Breast Feeding Week: शर्म कैसी, मां हैं आप, पब्लिक प्लेस में दूध पिलाना गुनाह नहीं

हाल के समय में ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़े कई तरह के मुद्दों पर खुलकर बात की गई है। इसमें पब्लिक प्लेस में दूध पिलाने को लेकर जागरूकता भी शामिल है, जिस पर कभी भी खुलकर बात नहीं की जाती. पब्लिक प्लेस में ब्रेस्ट फीडिंग कराने को लेकर कई सेलिब्रिटी भी आवाज उठा चुकी है. सवाल यह सबसे खास है कि क्‍या पब्लिक के बीच ब्रेस्ट फीडिंग कराना शर्म की बात तो नहीं?

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Breast Feeding Week 2024: हाल के समय में ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़े कई तरह के मुद्दों पर खुलकर बात की गई है. इसमें पब्लिक प्लेस में दूध पिलाने को लेकर जागरूकता भी शामिल है, जिस पर कभी भी खुलकर बात नहीं की जाती. पब्लिक प्लेस में ब्रेस्ट फीडिंग कराने को लेकर कई सेलिब्रिटी भी आवाज उठा चुकी है. सवाल यह सबसे खास है कि क्‍या पब्लिक के बीच ब्रेस्ट फीडिंग कराना शर्म की बात तो नहीं है?

हाल ही के समय की बात करें तो आज भी कई मॉम पब्लिक प्लेस में अपने बच्‍चे को दूध पिलाने से कतराती हैं. इसमें उन्‍हें शर्म महसूस होती है. इस शर्म का कारण यह समाज है, जो इस पर अपनी अलग राय रखता है.अक्‍सर लोगों का मानना होता है कि यह काम पर्दे के पीछे करना ही अच्‍छा होता है. आपको यहां बता दें कि अब बड़े से लेकर छोटे शहरों में इसके लिए जागरुकता फैलाई जा रही है. अब, शॉपिंग मॉल के अलावा रेलवे स्‍टेशन और मेट्रो में भी ये सुविधा दी जा रही है कि जहां आप अपने बच्‍चे को फीडिंग करा सकें. 

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समाज में ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए आईएएनएस ने 'मॉमप्रेन्योर सर्कल' की संस्थापक लतिका वाधवा से बात की. लतिका 7,00,000 से ज्यादा शादीशुदा महिलाओं उद्यमियों और व्यवसाय कर रही माताओं के लिए एक सहायक मंच के तौर पर काम करती हैं. 'मॉमप्रेन्योर सर्कल' संस्‍था माताओं को हर उस चीज में जागरूक करती है, जो मां और बच्‍चे के लिए फायदेमंद है.

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पब्लिक के बीच ब्रेस्ट फीडिंग को लेकर लतिका वाधवा ने कहा, ''हम भी अपने प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से ब्रेस्ट फीडिंग के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. ऐसे में डॉक्‍टरों के साथ मिलकर इस ओर काम किया जा रहा है। हम चाहते हैं कि लोग हमारे इस जागरूकता अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लें.''

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उन्‍होंने कहा कि यह बदलाव घर से ही शुरू होना बेहद जरूरी है. इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि लोगों की सोच बदली जाए. वर्तमान समय की बात करें तो यह पीढ़ी इन चीजों को लेकर बेहद ही जागरूक है. ऐसे में हमने देखा है कि महिलाओं के पार्टनर भी इसमें आगे आकर उनकी मदद कर रहे हैं. लतिका वाधवा ने आगे बताया, ''बड़े शहरों के मुकाबले आज भी छोटे शहरों में लोग इसे लेकर पूरी तरह से जागरूक नहीं हैं. ऐसे में नई माताओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में महिला को ही एक महिला के लिए आगे आकर कदम उठाने होंगे, जिससे समाज में फैली इस तरह की भ्रांतियों को मिटाया जा सके."

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उन्‍हाेंने कहा कि ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली माताओं को परिवार का साथ मिलना बेहद जरूरी है. इसे लेकर समाज में जागरुकता फैलाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा.
 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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