यह सही है कि पिछले दिनों टीम रोहित विश्व कप जीतने में नाकाम रही, लेकिन अब लंबे ब्रेक के बाद जब उनकी कप्तानी में दो टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने दक्षिण अफ्रीका खेलने पहुंची, तो इस दौरे को पिछले करीब तीस साल में दक्षिण अफ्रीकी धरती पर टेस्ट सीरीज जीतने का सबसे बड़ा मौका माना जा रहा था, लेकिन सेंचुरियन में खत्म हुए टेस्ट मैच में तीन दिन में ही इन उम्मीदों में पलीता लग गया. पहले टेस्ट में हार का मतलब है कि अब भारत यहां सीरीज तो जीतने नहीं ही जा रहा. पहले टेस्ट में भारत को पारी और 32 रन से हार का मुंह का देखना पड़ा. इस हार के बाद टीम इंडिया और प्रबंधन की रणनीति की चौतरफा आलोचना हो रही है. शुक्रवार को दिग्गज हरभजन सिंह ने भी आलोचना को आगे ले जाते हुए अब सेलेक्टरों को भी लपेटे में ले लिया है.
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भज्जी ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर टीम से चेतश्वर पुजार और अजिंक्य रहाणे को न चुने जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपने रहाणे को नहीं चुना और पुजारा का बिना किसी कारण बाहर कर दिया. ये वो दो बल्लेबाज हैं, जिन्होंने हर जगह रन बनाए हैं. अगर आप पिछले रिकॉर्डों पर नजर दौड़ाएंगे, तो पाएंगे कि पुजारा को योगदान भी कोहली ही जैसा है. उन्होंने कहा कि यह मेरी समझ से बाहर है कि पुजारा को क्यों बाहर किया गया है. हमारे पास अभी भी टेस्ट क्रिकेट में पुजारा से बेहतर बल्लेबाज नहीं है. यह सही है कि वह धीमा खेलते हैं, लेकिन वह आपको बचाते हैं. पुजारा के कारण ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में मैच जीते हैं.
हरभजन सिंह से पहले महान सनी गावस्कर ने भी अजिंक्य रहाणे को टीम में न लिए जाने की आलोचना की थी. सनी ने स्टार-स्पोर्ट्स पर कमेंट्री के दौरान कहा था कि लोग पिछले पांच साल से जोहानिसबर्ग की पिच के बारे में बात कर रहे हैं. मैं पहले भी वहां था. निश्चित ही, यह बल्लेबाजी के लिए सबसे आसान पिच नहीं है. यहां यदा-कदा गेंद ऊपर चढ़कर आती है. और तब शुरुआती दो टेस्ट में चुने गए रहाणे ने दिखाया कि टीम प्रबंधन ने शुरुआती मैचों में क्या गलती की थी क्योंकि भारत बड़े अंतर से नहीं हारा था. गावस्कर ने कहा था कि अब जबकि रहाणे का विदेशी पिचों पर अच्छा रिकॉर्ड रहा है, तो हो सकता है कि अगर रहाणे सेंचुरियन में होते, तो सेंचुरियन में एक अलग कहानी हो सकती थी.
हरभजन सिंह से पहले महान सनी गावस्कर ने भी अजिंक्य रहाणे को टीम में न लिए जाने की आलोचना की थी. सनी ने स्टार-स्पोर्ट्स पर कमेंट्री के दौरान कहा था कि लोग पिछले पांच साल से जोहानिसबर्ग की पिच के बारे में बात कर रहे हैं. मैं पहले भी वहां था. निश्चित ही, यह बल्लेबाजी के लिए सबसे आसान पिच नहीं है. यहां यदा-कदा गेंद ऊपर चढ़कर आती है. और तब शुरुआती दो टेस्ट में चुने गए रहाणे ने दिखाया कि टीम प्रबंधन ने शुरुआती मैचों में क्या गलती की थी क्योंकि भारत बड़े अंतर से नहीं हारा था. गावस्कर ने कहा था कि अब जबकि रहाणे का विदेशी पिचों पर अच्छा रिकॉर्ड रहा है, तो हो सकता है कि अगर रहाणे सेंचुरियन में होते, तो सेंचुरियन में एक अलग कहानी हो सकती थी.