क्या होता है Heart Failure? क्या इसके बाद सामान्य जीवन जिया जा सकता है, डॉक्टर ने बताया कैसे करें इसकी पहचान

Heart Failure: हार्ट की इस कंडिशन पर एनडीटीवी ने विस्तार से बात की कार्डियक एक्सपर्ट डॉ. विकास ठाकरान से, जिसमें उन्होंने हार्ट फेलियर और एक्यूट हार्ट फेलियर के साथ साथ इलाज की भी जानकारी दी.

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Heart Failure: हार्ट की इस कंडिशन पर एनडीटीवी ने विस्तार से बात की.

Heart Failure Treatment: हार्ट फेलियर क्या होता है, क्या जिनका हार्ट फेल हो जाता है उनकी जिंदगी खत्म हो जाती है? क्या हार्ट फेल के बाद जिंदा रहा जा सकता है, हार्ट फेलियर का इलाज क्या है? हार्ट फेलियर से जुड़े ऐसे तमाम सवाल हैं. जिनके जवाब जानने की जिज्ञासा सभी को होती है. हार्ट की इस कंडिशन पर एनडीटीवी ने विस्तार से बात की कार्डियक एक्सपर्ट डॉ. विकास ठाकरान (Vikas Thakran) से. डॉक्टर ने हार्ट फेलियर और एक्यूट हार्ट फेलियर के साथ साथ इलाज की भी जानकारी दी.

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सवाल: हार्ट फेलियर क्या होता है?

जवाब: हार्ट फेलियर को आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है कि जब अपना काम करने में दिल कमजोर हो गया है. जब किसी ने पहले दिल का दौरा झेल लिया हो, जिनके दिल की सारी मसल्स पूरी तरह ब्लड पंप करने में अमसर्थ हों.
सामान्य रूप से हम हार्ट फंक्शन को इस तरह देखते हैं कि दिल ने कितना ब्लड स्टोर किया और कितना ब्लड पंप किया है. इस एफिशिएंसी को 55 परसेंट माना जाता है. जब अटैक की वजह से दिल के काम करने में कमी आ जाती है, तो उसका असर दिल की एफिशियंसी पर पड़ता है. 45-55 परसेंट को माइल्ड, 35-45 परसेंट को को मॉडरेट और 35 से कम सियर माना जाता है जिसे लो रिजेक्शन फ्रैक्शन भी बोलते हैं.

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सवाल: हार्ट फेलियर का पता कैसे चलता है?

जवाब- हमारी बॉडी जितना ब्लड चाहती है, जब हार्ट उतना ब्लड पंप न कर पाए और सभी अंगों को पर्याप्त ब्लड न मिल सके तो हार्ट फेलियर की सिचुएशन आ जाती है. ऐसी सूरत में फेफड़े से लिया गया ब्लड वहीं पूल होने लगता है, क्योंकि वो शरीर में ठीक तरह से नहीं जा पाता है. फिर वो ब्लड पूल होते-होते पैरों में लिवर में सूजन का कारण बनता है. कुछ लोगों के पैरों में स्वेलिंग होती है. फेफड़ों में पानी भरता है जिसकी वजह से रात को लेट नहीं पाते, सो नहीं पाते. ये हार्ट फेलियर के लक्षण हैं.

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सवाल: एक्यूट हार्ट फेलियर क्या है, क्या इसका इलाज संभव है?

जवाब: जब किसी दिल के मरीज की सांस बहुत ज्यादा फूले, ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाए, लेट न पाएं. ये एक्यूट हार्ट फेलियर की समस्या है. ऐसी सूरत में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए. अस्पताल में मरीज को कुछ ट्रीटमेंट दिए जाते हैं. ऐसे इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे यूरिन पास हो और फेफड़ों को राहत मिले. लो बीपी होने पर बीपी बढ़ाने वाली दवाएं दी जाती हैं. अगर क्रोनिक हार्ट फेलियर डिकंपंसेट हो जाए तो ऐसे मरीज बार बार अस्पताल पहुंचते हैं. ये हार्ट फेलियर की कॉमन पेशेंट कंडिशन है, जिसके लिए काफी दवाएं आ चुकी हैं, जिनके जरिए दिल की पंपिंग एफिशियंसी सुधारी जा सकती है.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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