दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की और से मनमाने ढंग से बढ़ाई जानेवाली फीस पर अंकुश लगाने के लिए कमर कस ली है. अब प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से बच्चों की फीस में बढ़ोतरी नहीं कर पाएंगे. हर निजी स्कूल को अब स्कूल स्तर पर फीस नियंत्रण समिति (SLFRC) बनानी होगी. दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इसकी जानकारी दी और कहा कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन (ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीज) एक्ट 2025 और इससे जुड़े नियमों के तहत ये फैसला लिया गया है. दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के सभी निजी स्कूलों को फीस निर्धारण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाए गए नए कानून के तहत 10 जनवरी तक स्कूल स्तरीय फीर निर्धारण समितियों का गठन करना होगा.
उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशालय ने नए कानून के तहत नियम बनाने के बाद विद्यालय स्तरीय शुल्क निर्धारण समितियों (एसएलएफएफसी) और जिला स्तरीय शुल्क अपीलीय समितियों (डीएलएफएसी) के गठन के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं. ये प्रावधान शैक्षणिक सत्र 2025-26 से विद्यालयों पर लागू होंगे.
दिशा-निर्देशों के अनुसार, हर स्कूल को 11 सदस्यीय एसएलएफएफसी (SLFFC) का गठन करना होगा, जिसमें स्कूल प्रबंधन के प्रतिनिधि, प्रधानाचार्य, शिक्षकों और अभिभावक शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि यह समिति स्कूल शुल्क से संबंधित प्रस्तावों की समीक्षा करेगी और प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी, जिसमें वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में कुछ विद्यालयों द्वारा पहले से लागू की गई शुल्क वृद्धि भी शामिल है.
25 जनवरी तक फीस का प्रस्ताव देना होगा
सूद ने कहा कि स्कूलों को 25 जनवरी तक समिति को अपने शुल्क का प्रस्ताव देना होगा. एसएलएफएफसी को 30 दिनों के भीतर निर्णय लेना होगा. यदि वह ऐसा करने में विफल रहती है, तो मामला स्वतः ही समीक्षा के लिए जिला स्तरीय शुल्क अपीलीय समिति को भेज दिया जाएगा.
मंत्री ने कहा कि नए कानून का उद्देश्य छात्रों के लिए निष्पक्षता, जवाबदेही और समान अवसर सुनिश्चित करना है, साथ ही मनमानी फीस वृद्धि को रोकना है, जो अभिभावकों में लंबे समय से चिंता का विषय रहा है.
यह फैसला अभिभावकों को बड़ी राहत देगा।
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