
Pakistan University: विदेश जाकर पढ़ाई करने का सपना रखने वाले ज्यादातर छात्र अमेरिका, यूके या ऑस्ट्रेलिया के बारे में सोचते हैं. लेकिन क्या आपने कभी पाकिस्तान को लेकर सोचा है? यहां की कई यूनिवर्सिटीज इतनी सस्ती हैं कि सुनकर यकीन करना मुश्किल हो जाए. यही वजह है कि पाकिस्तान की कुछ यूनिवर्सिटीज को QS World University Ranking में भी जगह मिली है. आइए जानते हैं पाकिस्तान की टॉप-5 यूनिवर्सिटी और उनकी फीस स्ट्रक्चर.
1. कराची यूनिवर्सिटी
1951 में बनी कराची यूनिवर्सिटी पाकिस्तान का सबसे बड़ा कैंपस है. ये 1200 एकड़ में फैला हुआ है और यहां लगभग 24 हजार छात्र पढ़ाई करते हैं. इसकी लाइब्रेरी भी मशहूर है, जहां 4 लाख से ज्यादा किताबें हैं जिनमें कुछ 17वीं सदी की भी शामिल हैं. यहां पढ़ाई की फीस करीब 1.15 लाख रुपये है और प्रोसेसिंग फीस 50 हजार से लेकर 3.5 लाख रुपये तक लगती है.
2. कायदे-आजम यूनिवर्सिटी, इस्लामाबाद
ये यूनिवर्सिटी 1967 में बनी थी और पहले इसका नाम इस्लामाबाद यूनिवर्सिटी था. बाद में इसे मोहम्मद अली जिन्ना के नाम पर कायदे-आजम यूनिवर्सिटी कहा जाने लगा. यहां इंजीनियरिंग समेत कई कोर्स मिलते हैं. इसकी फीस 26 हजार से 46 हजार रुपये तक है.
3. UET लाहौर (यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी)
1921 में बनी UET लाहौर पाकिस्तान के सबसे पुराने टेक्निकल इंस्टीट्यूशन्स में गिनी जाती है. खासकर माइनिंग इंजीनियरिंग के लिए यह जानी जाती है. QS रैंकिंग में इसका नाम ग्लोबल टॉप-700 में शामिल है. यहां पढ़ाई की फीस 7 से 9 लाख रुपये के बीच है.
4. LUMS (लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज)
1984 में बनी ये प्राइवेट यूनिवर्सिटी पाकिस्तान की सबसे महंगी यूनिवर्सिटी में से एक है. यहां सिर्फ 3500 छात्र पढ़ते हैं और करीब 200 फैकल्टी मेंबर्स हैं. इसकी सालाना फीस 4 से 6 लाख रुपये तक है जो पाकिस्तान के हिसाब से काफी ज्यादा मानी जाती है.
5. COMSATS यूनिवर्सिटी, इस्लामाबाद
यह पाकिस्तान का पहला इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट है. कंप्यूटर साइंस और IT पढ़ाई के लिए इसे बेस्ट माना जाता है. यहां एक सेमेस्टर की फीस 28 हजार से 44 हजार रुपये तक है.
भारतीय छात्रों के लिए चुनौतियां
हालांकि फीस कम है और कोर्स अच्छे हैं, लेकिन भारतीय छात्रों के लिए पाकिस्तान में पढ़ाई आसान नहीं है.
- वीज़ा प्रोसेस कॉम्प्लिकेटेड है.
- सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है.
- सांस्कृतिक अंतर के कारण एडजस्ट करना मुश्किल हो सकता है.
- दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव माहौल को और जटिल बना देता है.
- इंटरनेशनल एक्सपोज़र और प्लेसमेंट के मौके भी सीमित हैं.
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