What Is Heat Stroke?: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने देश के ज्यादातर हिस्सों में तेज हीट वेव के कारण रेड अलर्ट जारी की है. हालांकि बुधवार शाम दिल्ली एनसीआर के कुछ इलाकों में बारिश होने से कुछ राहत जरूर देखने को मिली, लेकिन ये गर्म तवे पर पानी की बूंदें डालने जैसा लगता है. जैसे-जैसे गर्मियों में तापमान बढ़ता है, हीट स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है तो कंडिशन घातक होने लगती है. भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में हीट स्ट्रोक तब होता है जब शरीर का टेंपरेचर रेगुलेशन फेल हो जाता है, जिससे शरीर का तापमान 104°F (40°C) से ऊपर हो जाता है, जिससे ब्रेन, हार्ट, किडनी और मांसपेशियों को नुकसान हो सकता है. हीट स्ट्रोक के लक्षणों में शामिल हैं. शरीर का तापमान बढ़ना, ठंड लगना, गर्म या पसीने वाली त्वचा, मतली तेज सांस लेना और तेज हार्ट रेट शामिल हैं.
डिहाइड्रेशन से बचने पर रखें पूरी जोर:
गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी हो जाना एक आम समस्या है, जिसे हम डिहाइड्रेशन कहते हैं. यह समस्या गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है, इसलिए इसका समय पर समाधान बेहद जरूरी है.
निर्जलीकरण के लक्षणों में प्यास लगना, मुंह सूखना, कम पेशाब आना, गहरे रंग का पेशाब, थकान, चक्कर आना, सिरदर्द, अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. डिहाइड्रेशन से बचने के उपाय के तौर पर पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाना, फल और सब्जियों का सेवन, अल्कोहल और कैफीन से बचें, इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखें,नियमित अंतराल पर पानी पिएं.
गर्मियों में इंफेक्शन खासतौर पर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) के ज्यादा मामले देखे जाते हैं. यूटीआई के मामले गर्म महीनों में सबसे ज़्यादा होते हैं, क्योंकि गर्मी बैक्टीरिया के पनपने के लिए आइडियल वातावरण प्रदान करता है. महिलाओं में यूटीआई होने की संभावना पुरुषों की तुलना में चार गुना ज्यादा होती है. आम लक्षणों में पेशाब करते समय जलन, बार-बार पेशाब करने की इच्छा, पेशाब के दौरान दर्द, बुखार, ठंड लगना, पेशाब में खून आना, पीठ या पेट के निचले हिस्से में दर्द और पेशाब का धुंधला या तेज़ गंध वाला होना शामिल है. इन लक्षणों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि ये यूटीआई का संकेत देते हैं. यूटीआई से बचने के लिए खूब पानी पिएं.
गर्मी में पेट खराब होने का खतरा:
गर्मी का मौसम अपने साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर आता है, जिनमें से एक प्रमुख समस्या है दस्त या लूज मोशन. गर्मियों का मौसम अपने साथ कई प्रकार की समस्याएं लेकर आता है, जिनमें से एक आम समस्या है दस्त या लूज मोशन. दस्त एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को बार-बार पतला और पानी जैसा मल आता है. यह समस्या खासकर से गर्मियों में ज्यादा होती है, जब तापमान बढ़ जाता है और हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है. दस्त के कारणों में खराब पानी और भोजन, बैक्टीरिया और वायरस, अत्यधिक गर्मी, खानपान की आदतें हैं.
दस्त के लक्षणों में पेट में दर्द और मरोड़, दस्त के दौरान पेट में तेज दर्द और मरोड़ हो सकती है. बार-बार दस्त, बुखार, उल्टी और मितली, शरीर में कमजोरी हो सकती है. दस्त के उपचार की बात करें तो बचाव के उपाय के तौर पर हाइड्रेशन, साफ पानी, केवल उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिएं, साफ-सफाई, हल्का भोजन,बाहर के खाने से परहेज, पौष्टिक आहार: शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करें.अगर दस्त तीन दिनों से अधिक समय तक बना रहे या स्थिति गंभीर हो जाए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
गर्मियों में फूड प्वाइजनिंग की दिक्कत:
गर्मियों का मौसम आते ही कई स्वास्थ्य समस्याएं भी साथ आती हैं. इनमें से एक गंभीर समस्या है फूड प्वाइजनिंग. गर्मियों में तापमान बढ़ने के कारण बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीव तेजी से पनपते हैं, जिससे फूड्स आसानी से संक्रमित हो सकते हैं. फूड प्वाइजनिंग के कारण की बात करें तो गर्मियों में फूड प्वाइजनिंग के मुख्य कारणों खुले में बिकने वाले फूड्स, जैसे गली-मोहल्लों के खाने-पीने की चीजें, अक्सर संक्रमित हो सकती हैं. अशुद्ध पानी का सेवन फूड प्वाइजनिंग का एक प्रमुख कारण है. गर्मी के मौसम में हाई टेंपरेचर के कारण फूड्स जल्दी खराब हो जाते हैं, जिससे बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं.
खाना बनाने और खाने के दौरान हाथों की सही से सफाई न होने से भी संक्रमण फैल सकता है. फूड प्वाइजनिंग के लक्षण संक्रमण के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करते है. संक्रमण के शुरुआती लक्षणों में उल्टी और दस्त प्रमुख हैं. शरीर में संक्रमण होने पर बुखार आ सकता है, पेट में मरोड़ और दर्द महसूस हो सकता है. शरीर में पानी की कमी और संक्रमण के कारण थकान और कमजोरी हो सकती है. गर्मियों में फूड प्वाइजनिंग से बचने के लिए हमेशा उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं. खाना बनाने और खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं. खाने को सही तापमान पर स्टोर करें, ताकि बैक्टीरिया न पनप सकें.
गर्मियों में यूरिक एसिड बढ़ना:
गर्मियों का मौसम अपने साथ तेज धूप, गर्म हवाएं लेकर आता है. इस मौसम में सेहत पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि कई बार हमें कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसी ही एक समस्या है यूरिक एसिड का बढ़ना. यूरिक एसिड लेवल का बढ़ना कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है.
यूरिक एसिड क्या है?
यूरिक एसिड एक रासायनिक पदार्थ है जो हमारे शरीर में प्यूरिन (Purines) के टूटने से बनता है. प्यूरिन का मुख्य स्रोत हमारा खानपान होता है जैसे मीट, मछली, मटर और कुछ अन्य फूड्स में यह ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. सामान्यतः यूरिक एसिड हमारे खून में घुल जाता है और किडनी के माध्यम से बाहर निकल जाता है, लेकिन जब इसका लेवल बढ़ जाता है तो यह क्रिस्टल्स के रूप में जोड़ों में जमा हो सकता है, जिससे सूजन और दर्द होता है.
गर्मियों में यूरिक एसिड क्यों बढ़ता है?
पानी की कमी: गर्मियों में पसीने के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है. पानी की कमी से किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे यूरिक एसिड का शरीर से निष्कासन कम हो जाता है. खान-पान: गर्मियों में तला-भुना और मसालेदार खाना खाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. इसके अलावा, कुछ लोग ठंडी बीयर या शराब का सेवन भी ज्यादा करने लगते हैं, जो यूरिक एसिड लेवल को बढ़ा सकता है. गर्मियों की तपिश के कारण कई लोग शारीरिक गतिविधि को कम कर देते हैं, जिससे वजन बढ़ सकता है और मोटापा भी यूरिक एसिड बढ़ने का कारण बन सकता है.
दिल्ली एनसीआर में बारिश के बाद भी राहत नहीं:
दिल्ली एनसीआर में इस बार बरसात के आने में कुछ विलम्ब हो रहा है. हालांकि, जब बुधवार को कुछ इलाको में बरसात आई है, तो एक उम्मीद जरूर जगी है, अभी भी ये साफतौर पर कहना मुश्किल होगा कि गर्मी से राहत मिलने वाली है. अचानक मौसम बदलने से उमस बढ़ गई है. आज दिल्ली का अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रह सकता है जबकि न्यूनतम तापमान 30 डिग्री रिकॉर्ड किया जा सकता है.
मानसून की इंतजार में लोगों के मन में सवाल है कि कब तक यह तापमान बना रहेगा और मानसून कब आएगा. मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून की आगमन से पहले दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में तापमान में 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहना की संभावना है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक इस साल करीब 106 फीसदी बारिश की संभावना है. मौसम विभाग के मुताबिक इस साल मानसून 1 जून से भारत में प्रवेश कर सकता है. इसके बावजूद, लोगों को सावधान रहने की जरूरत है और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए तैयार रहना चाहिए.
मानसून के आगमन से पहले और उसके दौरान लोगों को कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए:
पहली बात यह है कि गर्मी के मौसम में भी पर्याप्त पानी पिएं और अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखें. दूसरी बात, बारिश के दौरान खुले जगहों में न रहें और ज्यादा से ज्याजा सुरक्षित जगहों पर रहें. बारिश के पानी में नहाने न जाएं और खराब या अशुद्ध पानी का सेवन न करें. दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बरसात के आगमन से पहले और उसके दौरान लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है. भारत में मानसून के दौरान डेंगू का वायरस एडेनोस मच्छर के काटने से फैलता है. इसके साथी ही चिकनगुनिया का वायरस कुछ दिनों तक बुखार और जोड़ों के दर्द का कारण बनता है जो हफ्तों या महीनों तक रह सकता है. मानसून में होने वाली बीमारियों में मलेरिया एक जानलेवा मच्छर जनित रक्त रोग है. इसके अलावा हैजा, हेपेटाइटिस ए, टाइफाइड, पीलिया आदि को लेकर सतर्क रहना चाहिए.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)