में कुछ दिनों में हमने क्या देखा, क्या समझ बनी आदि-आदि. दूसरा होता है डिस्टल फैक्टर यानि जो चीजें हाल ही में नहीं हुई होंगी, बल्कि जो बहुत लंबे समय से कुछ महीने या सालों से परेशान कर रही हों.
परेशान मन के 5 छुपे हुए संकेत- (5 Hidden Signs of a Troubled Mind)
1. लगातार थकान और एनर्जी की कमी
अगर आप बिना किसी भारी काम के भी थकान महसूस करते हैं, तो यह सिर्फ शरीर की कमजोरी नहीं हो सकती. मानसिक तनाव शरीर की एनर्जी को धीरे-धीरे खत्म करता है. यह थकान दिनभर बनी रहती है और काम करने का मन नहीं करता.
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2. नींद की गड़बड़ी
तनावग्रस्त मन को चैन नहीं मिलता. ऐसे में या तो नींद आती ही नहीं है या बार-बार टूटती है. मानसिक रूप से परेशान होने पर कुछ लोग बहुत ज्यादा सोने लगते हैं, जबकि कुछ को बिल्कुल नींद नहीं आती. यह मानसिक असंतुलन का बड़ा संकेत है.
3. भूख में बदलाव
जब मन परेशान होता है, तो भूख पर भी असर पड़ता है. कुछ लोग तनाव में ज्यादा खाने लगते हैं, जबकि कुछ की भूख बिल्कुल खत्म हो जाती है. मन की तकलीफ को दिखाने का यह शरीर का एक तरीका हो सकता है.
4. शरीर में दर्द और क्रैम्प्स
साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर में अक्सर सिरदर्द, पीठ दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन या पेट दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. लेकिन, जब जांच करवाते हैं, तो कोई मेडिकल कारण नहीं मिलता. इसका मतलब है कि दर्द का कारण मानसिक है.
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5. पसीना और घबराहट
तनाव और चिंता से शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं. इससे बिना किसी वजह के पसीना आना, दिल की धड़कन तेज़ होना और सांस लेने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
क्या करें?
- अपने मन की बात किसी भरोसेमंद व्यक्ति से शेयर करें.
- योग, ध्यान और मेडिटेशन को अपने रूटीन में शामिल करें.
- जरूरत हो तो मनोचिकित्सक से सलाह लें.
- नींद, खानपान और स्क्रीन टाइम को बैलेंस रखें.
शरीर और मन का रिश्ता बहुत गहरा है. अगर शरीर कुछ कह रहा है, तो मन की सुनिए. क्योंकि, कई बार सबसे बड़ी बीमारी वो होती है, जो दिखती नहीं, बस महसूस होती है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)