डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों से भरी आज की बिजी लाइफस्टाइल में "रोकथाम बेहतर है" ये प्राचीन मान्यता कभी भी इतनी प्रासंगिक नहीं रही. विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) के रूप में जानी जाने वाली ये बीमारियां स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा जोखिम पैदा कर रही हैं, लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना जरूरी है और जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है.
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एनसीडी से हर साल 41 मिलियन लोगों की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एनसीडी एक बड़ी ग्लोबल हेल्थ प्रोब्लम है, जिसके कारण हर साल 41 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है, जो कुल मौतों का 74 प्रतिशत है.
सर गंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग में कंसल्टेंट डॉ. विनस तनेजा ने बताया, "हार्ट रिलेटेड, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे जैसी पुरानी बीमारियों को रोकने के लिए बैलेंस डाइट, रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी और समय पर पहचान और रोकथाम की जरूरत होती है. लाइफस्टाइल में बदलाव, स्ट्रेस मैनेजमेंट और रेगुलर हेल्थ चेकअप से लागत कम हो सकती है और लाइफ क्वालिटी में सुधार हो सकता है." डॉ. सुनील कुमार चौधरी, कंसल्टेंट - इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्ली ने कहा कि एनडीसी को “फल, सब्ज़ियां और साबुत अनाज वाली डाइट को फॉलो करके और रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी के साथ रोका जा सकता है.
उन्होंने “हेल्दी वेट बनाए रखने, तनाव को मैनेज करने और अपने शरीर की सुरक्षा को और बढ़ाने के लिए धूम्रपान और बहुत ज्यादा शराब के सेवन जैसी हानिकारक आदतों से बचने” की जरूरत पर भी जोर दिया.
बढ़ रहे मोटापे के मामले
अपोलो अस्पताल की हाल ही में ‘हेल्थ ऑफ़ द नेशन' रिपोर्ट के अनुसार, लगभग चार में से तीन भारतीय मोटे या ज्यादा वजन वाले पाए गए. इसने दिखाया कि मोटापे की घटना 2016 में 9 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 20 प्रतिशत हो गई.
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हाई ब्लड प्रेशर की गिरफ्त में लोग
हाई ब्लड प्रेशर की घटना 2016 में 9 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 13 प्रतिशत हो गई, जबकि तीन में से दो भारतीय या 66 प्रतिशत लोग प्री-हाइपरटेंसिव स्टेज में हैं. इसके अलावा, डेटा ने यह भी दिखाया कि 10 में से एक व्यक्ति को अनकंट्रोल डायबिटीज है और तीन में से एक व्यक्ति प्रीडायबिटिक है. युवा भारतीयों में कैंसर की चुनौती भी बढ़ रही है.
प्री डायबिटीज और टाइप 2 का खतरा बढ़ा
हाल ही में ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) द्वारा भारतीयों के लिए जारी किए गए डायटरी गाइडलाइन्स से पता चलता है कि 5-19 साल की आयु के 10 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे प्री-डायबिटिक हैं. WHO का अनुमान है कि मार्च 2024 तक 18 साल से ज्यादा आयु के 77 मिलियन भारतीयों को टाइप 2 डायबिटीज है और अन्य 25 मिलियन प्री-डायबिटिक हैं. आने वाले सालों में यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है.
ये हैं इन बीमारियों के बड़े कारण
अनहेल्दी लाइफस्टाइल जिसमें शुगर-सोडियम-फैटी डाइट शामिल है, साथ ही गतिहीन जीवनशैली, तंबाकू के धुएं, शराब के सेवन, बढ़ते वायु प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय कारक और बढ़ती उम्र की आबादी एनसीडी को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक हैं.
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की वरिष्ठ ईएनटी सलाहकार डॉ. कल्पना नागपाल ने बताया कि बीमारियों की रोकथाम के लिए टीके जरूरी हैं.
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एक्सपर्ट ने नियमित जांच पर भी जोर दिया क्योंकि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कुछ कैंसर जैसी कई बीमारियों के शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण नहीं दिखते. नियमित जांच से इन स्थितियों को बढ़ने से पहले पहचानने में मदद मिल सकती है, जिससे सफल उपचार की संभावना बढ़ जाती है.
“गांठ, अल्सर और कैंसर के लिए समय पर ध्यान देना भी जरूरी है. नियमित कोलोनोस्कोपी और नींद के अध्ययन की भी सिफारिश की जाती है, खासकर 40 से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए,” उन्होंने कहा.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)