Difference Between High BP and Low BP: भागदौड़ से भरी जीवनशैली और तेजी से बदलते आधुनिक रहन-सहन ने हम सबकी सेहत को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. इन सारे फैक्टर्स का हमारे ब्लड प्रेशर पर भी बुरा असर पड़ा है. ब्लड प्रेशर की बीमारी का तमाम तरह की शारीरिक दिक्कतों के अलावा दिल के दौरे से भी सीधा कनेक्शन है. शरीर में खून का सही से सर्कुलेशन नहीं हो पाने से सेहत से जुड़ी कई गंभीर समस्या हो सकती है. ब्लड प्रेशर का सामान्य से कम या ज्यादा होना दोनों ही सूरत खतरनाक है. इसके बारे में जानने से ही इसके रोकथाम की शुरुआत की जा सकती है.
हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर के बीच क्या है अंतर (Difference Between High BP and Low BP)
हमारा दिल पूरे शरीर में खून की सही सप्लाई करने का काम करता है. हार्ट के पंपिंग से शरीर के सभी अंगों तक पर्याप्त और संतुलित तरीके से खून पहुंचता है. इसके सर्कुलेशन की स्पीड में गड़बड़ी को ही ब्लड प्रेशर की दिक्कत कहा जाता है. आजकल यह दिक्कत बेहद आम होती जा रही है. ब्लड प्रेशर के धीमा होने को लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप और तेज होने को हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप कहते हैं. इन दोनों बीमारी को हाइपोटेंशन और हाइपरटेंशन भी कहते हैं. आइए, इन दोनों के बीच का अंतर, कारण, लक्षण और इनको कंट्रोल करने के तरीके बारे में जानते हैं.
हाई ब्लड प्रेशर हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप क्या है?
शरीर में खून की धमनियों के अंदरूनी दीवारों पर लगातार अधिक दबाव से दिल को पंपिंग में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. सिस्टोलिक 130 से 139 mm Hg के बीच और डायास्टोलिक 80 से 90 mm Hg के बीच की रीडिंग को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी कहते हैं. समय से इसका इलाज नहीं करवाने पर हार्ट और ब्लड वेसल्स को गंभीर नुकसान हो सकता है. इस समस्या के चलते दिल खून को सही से पंप नहीं कर पाता है और हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेलियर जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.
हाई ब्लड प्रेशर के कारण और लक्षण
उच्च रक्तचाप, हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन की समस्या खराब खानपान और लाइफस्टाइल के चलते होती है. नमक, सिगरेट, शराब, कैफीन और पेन किलर का ज्यादा सेवन के अलावा बढ़ती उम्र और मोटापा, डायबिटीज, थायराइड, किडनी की बीमारी, तनाव में रहने जैसी वजहों से भी यह समस्या हो सकती है. इसके लक्षणों में सिर के पिछले हिस्से में दर्द, चक्कर आना या बेहोश हो जाना जैसी समस्याएं शामिल हैं. खासकर सर्दियों में हाई ब्लड प्रेशर से घबराहट, अत्यधिक पसीना आना, थकान, सीने में दर्द या दबाव, सांस लेने में तकलीफ जैसे कई गंभीर लक्षण दिखते हैं.
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कब होती है लो ब्लड प्रेशर की हालत, क्या हैं कारण और लक्षण
लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन में धमनियों की दीवारों पर सामान्य से कम दबाव होता है. खून की मात्रा में कमी से ब्लड वेसल्स चौड़ी और हार्ट कमजोर हो जाती है. लो ब्लड प्रेशर की समस्या में रीडिंग सिस्टोलिक 90 mm Hg से कम और डायास्टोलिक 60 mm Hg हो जाता है. लो ब्लड प्रेशर के कारण बॉडी के सभी अंगों में सामान्य से धीमी गति से खून पंप होता है.
लो ब्लड प्रेशर का मुख्य वजह ब्लड सर्कुलेशन में इंफेक्शन, डायबिटीज, थायराइड, डिहाइड्रेशन, खून की कमी, विटामिन बी12 की कमी या किसी प्रकार की चोट लगना है. यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती है. व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है. लो ब्लड प्रेशर के लक्षणों में कमजोरी, चक्कर आना, मतली, बेहोशी, आंखे कमजोर होना, मन स्थिर न होना, ठंडी और चिपचिपी स्किन, त्वचा का पीला पड़ना, बार-बार बेहोश हो जाना शामिल है.
हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर से बचाव के उपाय
हाई ब्लड प्रेशर और लो ब्लड प्रेशर से बचाव के लिए सबसे बडा उपाय अपने खानपान में जरूरी बदलाव करना है. इसके बाद रोज पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आदत बनाना है. मोटापे को कंट्रोल करना और चिंता-तनाव से बचना भी ब्लड प्रेशर की दोनों दिक्कतों से बचने के लिए जरूरी उपाय है. सिगरेट, शराब, कैफीन, गैर जरूरी पेनकिलर वगैरह से परहेज करने के अलावा नियमित तौर पर कसरत करने से भी ब्लड प्रेशर सही रहता है. साथ ही समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच भी करवाते रहना चाहिए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)