
विधानसभा चुनाव 2021
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2018 Assembly Elections All Your Questions Answered
विधानसभा चुनाव 2021 के दौरान पश्चिम बंगाल की कुल 294 सीटों पर कुल आठ चरणों में मतदान होगा. पहले चरण में 30 सीटों पर 27 मार्च को, दूसरे चरण में 30 सीटों पर 1 अप्रैल को, तीसरे चरण में 31 सीटों पर 6 अप्रैल को, चौथे चरण में 44 सीटों पर 10 अप्रैल को, पांचवें चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को, छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को तथा आठवें चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान करवाया जाएगा.
असम की कुल 126 सीटों पर कुल तीन चरणों में मतदान होगा. पहले चरण में 47 सीटों पर 27 मार्च को, दूसरे चरण में 39 सीटों पर 1 अप्रैल को तथा तीसरे चरण में 40 सीटों पर 6 अप्रैल को मतदान करवाया जाएगा.
तमिलनाडु में सभी 234 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 6 अप्रैल को मतदान करवाया जाएगा.
केरल में सभी 140 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 6 अप्रैल को मतदान करवाया जाएगा.
पुदुच्चेरी में सभी 30 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 6 अप्रैल को मतदान करवाया जाएगा.
पांचों राज्यों में मतगणना, यानी चुनाव परिणामों की घोषणा एक साथ रविवार, 2 मई, 2021 को की जाएगी.
राज्य (कुल सीटें) | मतदान चरण | मतदान तिथि | विधानसभा सीटें | मतगणना |
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पश्चिम बंगाल (294) | 1 | 27 मार्च, 2021 | 30 | 2 मई, 2021 |
2 | 1 अप्रैल, 2021 | 30 | 2 मई, 2021 | |
3 | 6 अप्रैल, 2021 | 31 | 2 मई, 2021 | |
4 | 10 अप्रैल, 2021 | 44 | 2 मई, 2021 | |
5 | 17 अप्रैल, 2021 | 45 | 2 मई, 2021 | |
6 | 22 अप्रैल, 2021 | 43 | 2 मई, 2021 | |
7 | 26 अप्रैल, 2021 | 36 | 2 मई, 2021 | |
8 | 29 अप्रैल, 2021 | 35 | 2 मई, 2021 | |
असम (126) | 1 | 27 मार्च, 2021 | 47 | 2 मई, 2021 |
2 | 1 अप्रैल, 2021 | 39 | 2 मई, 2021 | |
3 | 6 अप्रैल, 2021 | 40 | 2 मई, 2021 | |
तमिलनाडु (234) | 1 | 6 अप्रैल, 2021 | 234 | 2 मई, 2021 |
पुदुच्चेरी (30) | 1 | 6 अप्रैल, 2021 | 30 | 2 मई, 2021 |
केरल (140) | 1 | 6 अप्रैल, 2021 | 140 | 2 मई, 2021 |
चुनाव आयोग (Election Commission of India) द्वारा विधानसभा चुनाव, 2021 (Assembly Elections 2021) के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार, चार राज्यों - पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल तथा असम - एवं एक केंद्रशासित प्रदेश - पुदुच्चेरी - के कुल 824 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होगा, जिसमें कुल 18.68 करोड़ मतदाता 2.7 लाख मतदान केंद्रों पर मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे. इन चुनाव के लिए मतदान का समय भी एक घंटा बढ़ा दिया गया है.
पांच राज्यों - पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल तथा पुदुच्चेरी - में होने जा रहे विधानसभा चुनाव अपने-अपने राज्य में नई विधानसभा चुनेंगे. पश्चिम बंगाल की विधानसभा में 294 सदस्य चुनकर आते हैं. तमिलनाडु की विधानसभा में 234 सदस्य चुनकर आते हैं. केरल की विधानसभा में 140 सदस्य चुनकर आते हैं. असम की विधानसभा में 126 सदस्य चुनकर आते हैं. पुदुच्चेरी की विधानसभा में 30 सदस्य चुनकर आते हैं. चुनाव के बाद हर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी या गठबंधन के सदस्य राज्य के मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे.
आदर्श आचार संहिता वे दिशा-निर्देश हैं, जिनका पालन चुनावों को निष्पक्ष बनाए रखने के लिए प्रत्याशियों, राजनीतिक दलों और सरकारों को करना होता है. इनमें आमतौर ऐसी सरकारी घोषणाओं और मुफ्त बांटी जाने वाली सामग्री पर पाबंदियां होती हैं, जो मतदाताओं को प्रभावित कर सकती हैं.
चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है.
वोट दर्ज करने के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, यानी EVM कहते हैं. इसमें दो इकाइयां होती हैं. एक के माध्यम से वोट दर्ज कराए जाते हैं, जिसे मतदान इकाई कहते हैं, जबकि दूसरे से इसे नियंत्रित किया जाता है, जिसे कंट्रोल यूनिट कहा जाता है. नियंत्रण इकाई मतदान अधिकारी के पास होती है, वहीं मतदाता इकाई मतदान कक्ष के भीतर रखी जाती है.
वर्ष 2010 से ही निर्वाचन आयोग EVM में तीसरी इकाई VVPAT, यानी वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल को चरणबद्ध तरीके से जोड़ रहा है, जिसके ज़रिये मतदाता को एक रसीद हासिल होती है, जिससे यह पता चल जाता है कि उसका वोट सही प्रत्याशी के नाम दर्ज हुआ है या नहीं.
चुनाव आयोग का कहना है कि EVM से छेड़छाड़ संभव नहीं है और यह बिल्कुट सटीक है.
पिछले कुछ सालों में EVM पर कई बार सवाल उठाए जाते रहे हैं. ज़्यादातर मौकों पर EVM को लेकर सवाल उन्हीं पार्टियों ने उठाए हैं, जो चुनाव हार गईं (हालांकि चुनाव जीतने पर यही पार्टियां इसी तरह के सवालों को जवाब नहीं देती हैं).
चुनाव आयोग ने इस संदर्भ में लोगों के सभी संदेहों को दूर करने के लिए पिछले साल 'हैकेथॉन' का आयोजन किया था, लेकिन इसके बाद भी EVM को एक खास पक्ष में इस्तेमाल किए जाने के आरोप सामने आते रहे.
भारत में मतदाताओं की बहुत बड़ी संख्या को देखते हुए EVM को छोड़ देने की संभावना बेहद कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि मतपेटियों की तुलना में EVM में गड़बड़ियों के अवसर कम होते हैं, क्योंकि मतपेटियों को चुरा लेने, बदल दिए जाने और नष्ट कर देने की ख़बरें आम हुआ करती थीं.
EVM का पहली बार इस्तेमाल मई, 1982 में केरल के परूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में हुए उपचुनाव के दौरान 50 मतदान केंद्रों पर किया गया था. बड़े पैमाने पर EVM का पहली बार इस्तेमाल वर्ष 1998 में किया गया था. जब मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 16 विधानसभा सीटों पर EVM का इस्तेमाल किया गया. वर्ष 2004 का लोकसभा चुनाव ऐसा पहला चुनाव था, जब पूरे देश के सभी केंद्रों पर EVM का इस्तेमाल किया गया.
EVM ने मतगणना की प्रक्रिया को कहीं-कहीं तो 10 गुणा तेज़ कर दिया है. पहले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में मतपत्रों की गिनती का काम 30 से 40 घंटे तक चला करता था, लेकिन अब रुझान और परिणाम दो से तीन घंटों में ही मिल जाते हैं.
NOTA का अर्थ है - नन ऑफ द एबव, यानी इनमें से कोई नहीं. EVM पर यह मतदान का विकल्प है, जो मतदाताओं को उनके निर्वाचन क्षेत्र में हर उम्मीदवार को अस्वीकार करने की अनुमति देता है. इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अक्टूबर, 2013 में शुरू किया गया था.
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, गुजरात में 1.8 प्रतिशत NOTA वोट डाले गए, जो दूसरी सबसे बड़ी संख्या है, जबकि बिहार 2.48 फीसदी NOTA मतों के साथ शीर्ष पर रहा है.
चुनाव आयोग के अनुसार, भले ही NOTA चुनने वाले मतदाताओं की संख्या किसी भी उम्मीदवार के वोटों की संख्या से अधिक हो, जिस उम्मीदवार को सबसे ज़्यादा वोट मिलेंगे, उसे निर्वाचित घोषित करना होगा.
आप अपने निकटतम चुनाव आयोग कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं या राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल, यानी www.nvsp.in पर जा सकते हैं.
भले ही आपके पास वोटर आईडी कार्ड नहीं है, तो भी आप सरकार द्वारा जारी अधिकतर फोटो पहचानपत्रों की मदद से मतदान कर सकते हैं. इनमें शामिल हैं -
अगर आपके पास इनमें से कुछ भी नहीं है, तो आप एक वोटर आईडी कार्ड के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन, दोनों तरीकों से पंजीकरण कर सकते हैं.
ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए आपको राज्य चुनाव कार्यालय जाना होगा और फॉर्म 6 मांगना होगा. फॉर्म में ज़रूरी जानकारी भरने तथा सभी संबद्ध दस्तावेज़ देने के बाद आप उसे जमा करा देंगे, ताकि आपको उचित समयावधि के भीतर वोटर आईडी कार्ड जारी किया जा सके.
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए आपको राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल, यानी www.nvsp.in पर जाना होगा.
हां, यदि आपका नाम मतदाता सूची में है, तो आप मतदान केंद्र जाकर पहचानपत्र के रूप में आधार कार्ड दिखाकर वोट डाल सकते हैं.
हां, यदि उन्होंने किसी अन्य देश की नागरिकता हासिल नहीं की है, और वह भारत में अपने निवास स्थान पर मतदाता के रूप में पंजीकृत होने योग्य हैं.
पोस्टल बैलेट की व्यवस्था कुछ परिस्थितियों में ही मिलती है. यदि आप सेना या सरकार के लिए काम करते हैं या चुनाव की ड्यूटी के लिए अपने राज्य से बाहर तैनात हैं या आपको 'प्रिवेंटिव डिटेंशन' में रखा गया है.
चुनावी जानकारों के अनुसार 'बेलवेदर' सीटें उन्हें कहा जाता है, जो पिछले (कई) चुनावों में विजेता पार्टी के लिए वोट करती रही हों, इसलिए इन्हें 'आने वाले मौसम' की भविष्यवाणी करने वाली सीटों की उपमा दी जाती हैं. इन सीटों पर चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों तथा मतगणना के दौरान शुरुआती रुझानों से ही मज़बूत संकेत मिल जाते हैं कि चुनाव का नतीजा क्या होगा.