यहां तक कि वाज़ा की उपलब्धी पर ही इन दिनों कश्मीर में शादियों की तारीख पक्की की जा रही है। बशीर अहमद ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की शादी 15 दिन के लिए आगे बढ़ा दी, क्योंकि उनकी पसंद का शेफ कहीं और बिजी था। अहमद ने आगे बताया, “पारंपरिक वाज़ास के बच्चे दूसरे व्यवसाय में जा रहे हैं, अब वहां कुछ ही परिवार हैं, जो अभी भी अपनी रोजी-रोटी शादियों में वाज़वान पका के कमाते हैं।”
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गुलाम नबी, स्थानीय वाज़ास यूनियन के प्रेज़िडेंट हैं, जो कि आजकल एक शादी से दूसरी शादी में अपनी टीम के परीक्षण केलिए जा रहे हैं। उनकी टीम में एक दर्जन से भी ज़्यादा जूनियर शेफ हैं जिनकी वह खाना पकाने में सहायता करते हैं। नबी ने आगे बताया, “नवंबर के अंत तक वह पूरी तरह से बुक हैं। यहां तक कि उन्हें अपने कुछ पुराने कस्टमर को मना भी करना पड़ रहा है, जिन्होंने शादी की तारीख उनसे बिना कंसल्ट किए पक्की कर दी है।”
इसमें वेजिटेबल और चीज़-बेस्ड व्यंजनों के अलावा एक दर्जन से भी ज़्यादा मटन डिश हैं, जो कि वाज़वान का ही भाग हैं। शादियों की पार्टी में चार लोग एक बड़े गिलट की प्लेट के चारों ओर बैठते हैं, जो कि साफ-सफेद कपड़े ‘दस्तरखान' पर रखी होती है। इन गिलट की प्लेटों को ‘ट्रमिस' कहा जाता है।
सावधानी के साथ बने चावलों को दो बड़े चिकन के ऊपर रखा जाता है। वहीं, दो डीप-फ्राई रिब्स और तबाक माज़, दो कबाब, एक मटन का बड़ा पीस और दानी फूल, एक छोटा पीस लैंब विसरा को गाढ़ी ग्रेवी में पकाया जाता है। इस गाढ़ी ग्रेवी को मेथी माज़ कहा जाता है, जिससे ट्रामी को दोनों तरफ से गार्निश किया जाता है। इन्हें स्टार्टर की तरह परोसा जाता है, इसके बाद वाज़वान की शुरुआत होती है।
वाज़ा नए सिले सफेद कपड़े पहन कर एक के बाद एक डिश परोसते जाते हैं और हर ट्रामी में रखते जाते हैं। मसालेदार लाल ग्रेवी के साथ कटे हुए मटन बॉल्स को रोगन जोश, मिर्ची कोरमा, आब गोश्त और लहाबी कबाब के साथ परोसा जाता है। आखिर में दही और मसालों में पकी, कटे हुए मटन की बड़ी बॉल्स, जिसे गुसताबा कहते हैं, सर्व की जाती है। गुसताबा परोसने से पहले वाज़ा द्वारा औपचारिक घोषणा की जाती है कि यह दावत की आखिरी डिश है।
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दूसरी डिश जैसे- चीज़, क्विन्स एप्पल, पालक और मटन, खुबानी और शामी कबाब भी शादियों में दावत का ही भाग होते हैं। ख़ास बासमती चावलों से बना पुलाव भी गेस्ट को सर्व किया जाता है। इनमें कम से कम छह से आठ तरह की चटनी होती है, जो कि मेहमानों को वाज़वान के दौरान ही सर्व की जाती है।
इसके अलावा, मिनरल वाटर की बोतल, कोला-बेस्ड ड्रिंक भी वाज़वान का ही हिस्सा होती हैं। इन्हें विलो विकर टोकरियों में परोसा जाता है, जिसमें गिलास, नैपकिन, टिशू पेपर, च्विंग गम और वॉशिंग सोप भी होता है। वाज़वान मील के बाद, जिन्हें खत्म करने में तकरीबन एक घंटा लगता है, आखिर में आइसक्रीम, हलवा और फिरनी आदि डिजर्ट मेहमानों को सर्व किए जाते हैं। वाज़वान खाने में भले ही एक घंटा या उससे ज़्यादा लगता हो, लेकिन इसे बनाने में दस घंटे से भी ज़्यादा समय लगता है।
गुलाम नबी बताते हैं कि, “हर डिश के लिए मटन का सही साइज़ में कटना जरूरी होता है। कबाब के लिए मटन को बीट किया जाता है, और रिस्तास और गुसताब के लिए इन्हें काटा जाता है। इन्हें पकाते समय इसकी स्थिरता को ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।” यही नहीं, नबी ने बताया कि अपने बिजी कूकिंग शेड्यूल के कारण वह पिछले 15 दिनों से सोए नहीं हैं।
उन्होंने बताया, “उन्हें ख़ास क्वालिटी के मसालों जैसे केसर, मिर्च, हरी इलायची, सौंफ, नमक, इमली, हल्दी, प्याज़, दालचीनी स्टिक और पाउडर, तेजपत्ता, लौंग, काली मिर्च और जीरा आदि की जरूरत होती हैं। अगर मसाले अच्छी क्वालिटी के नहीं होंगे, तो वाज़ावान में उसका असली फ्लेवर नहीं आ पाएगा, इसलिए मसालों की क्वालिटी के साथ किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाता।”