यूपीएससी ने मूल्यांकन की प्रक्रिया सार्वजनिक करने की संसदीय समिति की सिफारिश की खारिज

यूपीएससी ने मूल्यांकन की प्रक्रिया सार्वजनिक करने की संसदीय समिति की सिफारिश की खारिज

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी)

नई दिल्ली:

सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को अंक देने की प्रक्रिया में अपनाए जाने वाले संतुलन के ब्यौरे सार्वजनिक करने से जुड़ी संसदीय समिति की सिफारिश को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और सरकार दोनों ने नामंजूर कर दिया है।

यूपीएससी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) सहित अन्य के लिए अधिकारियों के चयन की खातिर हर साल तीन चरणों - प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार - में सिविल सेवा परीक्षा लेती है।

कार्मिक, जन शिकायत, कानून एवं न्याय से जुड़ी विभाग संबंधित संसद की स्थायी समिति ने हाल में संसद में पेश की गयी अपनी रिपोर्ट में इच्छा जतायी थी कि क्या यूपीएससी मूल्यांकन के संतुलन के ब्यौरे सार्वजनिक कर सकता है ताकि आयोग की निष्पक्षता पर सवाल ना हो और पारदर्शिता का वांछित स्तर बना रहे।

यूपीएससी ने अपने जवाब में कहा कि अंकन प्रणाली में संतुलन होता है जो आयोग की मूल्यांकन प्रक्रिया का एक अभिन्न हिस्सा है। इसे गोपनीय रखा जाता है।

रिपोर्ट में यूपीएससी के जवाब का उल्लेख करते हुए कहा गया, ‘‘समय के साथ संतुलन के तौर तरीके में बदलाव हुआ है और यह एक तर्कसंगत मापदंड है जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है। आयोग योग्यता आधारित भर्ती करता है और परीक्षाओं एवं चयन प्रक्रियाओं में ईमानदारी एवं निष्पक्षता के सर्वोच्च मानकों का पालन किया जाता है।

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उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आयोग अपनी आतंरिक मूल्यांकन प्रक्रियाओं से जुड़ी इस तरह की गोपनीय सूचना सार्वजनिक करने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करता क्योंकि इससे कानूनी मामले बन सकते हैं जिनसे परीक्षा की गोपनीयता एवं ईमानदारी प्रभावित हो सकती है।’’ यूपीएससी के लिए नोडल प्राधिकरण कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) आयोग द्वारा समिति को दिए जवाब से सहमत हो गया।