Kidney Disease: डायबिटिक किडनी डिजीज क्या है? कारण, लक्षण और रिस्क फैक्टर के साथ जानें इसे मैनेज करने का तरीका

Diabetic Kidney Disease: डायबिटिक किडनी डिजीज को आमतौर पर डायबिटिक नेफ्रोपैथी के नाम से भी जाना जाता है. ये डायबिटीज के लॉन्ग टर्म सीक्वेल में से एक है.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
डायबिटीज में किडनी की बीमारी वाले ज्यादातर रोगियों में बाद के चरणों तक लक्षण नहीं होते हैं.

Diabetes And Kidney Disease: डायबिटीज मेलेटस एक पुरानी बीमारी है जो तब होती है जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता. समय के साथ अनकंट्रोल डायबिटीज वाले मरीजों को दिल, आंखों, किडनी, तंत्रिकाओं और ब्लड वेसल्स सहित कई अंग प्रणालियों को गंभीर क्षति का अनुभव होता है. दुनिया भर में पिछले कुछ दशकों में डायबिटीज महामारी के अनुपात में पहुंच गया है. डायबिटिक किडनी डिजीज को आमतौर पर डायबिटिक नेफ्रोपैथी के नाम से भी जाना जाता है. ये डायबिटीज के लॉन्ग टर्म सीक्वेल में से एक है. डायबिटीज वाले 3 में से 1 से अधिक वयस्क अपने जीवनकाल में किसी न किसी रूप में डायबिटिक किडनी डिजीज से पीड़ित होते हैं.

सुबह उठकर कर लिए ये 7 काम तो गोली की स्पीड से चलने लगेगा आपका माइंड

कई सालों में हाई ब्लड शुगर धीरे-धीरे ब्लड वेसल्स के साथ किडनी के फिल्टरिंग सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है. इससे डायबिटिक क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) हो जाता है. क्रोनिक किडनी रोग आम तौर पर धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है और इसे पांच भागों में बांटा गया है जो अनुमानित ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (ईजीएफआर) पर बेस्ड हैं जो किडनी के समग्र कामकाज को दर्शाता है. अगर अनियंत्रित, क्रोनिक किडनी रोग किडनी को डैमेज करता है और कुछ रोगी लास्ट स्टेज किडनी डिजीज या क्रोनिक किडनी रोग स्टेज 5 (ESRD) तक पहुंचते हैं जहां उन्हें लाइफ सपोर्ट के लिए डायलिसिस की जरूरत होती है.

डायबिटिक किडनी डिजीज को एक साइलेंट किलर के रूप में दर्शाया जाता है क्योंकि ज्यादातर रोगियों में बाद के स्टेज तक लक्षण नहीं दिखाई देते हैं जब तक किडनी को नुकसान नहीं होता है:

Advertisement

आपकी इन 9 गलतियों की वजह से फट जाते है होंठ, जानें अपने होंठों को मुलायम रखने के लिए क्या करें

Advertisement

रिस्क फैक्टर:

क्रोनिक किडनी रोग के जोखिम कारकों में शामिल हैं:

1) लंबे समय तक अनियंत्रित शुगर और बीपी.

2) मोटापा, इनएक्टिव लाइफस्टाइल के साथ-साथ हाई कार्बोहाइड्रेट और हाई सोडियम डाइट की आदतें.

3) पुरानी दर्द निवारक दवा का सेवन और धूम्रपान

डायबिटिक किडनी डिजीज डायग्नोसिस | Diabetic Kidney Disease Diagnosis

शीघ्र निदान और उपचार रोग की प्रगति को रोक या धीमा कर सकता है और जटिलताओं की संभावना को कम कर सकता है.

Advertisement

चेहरे पर नारियल तेल लगाने से स्किन पर हो सकता है बेहद बुरा असर, इन 4 कारणों से नहीं करना चाहिए इस्तेमाल...

Advertisement

टाइप-1 डायबिटीज वाले रोगियों में किडनी डैमेज का इवेल्यूएशन डायग्नोस के 5 साल बाद शुरू होना चाहिए, लेकिन टाइप-2 डायबिटीज वाले रोगियों में किडनी की बीमारी का इवेल्यूएशन डायग्नोस के समय शुरू होना चाहिए. यह जरूरी है क्योंकि टाइप -2 डायबिटीज में लंबे समय तक पता नहीं चल पाता है और डायग्नोस के समय तक किडनी की बीमारी हो सकती है.

सबसे पहला टेस्ट जो डायबिटिक किडनी रोग का पता लगा सकता है, वह यूरीन में प्रोटीन की उपस्थिति है. सामान्य रूप से काम करने वाले किडनी यूरीन में एल्ब्यूमिन को नहीं छोड़ते हैं और यूरीन में एल्ब्यूमिन का पता लगाना किडनी की बीमारी का एक मार्कर है. यह टेस्ट तब भी असामान्य हो सकता है जब किडनी के कार्य के ब्लड मार्कर सामान्य हों. रिकमेंडेड टेस्ट "मूत्र एल्ब्यूमिन क्रिएटिनिन रेश्यो" है और इस टेस्ट का उपयोग समय के साथ डायबिटिक किडनी डिजीज के डायग्नोस और निगरानी दोनों के लिए किया जाता है. किडनी के कार्य के लिए ब्लड टेस्ट में ब्लड यूरिया, क्रिएटिनिन और इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम शामिल हैं.

अक्सर होती है अपच और सीने में जलन की दिक्कत, तो इन 7 चीजों को खाने से जल्दी पचेगा खाना

कैसे करें मैनेज:

एक बार जब रोगी को डायबिटीज किडनी डिजीज का पता चलता है, तो उसे अपने प्राथमिक चिकित्सक के साथ-साथ नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी एक्सपर्ट) के साथ नियमित रूप से जांच करनी चाहिए.

क्रोनिक किडनी रोग के बढ़ने के लक्षणों में वाटर रिटेंशन के साथ मूत्र उत्पादन में कमी, पैरों और चेहरे पर सूजन, सांस फूलना, एनीमिया और हाई बीपी रिकॉर्डिंग शामिल हैं.

डायबिटिक नेफ्रोपैथी के बढ़ने के जोखिम को कम करने के लिए ब्लड शुगर और बीपी की नियमित निगरानी और नियंत्रण किया जाना चाहिए. लाइफस्टाइल में संशोधनों में व्यायाम, पर्याप्त हाइड्रेशन, धूम्रपान न करना और कम कार्ब और नमक का सेवन जैसे डाइट मैनेजमेंट शामिल हैं. डायबिटिक किडनी डिजीज के रोगियों में दर्द निवारक दवाओं का सेवन केवल नेफ्रोलॉजिस्ट के मार्गदर्शन में ही होना चाहिए.

(डॉ. सौरभ पोखरियाल, विभागाध्यक्ष और सलाहकार - नेफ्रोलॉजी, एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल, द्वारका)

अस्वीकरण: इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. एनडीटीवी इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता, पूर्णता, उपयुक्तता या वैधता के लिए जिम्मेदार नहीं है. सभी जानकारी यथावत आधार पर प्रदान की जाती है. लेख में दिखाई देने वाली जानकारी, तथ्य या राय एनडीटीवी के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं और एनडीटीवी इसके लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व नहीं लेता है.

Featured Video Of The Day
Top Headlines of the Day: Air India पर भड़के Shivraj Singh Chouhan | Champions Trophy में IND vs PAK