When to Meet Any Therapist In Any Problem: मेंटल या फिजिकल किसी भी तरह की तकलीफ होती है, तो डॉक्टर की मदद या सलाह लेना जरूरी हो जाता है. अक्सर ऐसा होता है कि किसी भी तकलीफ में खासतौर से मेंटल प्रॉब्लम होने पर बहुत से लोग डॉक्टर से कंसल्ट करने में या मिलने में कतराते हैं. वो अक्सर यही सोचते हैं कि उन्हें डॉक्टर को दिखाना चाहिए या कुछ समय वेट कर लेना चाहिए. सही सलाह मिलने में हो रही इस देरी की वजह से कई बार तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है. जिसका नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. इस वजह से ये जान लेना जरूरी है कि किसी भी तकलीफ में कब संबंधित डॉक्टर या थेरेपिस्ट से मिलने का सही समय होता है.
डॉक्टर या थेरेपिस्ट को दिखाने का सही समय | Right Time To See Doctor Or Therapist
1. मेंटल हेल्थ
दिन रात काम में व्यस्त रहते हुए आप अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाते हैं. लेकिन इस दौरान अपने स्ट्रेस से नहीं निपट पाते हैं. हो सकता है कई बार ये स्ट्रेस आप पर भारी पड़ जाती है. जब ऐसा लगे कि अपनी फीलिंग्स को मैनेज करना और प्रोसेस करना मुश्किल हो रहा है तब डॉक्टर या थेरेपिस्ट से मदद लेनी चाहिए.
स्ट्रेस बढ़ने पर आप इरिटेट हो सकते हैं, शॉर्ट टेंपर्ड भी हो सकते हैं. ऐसे समय में थेरेपिस्ट आपको स्ट्रेस मैनेजमेंट के तरीके सिखा सकता है. जिससे आप स्ट्रेस से काफी हद तक बच सकते हैं.
अगर आपको एंगर इश्यूज होने लगे हैं. आप अपनी फीलिंग्स को ठीक तरह से रेगुलेट नहीं कर पा रहे हैं. तब आप थेरेपिस्ट की मदद से एंगर मैनेजमेंट टेक्निक समझ सकते हैं. साथ ही एंजाइटी कम करने के तरीके भी समझ सकते हैं.
2. रिलेशनशिप इंप्रूवमेंट के लिए
आप बहुत समय से इस कोशिश में हैं कि आपका वजन कम हो जाए और आप फिट नजर आएं. हो सकता है इसके अलावा भी आपकी लाइफ में कोई और गोल हो, जो आप एचीव करने में आप बार बार चूक रहे हों तो थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं. ऐसे समय में मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल आपको मोटिवेशनल प्रॉब्लम्स से उभरने में मदद कर सकता है.
आप प्रोफेशनल गोल्स को पूरा करने में चूक रहे हों या फिर रिलेशनशिप गोल्स में आप पीछे रह जाते हों. तब भी आप थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं. जो आपके थिकिंग और रिलेशनशिप पैटर्न को क्लियर कर सकते हैं.
3. जरूरी कामों में पीछे रहने पर
लाइफ में कभी कभी ऐसे मौके आते हैं जब आप बड़े बदलावों से गुजरते हैं. हो सकता है आप ज़ब स्विच करने वाले हों या अपना शहर बदलने की नौबत आ गई हो. लाइफ में जब ऐसे बड़े बदलाव आते हैं तब पेरेंटिंग सपोर्ट की जरूरत महसूस होती है. या, कोई ऐसा जो आपके पास बैठ कर आपकी बातें सुन सके. ऐसे समय में आप थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं. जो आपकी बातें सुनकर आपको सही सलाह दे सकते हैं और इमोशनली स्ट्रॉन्ग बने रहने में मदद कर सकते हैं.
4. प्रोडक्टिव मैनेजमेंट
आप अपने काम को लेकर परेशान हैं. जिसका असर आपके बिहेवियर पर पड़ रहा है. साथ ही आपका इमोशनल स्टेट भी प्रभावति हो रहा है. हो सकता है आपकी भूख और नींद पर भी इसका असर पड़ रहा हो. तब आप थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं जो आपको इमोशनल कॉज को ढूंढने में हेल्पफुल हो सकता है. कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के जरिए थेरेपिस्ट आपको ऐसे हालात से उभरने में मदद कर सकता है.
5. निगेटिव थिंकिंग होने पर
आप अपने काम को लेकर बार बार निगेटिव थिंकिंग का शिकार हो रहे हैं. आपको लगता है कि जितना आपको खुश होना चाहिए या आप जितना उत्साहित रहना चाहते हैं. उतना नहीं हो पाते हैं तो आप थेरेपिस्ट की मदद से ऐसी नेगेटिविटी से उभर सकते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)