असवाद, तनाव और बैचेनी से मुक्ति पाने का असान तरीका है प्राण को बढ़ाना: गुरुदेव श्री श्री रविशंकर

How to manage Stress: जब आप ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करते हैं, तो यह भावनात्मक केंद्रों को शांत करता है और अवसाद को ठीक करने में मदद करता है. प्राचीन लोग हमेशा जप से पहले और जप के बाद ध्यान करने की सलाह देते थे.

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How to manage Stress: प्राण सभी को जीवन देने वाली जीवनदायिनी शक्ति है. सच में, हम प्राण के एक महासागर में तैर रहे हैं. मनुष्य सात से सोलह इकाई प्राण को धारण करने में सक्षम है. जब प्राण सामान्य होता है तब आप सामान्य महसूस करते हैं. जब प्राण बढ़ा हुआ होता है, आप उत्साहित महसूस करते हैं. जब प्राण बहुत अधिक होता है, आप ऊर्जा और आनंद से भरे रहते हैं.

लेकिन जब प्राण सामान्य से कम हो जाता है और लगातार कम बना रहता है, तो मन शिकायत करने लगता है, आलस्य आता है. यही अवसाद की शुरुआत है. आध्यात्मिक दृष्टि से माना जाता है कि ऊर्जा कम होने पर मन भारी हो सकता है.

सब कुछ प्राण का खेल है. इसी कारण, जब कोई अवसाद में होता है, काउंसलिंग के साथ साथ ऊर्जा बढ़ाने वाली साधनाएँ भी सहायक हो सकती हैं प्राण को बढ़ाना जरूरी होता है. जब प्राण बढ़ता है, तो आनंद, ऊर्जा और समझ अपने आप आती है.

जब कोई आपकी प्रशंसा करता है तो आपके भीतर एक फैलाव जैसा अनुभव होता है और आप खुश होते हैं. जब कोई अपमान करता है तो सिकुड़न जैसी भावना आती है. आप में जो यह फैलता और सिकुड़ता है, उसे जानना जरूरी है. मैं हमारे सूक्ष्म शरीर की बात कर रहा हूँ जो फैलता और सिकुड़ता है. सामान्य स्थिति में सूक्ष्म शरीर, स्थूल शरीर से बड़ा होता है.

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जब सूक्ष्म शरीर लगातार सिकुड़ता है और स्थूल शरीर से छोटा हो जाता है, तब ऐसा लगता है कि शरीर को संभालना मुश्किल है और उससे बाहर निकल जाना चाहते हैं. ऐसा लगता है जैसे गर्दन के चारों ओर कोई कसाव बढ़ रहा हो.

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तो इससे बाहर निकलने के लिए क्या किया जाए? इसका एक ही असली उपाय है कि प्राण को बढ़ाया जाए. व्यायाम, सात्त्विक भोजन, सुदर्शन क्रिया जो एक शक्तिशाली लयबद्ध श्वास तकनीक है, योग और ध्यान ये सब शक्तिशाली साधन हैं जो ऊर्जा बढ़ाते हैं और मन को स्थिर करते हैं. ये हमें पुनर्जीवित करते हैं और भीतर की समझ को गहरा करते हैं.

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एक और शक्तिशाली तरीका है जप. यदि आप नियमित रूप से जप करते हैं, तो आप अवसाद में नहीं जा सकते. उदाहरण के लिए, जब आप ‘ॐ नमः शिवाय' का जप करते हैं, तो यह भावनात्मक केंद्रों को शांत करता है और अवसाद को ठीक करने में मदद करता है. प्राचीन लोग हमेशा जप से पहले और जप के बाद ध्यान करने की सलाह देते थे. इस अभ्यास से ऊर्जा बढ़ती है और शरीर की हर कोशिका में चेतना का संचार होता है और आप शांत अवस्था में लौट आते हैं.

बेचैनी को जप और ध्यान साथ में करने से दूर किया जाता है. यदि आप सिर्फ जप करते हैं, तो ऊर्जा तो बनती है लेकिन कभी कभी वह बेचैनी भी ला सकती है. ध्यान के साथ जप करने पर ऊर्जा बढ़ती है और संतुलित रहती है.

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जब हम ध्यान करते हैं, तो इसका असर जीवन के हर हिस्से पर सकारात्मक रूप से पड़ता है. जैसे जैसे ऊर्जा बढ़ती है, हम स्वाभाविक रूप से रचनात्मक सोचने लगते हैं और भावनाओं और विचारों पर बेहतर नियंत्रण आता है.

21 दिसंबर, विश्व ‘ध्यान दिवस' के शुभ अवसर पर विश्व परिवार  के संग  ‘ध्यान समारोह' में विश्व विख्यात मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी  के सान्निध्य में ध्यान मग्न हों,  केवल गुरुदेव के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर जुड़ें.

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प्रकृति ने हमें जो क्षमता दी है उसे पूरी तरह जगाने के लिए नियमित ध्यान जरूरी है. तब शरीर की प्रकृति बदलने लगती है और हर कोशिका प्राण से भर जाती है. जैसे जैसे प्राण का स्तर बढ़ता है, हम अंदर से उमंग से भरने लगते हैं.

जब मन शांत, सतर्क और पूरी तरह संतुष्ट होता है, तब वह लेजर बीम की तरह शक्तिशाली और उपचार देने वाला बन जाता है. जब आप ध्यान करते हैं, अवसाद की कोई जगह नहीं रहती.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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