"टेस्ट क्रिकेट में मौका दो", पूर्व भारतीय स्टार खिलाड़ी ने उमरान मलिक को लेकर दिया बड़ा बयान

Umran Malik: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में अपनी गति से सभी को प्रभावित करने वाले उमरान पहले ही सफेद गेंद वाले क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक टीम के लिए सफेद जर्सी नहीं पहना है.

Umran Malik

Umran Malik: भारतीय टीम के रफ़्तार के सौदागर तेज़ गेंदबाज़ उमरान मलिक के टेस्ट डेब्यू का इंतज़ार उनके फैंस लगातार कर रहे हैं इस बीच टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज़ संजय मांजरेकर ने उमरान मलिक (Sanjay Manjrekar on Umran Malik Test Debut) को टेस्ट क्रिकेट में मौका देने के लिए उनकी वकालत की है. मांजरेकर ने चयनकर्ताओं से टेस्ट क्रिकेट में तेज गेंदबाज उमरान मलिक को मौका देने का आग्रह किया है. इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में अपनी गति से सभी को प्रभावित करने वाले उमरान पहले ही सफेद गेंद वाले क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक टीम के लिए सफेद जर्सी नहीं पहना है. उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए भी नहीं चुना गया है.

इस साल आईपीएल में उमरान का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, लेकिन मांजरेकर को लगता है कि उमरान अपनी गति के कारण खेल के सबसे लंबे प्रारूप में "एक्स-फैक्टर" हो सकते हैं. मांजरेकर ने उमरान और इंग्लैंड के तेज गेंदबाज मार्क वुड के बीच तुलना की, जिन्होंने पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे एशेज टेस्ट में प्रभाव डाला था. "मेरा मानना ​​है कि अगर आपको उमरान को चुनना है, तो उसे टेस्ट क्रिकेट में मौका दें.

हमने देखा था जब मार्क वुड ने आखिरी एशेज टेस्ट खेला था, एक लड़का जो 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकता है, उसकी खासियत यह है कि पुछल्ले बल्लेबाजों लंबे समय तक उसके खिलाफ नही रहे सकते. इसलिए यदि आपको उमरान मलिक को देखना है, तो सफेद गेंद वाले क्रिकेट के बजाय, यदि आपके पास एक टेस्ट श्रृंखला है जो उतनी हाई-प्रोफाइल नहीं है, तो उसे वहां तीन-चार ओवर का मौका दें. इसलिए वह मांजरेकर ने न्यूज 24 को बताया, "हमारी गेंदबाजी में एक एक्स-फैक्टर होगा."

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अपने दावे को और मजबूत करने के लिए, मांजरेकर ने यह उदाहरण भी दिया कि कैसे पाकिस्तान के तेज गेंदबाज, जिन्होंने 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी की, सीधे टेस्ट में पहुंच गए. "जब आपके पास बहुत अधिक गति होती है, तो सफेद गेंद वाले क्रिकेट में बहुत अधिक दबाव होता है, आपको बिल्कुल सटीक गेंदबाजी करनी होती है, अगर गेंद थोड़ी सी भी इधर-उधर जाती है, तो आप महंगे साबित हो सकते हैं और फिर कप्तान ऐसा जुआ नहीं खेलता है" पाकिस्तान पहले इसी तरह सोचता था, जब उनके पास युवा गेंदबाज थे जो 90 मील प्रति घंटे की गति से गेंदबाजी करते थे, तो उन्होंने सफेद गेंद वाले क्रिकेट में ज्यादा मौका नहीं देकर उन्हें सीधे टेस्ट क्रिकेट में शामिल कर लिया.