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कैसे खीर गंगा बनी उत्तरकाशी की सबसे खतरनाक नदी? जानिए कैसे पड़ा इसका नाम, क्या है पूरी कहानी

Kheer Ganga River : खीर गंगा नदी का इतिहास काफी पुराना है. कई बार इसने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है. इसके नाम के पीछे कई लोककथाएं हैं, जो इसे खास बनाती हैं. 5 अगस्त को इस नदी ने धराली गांव में तबाही मचाई, जिसका खौफनाक मंजर देखने को मिल रहा है.

कैसे खीर गंगा बनी उत्तरकाशी की सबसे खतरनाक नदी? जानिए कैसे पड़ा इसका नाम, क्या है पूरी कहानी
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाके में नदियों का अचानक उफान और बादल फटना एक आम घटना है.

Kheer Ganga River : उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ी इलाके में बसा धराली गांव इन दिनों खौफ के साए में है. 5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के इस गांव में बादल फटने और भूस्खलन से तबाही मच गई. खीर गंगा नदी उफान पर आई और अपने रास्ते में आने वाले घर, दुकानें, होटल सब बहा ले गई. कई लोग भी इसकी चपेट (Kheer Ganga River Flood Impact in Uttarkashi 2025) में आए. इस घटना की वजह से धराली तक जाने वाला रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है. इस वजह से यहां फंसे हुए लोगों तक मदद पहुंचाना बहुत मुश्किल हो गया है. इस समय मदद पहुंचाने का एकमात्र तरीका हेलिकॉप्टर ही बचा है. इस तबाही ने पूरे इलाके (How Khier Ganga River Caused Destruction in Uttarkashi) को हिला कर रख दिया है. स्थानीय लोग इस नदी के अचानक उफान लेने से काफी डरे हुए हैं. ऐसे में आइए जानते हैं धराली में तबाही का सैलाब लेकर आई खीर गंगा नदी का इतिहास (Kheer Ganga River Origin History) और इसके नाम पड़ने की कहानी...

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धराली में अभी क्या चल रहा है - What Happening in Dharali

प्रशासन और बचाव दलों का रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. NDRF और SDRF समेत पुलिस-सेना के जवान लगातार जुटे हुए हैं, ताकि फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके. प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने का भी काम तेजी से चल रहा है. लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जा रहे हैं और उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी की जा रही है. धराली में रास्ता अभी भी बंद है, जिससे वहां की स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है. बारिश के कारण मलबा हटाने और रास्ता खोलने का काम धीरे-धीरे हो रहा है. स्थानीय लोग और प्रशासन दोनों ही इस बात से चिंतित हैं कि नदी फिर से उफान न ले, इसलिए नदी के जलस्तर पर नजर रखी जा रही है और मौसम विभाग की जानकारी को गंभीरता से लिया जा रहा है.

खीर गंगा नदी का इतिहास और उसकी ताकत -Kheer Ganga River History

खीर गंगा नदी का यह रौद्र रूप कोई नई बात नहीं है. इससे पहले 19वीं सदी की शुरुआत में इस नदी ने अपना विकराल रूप दिखाया था जिसमें बहुत कुछ तबाह हो गया. उस समय धराली में लगभग 240 मंदिर थे, जो कत्यूर शैली में बने हुए थे. ये मंदिर नदी के तेज बहाव में बह गए. इसके अलावा 2013 और 2018 में भी खीर गंगा ने उफान लिया था और धराली समेत आसपास के इलाकों को काफी नुकसान पहुंचाया था. तब भी कई घर और दुकानें बह गई थीं. इस तरह खीर गंगा नदी का उफान कई बार इलाके के लिए खतरनाक साबित हो चुका है.

खीर गंगा का नाम कैसे पड़ा -Kheer Ganga Name Story

इस नदी के नाम को लेकर कई कहानियां हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि प्राचीन काल में भगवान कार्तिकेय की एक गुफा थी, जहां से खीर बहती थी. कहा जाता है कि बाद में भगवान परशुराम ने इस खीर को पानी में बदल दिया ताकि लोग कलयुग में झगड़ा न करें. इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि इस नदी का पानी दूध जैसा सफेद होता है, इसलिए इसे 'खीर गंगा' कहा गया. माना जाता है कि इस पानी में नहाने से कई बीमारियों से आराम मिलता है. खीर गंगा नदी गंगा नदी की सहायक नदी भागीरथी से मिलती है और उसकी धारा को और मजबूत बनाती है.

खीर गंगा का धराली में असर - Kheer Ganga Impact in Dharali

उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाके में नदियों का अचानक उफान और बादल फटना एक आम घटना है, लेकिन खीर गंगा का रौद्र रूप कई बार इसे अलग करता है. धराली जैसी जगहों में इन प्राकृतिक घटनाओं का प्रभाव सीधे लोगों के जीवन पर पड़ता है. बाढ़ के समय जलस्तर तेजी से बढ़ जाता है और नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लिए ये जानलेवा साबित हो सकता है. इसी कारण प्रशासन और स्थानीय लोग हमेशा सतर्क रहते हैं, लेकिन फिर भी प्राकृतिक आपदाएं कभी-कभी बेहद तेजी से आती हैं.

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