Explainer: कब और कैसे मिले हमें विटामिन्स, विटामिन परिवार की पूरी कहानी...

अब सवाल आता है कि व‍िटामिन डी की कमी को कैसे दूर कर सकते हैं. तो बाजार में इसके लिए बहुत से सप्‍लिमेंट्स भले ही मौजूद होने के बावजूद ये एक फ्री विटामिन है. इसके लिए आपको पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं. आपको करना बस यह है कि हर रोज आप 20 से 25 मिनट तक धूप सेकें. अगर आप रोज नहीं बैठ पाते तो हफ्ते में तीन दिन में बैठ सकते हैं. 

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जब भी सेहत से जुड़ी कोई समस्या होती है, तो सबसे पहले डॉक्टर आपके कुछ टेस्ट कराता है. डॉक्टर इस बात की जांच करना चाहता है कि कहीं आपके शरीर में किसी विटामिन की कमी (Vitamin Deficiency) तो नहीं. विटामिन्स हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं. यह शरीर के विकास में मददगार होते हैं. अक्सर विटामिन (Vitamin) की में कमी कई तरह के गंभीर रोग दे जाती है. लेकिन जरा सोचिए हमें यह कब और कैसे पता चला होगा कि विटामिन नाम की भी कोई चीज हमारे शरीर में होती है. तो चलिए आज विटामिन के इस सफर को समझते हैं.

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हमें कैसे मिले विटामिन्स | विटामिन का इतिहास

तो कहानी शुरू होती है साल 1905 से. इस साल में डॉ विलियम फ्लेचर ने पाया कि बिना पॉलिश वाले चावल खाने से बेरीबेरी को रोका जा सकता है. और चावल की भूसी में विशेष पोषक तत्व होते हैं. यह विटामिन अवधारणा का पहला संकेत था. इसके ठीक एक साल बाद 1906 में सर फ्रेडरिक गॉल और हॉपकिंस ने यह भी पाया कि कुछ खाद्य कारक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण थे. इस खोज के छह साल बाद 1912 में कासिमिर फंक ने भोजन के विशेष पोषक तत्वों को “विटामिन” नाम दिया.

हॉपकिंस और फंक ने विटामिन की कमी से होने वाली बीमारी की परिकल्पना तैयार की. यही साल इन पोषक तत्‍वों के नामकरण का साल रहा. इस साल में कासिमिर फंक नाम के एक बायोकेमिस्ट फ्रेम में आते हैं और अपने एक प्रयोग में उन्‍हें पता चलता है कि कुछ ऐसे सूक्ष्म पोषक तत्व हैं, जो हमारे शरीर को बीमारियों से बचाते हैं.

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शुरू में उन्हें लगा कि ये सभी सूक्ष्म पोषक तत्व 'अमीन' ग्रूप के हैं. इसलिए बायोकेमिस्ट ने इसे वाइटल अमाइंस नाम दिया. अब वाइटल एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका मतलब है महत्वपूर्ण या अहम और अमाइन का मतलब कार्बनिक chemistry में एक कार्यात्मक समूह यानी कि Functional Group है. अब क्‍योंकि यह शरीर के लिए भी महत्वपूर्ण है और कासिमिर फंक ने इसे अमीन ग्रुप से संबंधित माना, तो इन्‍हें नाम दिया गया वाइटल ऐमीन्स (vital-amine)... और समय के साथ साथ इसका रूप बदलते हुए छोटा होकर विटामिन्स बन गया. 

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लेकिन कुछ समय बाद यह पुष्टि हो गई कि सभी विटामिन अमीन समूह के नहीं हैं, फिर “ई” को हटा दिया गया, अब इसे विटामिन या विटामिन कहा जाने लगा. विटामिन शब्द दो शब्दों से बना है – वीटा + अमीन. यहाँ ‘वीटा' का अर्थ है जीवन और ‘अमीन' शरीर में पाया जाने वाला एक यौगिक है.

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व‍िटामिन की ABCD

हमारे आहार में मौजूद पोषक तत्‍वों में से विटामिन को चुनकर उनका नामकर विटामिन के नाम पर कर दिया गया. इसके बाद दिया गया इन्‍हें एक सेकेंड नेम भी. जो आपस में ही अलग-अलग तरह के विटामिन्स का फर्क बता पाए. इस तरह हमे मिले कुल 13 विटामिन. विटामिन A, विटामिन B1, विटामिन B2, विटामिन B3, विटामिन B5, B6, B7, B9, विटामिन 12, विटामिन C, विटामिन D, विटामिन E और विटामिन K.

बात विटामिन डी की

इतनी कहानी सुनने के बाद अब लौट कर आते हैं इन 13 विटामिन में से एक बेहद ही जरूरी विटामिन, विटामिन डी पर. तो विटामिन परिवार में विटामिन डी नौंवे नंबर पर आता है. यानी विटानिम डी से पहले और 8 विटामिन खोजे जा चुके थे. अब अगर आप सच्‍चे भारतीय हैं और आपके मन में विटामिन के पूरे खानदान के बारे में जिज्ञासा आ गई है, तो वो फिर कभी पूरी करेंगे. आज विटामिन डी पर ही रहते हैं. 

हमें कब मिला विटामिन डी 

विटामिन डी की खोज एडवर्ड मेलानबी ने 1922 में की. और 1922 से ही ये विटामिन हमारे लिस्‍ट में काफी ऊपर आ गया.विटामिन डी दो तरह का होता है विटामिन डी2- अर्गोंकैल्सिफेरॉल, वहीं विटामिन डी3- कॉलेकैल्सिफेरॉल से मिलकर बनता है. विटामिन डी हड्डियों के निर्माण और रखरखाव में मदद करता है. इसके साथ ही यह शरीर में कैल्शियम के अब्‍जॉबर्शन का काम भी करता है. इसका मतलब यह हुआ कि आप कितना ही कैल्‍शियम खाएं अगर आपमें विटामिन डी की कमी है, तो यह आपकी हड्ड‍ियों में नहीं लगेगा. हम सभी जानते हैं क‍ि व‍िटामिन डी बोन्‍स को मजबूत बनाता है. लेकिन को काम किस तरह से करता है.

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व‍िटामिन डी की कमी से क्‍या समस्‍याएं हो सकती हैं. 

विटामिन डी की कमी से मांसपेशियों में दर्द और कमज़ोरी महसूस हो सकती है. इसके अलावा यह हड्डियों में दर्द के पीछे की भी एक वजह बन सकता है. विटामिन डी की कमी से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे बड़ी उम्र के लोगों में कमजोर हड्डियां,

ओस्टीयोमलेशिया (Osteomalacia) बच्चों में रिकेट्स नामक बीमारी पाई जाती हैं. बच्चों के अंदर रिकेट्स नामक बीमारी में उनके जॉइंट चौड़े हो जाते हैं या उसमें बदलाव आ जाता है, जिसकी वजह से बच्चे खेलकूद नहीं कर पाते हैं. घरवाले सोचते हैं कि बच्चा हमेशा बिस्तर पर ही लेटा रहता है, लेकिन यह रिकेट्स के संकेत हो सकते हैं.

वहीं, बड़ी उम्र के लोगों में हड्डियां नरम पड़ने लगती हैं. ऐसे में छोटी सी चोट से भी हड्डियां टूट सकती है या फ्रैक्चर हो सकता है.

मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे विटामिन डी की कमी है?  | Symptoms And Deficiency Of Vitamin D

  • विटामिन की कमी होने पर हर वक्त थकान महसूस हो सकती है. 
  • भरपूर नींद लेने के बावजूद भी अगर आपको बहुत ज्याा नींद महसूस होती हे तो यह हो सकता है कि आप विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हों. 
  • एंग्जाइटी भी विटामिन डी की कमी के कारण हो सकती है. ऐसे में अक्सर लोग डिप्रेशन के शिकार होने लगते हैं. 
  • विटामिन डी की कमी से पीड़ित व्यक्ति को जल्दी गुस्सा आ जाता है.
  • हड्डियों और मसापेशियों में दर्द के अलावा बाल भी तेजी से झड़ने लगते हैं.

एक दिन में कितना विटामिन डी लेना चाहिए

कितने विटामिन डी की जरूरत है इस बारे में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian council of medical research) के अनुसार भारतियों के लिए RDA (Recommended Dietary Allowance) की मात्रा* उम्र के हिसाब से भी बताई है. जो इस तरह है- 

1-50 साल : 5 माइक्रोग्राम्स (200 IU)
50 साल या उससे ज्यादा : 10 माइक्रोग्राम (400 IU)
गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माँ : 5 माइक्रोग्राम (200 IU)

विटामिन डी की कमी को कैसे दूर करें 

अब सवाल आता है कि व‍िटामिन डी की कमी को कैसे दूर कर सकते हैं. तो बाजार में इसके लिए बहुत से सप्‍लिमेंट्स भले ही मौजूद होने के बावजूद ये एक फ्री विटामिन है. इसके लिए आपको पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं. आपको करना बस यह है कि हर रोज आप 20 से 25 मिनट तक धूप सेकें. अगर आप रोज नहीं बैठ पाते तो हफ्ते में तीन दिन में बैठ सकते हैं. 

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए क्या खाएं | हड्डियों की मजबूती के लिए फूड्स | Foods For Strong Bones

ऐसा आहार लें जो कैल्शियम से भरपूर हो. फाइबर यानी रेशे वाली चीजों को आहार में शामिल करने से आपका पाचन बेहतर होगा और ये हड्डियों को मजबूत बनाने में भी असरदार होता है. बेहतर मात्रा में मैग्नीशियम वाली चीजें ले जो बोन फॉर्मेशन में मददगार होती है. 

पनीर : हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम सबसे जरूरी चीज मानी जाती है. इसके लिए आप पनीर का सेवन कर सकते हैं.
अंजीर : अंजीर को ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के साथ स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी माना जाता है. इसमें कैल्शियम के साथ ही फाइबर और पोटैशियम की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है. इसके सेवन से हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है. 
दूध : हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए और कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए दूध का सेवन काफी फायदेमंद हो सकता है. आप रोजाना एक गिलास दूध का सेवन कर सकते हैं.
बादाम : बादाम भी कैल्शियम का अच्छा सोर्स है. बादाम न सिर्फ हड्डियों के लिए फायदेमंद है. बादाम में हाई कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मददगार है. 

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अब बात करते हैं इसके कुछ अन्य फूड सोर्सेज की. सच तो ये है कि विटामिन डी की पूर्ण आपूर्ति खाने से उतनी नहीं हो सकती, जितनी की धूप से होगी. फिर भी कुछ खास तरह की मछलियां और विटामिन डी से भरपूर खाद्द लेकर आप इसकी आपूर्त‍ि कर सकते हैं. 

विटामिन डी के शाकाहारी स्रोत

विटामिन्स की कमी कई तरह से खतरों की वजह बन सकती है. विटामिन डी (Vitamin D) के दो मुख्य रूप हैं, 'सनशाइन विटामिन' - विटामिन डी2 और डी3. ये प्राकृतिक रूप से कुछ पौधों में पाया जाता है जबकि इसका प्राइमरी सोर्स सूरज की रोशनी है. इसी तरह विटामिन डी2 शरीर को पौधों से मिलता है. इसके लिए आप डाइट में गाय का दूध, सोया दूध, संतरे का रस, अनाज, दलिया, मशरूम, ओट्स, बादाम, सोया मिल्क, संतरे का जूस, अनाज और धूप में उगने वाले खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं.

विटामिन डी के मांसाहारी स्रोत

विटामिन डी को मांस के सेवन से भी प्राप्त किया जा सकता है. मस्तिष्क से लेकर हड्डियों तक हमारे शरीर की हर कोशिका को विटामिन डी (Vitamin D) की जरूरत होती है. विटामिन डी आपको पशुओं से मिलता है- जैसे आप अंडा, मछली, फिश ऑयल, लीवर, टूना, सैल्मन, मैकेरल और हेरिंग सहित तैलीय मछली. 

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए विटामिन डी की पूर्ति के साथ आप योगासनों को अपना सकते हैं. यहां हैं हड्डियों की मजबूती के लिए योग आसन | Yoga Asanas For Bone Strength

अधो मुख संवासन : अधो मुख संवासन के फायदे : ये कोर को मजबूत करने के अलावा, यह आसन हड्डियों को भी मजबूत करता है, ब्लड फ्लो और पॉडी पॉश्चर में सुधार करता है.
वीरभद्रासन : यह आसन हेल्दी बोन के लिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में एस्ट्रोजन और एण्ड्रोजन प्रदान करने के लिए जिम्मेदार ग्रंथियों को कंट्रोल करता है.
वृक्षासन : यह मुद्रा संतुलन में सुधार करती है. यह आसन पैरों की मांसपेशियों को टोन करने के साथ-साथ पैरों के टेंडन और लिगामेंट्स को मजबूत बनाने में भी प्रभावी है.
उत्कटासन : यह आसन कंधे के जोड़ों में स्थिरता और मजबूती पैदा करता है. इसके अलावा यह ग्लूटस और क्वाड्स को मजबूत बनाने में भी मदद करता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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