एक शोध में यह बात सामने आई है कि सोशल मीडिया का उपयोग सभी टीनेजर्स में डिप्रेशन का कारण नहीं बनता. बल्कि माता-पिता का बुरा बिहेवियर और साथियों द्वारा उत्पीड़न किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है. पहले सोशल मीडिया उपयोग को टीनेजर्स और यंग एडल्ट्स में डिप्रेशन के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया था.
जर्नल ऑफ एडोलसेंस में प्रकाशित निष्कर्ष बताते हैं कि सोशल मीडिया का उपयोग सभी टीनजर्स पर एक जैसा प्रभाव नहीं डालता है. अमेरिका में ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ कारक डिप्रेशन के संबंध में सोशल मीडिया को ज्यादा रिस्की या सुरक्षात्मक बना सकते हैं. इनमें माता-पिता का खराब व्यवहार, साथियों द्वारा धमकाना, चिंता, तनाव के प्रति प्रतिक्रिया और माता-पिता द्वारा कम निगरानी शामिल है. विश्वविद्यालय से संबंधित लेखक डब्ल्यू. जस्टिन डायर ने कहा, "अगर किशोर पहले से ही असुरक्षित स्थिति में है तो सोशल मीडिया के हानिकारक होने की संभावना यहां ज्यादा हो जाती है."
सोशल मीडिया का दिन में 3 घंटे से कम उपयोग अच्छा:
डायर ने कहा, "यह बात खासतौर से तब सही है जब इसका उपयोग दिन में 3 घंटे से ज्यादा हो." इसके विपरीत सहयोगी मित्र, माता-पिता तथा सोशल मीडिया का मध्यम मात्रा में उपयोग (दिन में 3 घंटे से कम) अच्छी बात हो सकती है.
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उन्होंने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के लाभ और हानि के इंडिविजुअल अप्रोच पर जोर दिया. डायर ने कहा कि किशोरों को बहुत लाभ हो सकता है अगर उनके माता-पिता उन्हें सोशल मीडिया के प्रति जागरूक करने के साथ उनका मार्गदर्शन कर सकें. यहां मार्गदर्शन बहुत बड़ा अंतर ला सकता है.
यह अध्ययन अमेरिका में रहने वाले 488 किशोरों पर बेस्ड है, जिनका 8 सालों तक (2010 से शुरू होकर जब प्रतिभागियों की औसत आयु 13 वर्ष थी) हर साल एक बार सर्वे किया गया.
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