नई दिल्ली: विटामिन-ए काफी महत्वपूर्ण तत्व होता है, जो स्वास्थ्य लाभ के साथ शरीर में फैट घोलने में मदद करता है। यह दिल, किडनी और शरीर में मौजूद बाकी अंगों को सही ढंग से काम करने में भी मदद करता है। साथ ही यह इंफेक्शन को ख़त्म कर शरीर में नई सफेद रक्त कोशिकाएं (व्हाइट बल्ड सेल्स) बनाकर त्वचा को स्वास्थ रखता है।
यह एक ऐसा तत्व होता है, जो हमारा शरीर खुद नहीं बना पाता है। लेकिन इसे बॉडी में खाने के रूप में लिया जा सकता है। फिश, दूध और मांस में विटामिन-ए मौजूद होता है। इसके अलावा यह फल और सब्जियों में प्रो-विटामिन-ए के रूप में मौजूद होता है।
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शरीर में विटामिन-ए की कमी होने का मतलब इम्यून सिस्टम में गिरावट होना, त्वचा का रुखा होना, प्रजनन (रिप्रोडक्शन) में समस्या आना और हड्डियों का विकास रुकने जैसी परेशानी पैदा हो सकती हैं। लेकिन 'ल्यूकोसाइट बायोलॉजी' दैनिक में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अगर शरीर में विटामिन की मात्रा ज़्यादा होती है, तो भी यह स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है।
इसकी ज़्यादा मात्रा शरीर से ट्रेन्ड इन्यूनिटी को भी ख़त्म करती है, जिससे इंफेक्शन पैदा होने का खतरा बढ़ सकता है। अगर शरीर में विटामिन-ए की मात्रा कम है, तो लोग इसका सप्लीमेंट ले सकते हैं, लेकिन सप्लीमेंट की मात्रा ज़्यादा ले लेने पर शरीर को नुकसान भी पहुंच सकता है।
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विटामिन-ए की मात्रा उम्र और प्रजनन (रिप्रोडक्टिव) स्थिति पर भी निर्भर करती है। इसकी ज़्यादा मात्रा लेने से चक्कर आना, उबकाई आना समेत मृत्यू तक हो सकती है। (इनपुट IANS से)