फाइनल ईयर एग्जाम (Final Year Exam 2020) कैंसिल करने की मांग लगातार जोर पकड़ती जा रही है. छात्र यूजीसी (UGC) से एग्जाम रद्द करने की मांग कर रहे हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD Ministry) से भी एग्जाम रद्द करने की मांग की जा चुकी है. सोशल मीडिया पर स्टूडेंट्स लगातार फाइनल ईयर की परीक्षा का विरोध करते आ रहे हैं. लेकिन अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. दरअसल, 31 छात्रों के एक ग्रुप ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के सितंबर के अंत तक फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित कराने के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है. इस मामले पर सुनवाई 27 जुलाई को होगी.
बता दें कि देश भर के छात्रों समेत कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार और मेघालय के छात्रों ने 6 जुलाई को जारी यूजीसी नोटिस को रद्द करने की मांग की है, जिसमें आयोग ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को अनिवार्य रूप से आयोजित करने के लिए कहा है.
गाइडलाइन्स में कहा गया है कि फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स के एग्जाम ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों तरीकों से आयोजित किए जा सकते हैं. यूजीसी की संशोधित गाइडलाइन्स में ये भी बताया गया है कि बैक-लॉग वाले छात्रों को परीक्षाएं अनिवार्य रूप से देनी होंगी.
वहीं, हाल ही में UGC ने बताया कि 603 विश्वविद्यालय अंतिम वर्ष की परीक्षा "पहले ही आयोजित कर चुके हैं" या फिर "आयोजित करने की योजना बना रहे हैं." यूजीसी ने कहा कि 209 विश्वविद्यालयों ने अब तक परीक्षाएं आयोजित कर ली हैं और 394 अगस्त या सितंबर तक परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. हालांकि, यूजीसी ने इंटरमीडिएट स्टूडेंट्स के एग्जाम रद्द कर दिए हैं.
नेता भी कर रहे हैं एग्जाम रद्द करने की मांग
यूजीसी की ये गाइडलाइन्स आने के बाद से लगातार इसका विरोध किया जा रहा है. छात्रों से लेकर नेताओं तक यूजीसी (UGC) के फैसले का विरोध कर रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर एग्जाम रद्द करने की मांग कर चुके हैं. साथ ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी एग्जाम का विरोध किया है.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं. शिवसेना की यूथ विंग युवा सेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर एग्जाम कराने के फैसले को चुनौती दी है. आदित्य ठाकरे ने कहा है कि कोरोना एक राष्ट्रीय आपदा है, इसे देखते हुए यूजीसी को फाइनल ईयर के एग्जाम स्थगित कर देने चाहिए.
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