इस बार AIIMS की परीक्षा में टॉप थ्री रैंक्स पर लड़कियों ने कब्ज़ा किया है.
नई दिल्ली:
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) ने एमबीबीएस एंट्रेस परीक्षा के नतीजे जारी कर दिए हैं, जिसमें बठिंडा की रहने वाली रमनीक कौर ने दूसरा स्थान हासिल किया है. पढाई में शुरू से ही काफी सीरियस रहने वाली रमनीक को बचपन ने उनके माता पिता ने फैंसी ड्रेस कम्पटीशन में डॉक्टर का रोले प्ले करने को कहा था और आज रमनीक में असल ज़िन्दगी में डॉक्टर बनने के सपने को साकार कर दिया.
रमनीक एनडीटीवी को बताती हैं कि लोग सोचते है कि बड़े शहरों में रहकर ही अच्छी कोचिंग और पढ़ाई हो सकती हैं परन्तु ऐसा नहीं है. उन्होंने बठिंडा में रहकर ही कोचिंग और तैयारी की और ये मुकाम हासिल किया. रमनीक हर दिन सुबह चार बजे उठ जाती थीं और पढ़ाई में जुट जाती थीं. वो सेल्फ स्टडी के साथ-साथ कोचिंग भी जाती थीं और बचे हुए वक़्त में मॉक टेस्ट देती थीं. रमनीक बताती हैं कि जो छात्र अगर किसी वजह से बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग नहीं कर सकते वह तब भी स्कॉलरशिप के जरिए उस कोचिंग इंस्टीट्यूट का मटेरियल फ्री में ले सकते हैं जिसके उनको काफी मदद मिल सकती है.
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रमनीक मानती हैं कि चाहे वो AIIMS की परीक्षा हो या NEET की, छात्रों को NCERT की किताबों को बेहद ध्यान से पढ़ना चाहिए और अपने कॉन्सेप्ट्स क्लियर रखने चाहिए. साथ ही साथ वह आज तक स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करती हैं और कहती हैं कि उन्हें समझ नहीं आता कि लोग सोशल मीडिया क्यों इस्तेमाल करते हैं. उनका मानना है कि अगर आपको अपना लक्ष्य हासिल करना है तो आपको 2 साल तक सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए और अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए.
रमनीक से एकदम विपरीत कहानी है महक अरोरा कि जिन्होंने मस्ती करते हुए पढ़ाई की और AIIMS जैसी कठिन परीक्षा में तीसरा रैंक हासिल किया. वह बताती हैं कि उन्होंने हमेशा बिना परेशान हुए पढ़ाई की और इस पूरी तैयारी में कोई फिक्स टाईम टेबल नहीं सेट किया. महक को डॉक्टर बनने की प्रेरणा उनके पिता से मिली जो चाहते थे कि उनकी बेटी डॉक्टर बने और आज उन्होंने अपने पिता का सपना पूरा कर दिया.
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महक कहती हैं कि अगर आपको AIIMS में अच्छी रैंक हासिल करनी है, तो फिजिक्स पर ज्यादा जोर देना होगा क्यूंकि फिजिक्स में काफी मुश्किल होती है, जिसके लिए काफी प्रैक्टिस की जरुरत होती है. केमिस्ट्री कि लिए उनका मानना है ज्यादातर छात्र आसान चैप्टर्स को छोड़ देते हैं, जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए क्यूंकि AIIMS के एग्जाम में हम कोई भी टॉपिक नहीं छोड़ सकते अगर हमें अच्छी रैंक हासिल करनी चाहिए. इस बार AIIMS की परीक्षा में टॉप थ्री रैंक्स पर लड़कियों ने कब्ज़ा किया है.
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वहीं, चौथे स्थान पर बठिंडा की रहने वाले मनराज सरां हैं, जिन्होंने भी 100 पर्सेंटाइल हासिल किया है. इस साल 100 पर्सेंटाइल के साथ चार कैंडिडेट्स ने टॉप किया है जिसमें से मनराज सरां भी हैं. मनराज सेल्फ स्टडी पर यकीन रखते हैं और उन्होंने हर दिन करीब 10 घंटे सेल्फ स्टडी की और ये मुकाम हासिल किया . मनराज ने किसी एक कोचिंग इंस्टीट्यूट से तैयारी नहीं की बल्कि अलग-अलग एक्सपर्ट के पास ट्यूशन लिया और अपनी गलतियों को हमेशा सुधारा और एक जगह लिखा ताकि वह देख सके की उनसे क्या गलती होती है.
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मनराज भी महक की तरह फिजिक्स पर जोर देने को कहते हैं और उनका मानना है कि छात्रों को आईआईटी जेईई की लेवल की फिजिक्स तैयार करनी चाहिए ताकि एग्जाम में टाइम न बर्बाद हो क्यूंकि फिजिक्स के सवाल कभी कभी आउट ऑफ़ कोर्स भी आते हैं. मनराज का कहना है कि उन्हें डॉक्टर बनने का मोटिवेशन सबसे ज्यादा अपने माता-पिता से मिला जो की खुद डॉक्टर्स हैं. टेस्ट सीरीज को मनराज बेहद अहम् बताते हैं और कहते है की टेस्ट सीरीज का फ़ायदा तब है जब आप हर बार खुद में सुधार करे. मनराज ने खुद को सोशल मीडिया से भी दूर रखा ताकि उनका सारा ध्यान पढ़ाई पर रहे और ये ही अंत में उनकी सफलता का कारण भी बना.
रमनीक एनडीटीवी को बताती हैं कि लोग सोचते है कि बड़े शहरों में रहकर ही अच्छी कोचिंग और पढ़ाई हो सकती हैं परन्तु ऐसा नहीं है. उन्होंने बठिंडा में रहकर ही कोचिंग और तैयारी की और ये मुकाम हासिल किया. रमनीक हर दिन सुबह चार बजे उठ जाती थीं और पढ़ाई में जुट जाती थीं. वो सेल्फ स्टडी के साथ-साथ कोचिंग भी जाती थीं और बचे हुए वक़्त में मॉक टेस्ट देती थीं. रमनीक बताती हैं कि जो छात्र अगर किसी वजह से बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग नहीं कर सकते वह तब भी स्कॉलरशिप के जरिए उस कोचिंग इंस्टीट्यूट का मटेरियल फ्री में ले सकते हैं जिसके उनको काफी मदद मिल सकती है.
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रमनीक मानती हैं कि चाहे वो AIIMS की परीक्षा हो या NEET की, छात्रों को NCERT की किताबों को बेहद ध्यान से पढ़ना चाहिए और अपने कॉन्सेप्ट्स क्लियर रखने चाहिए. साथ ही साथ वह आज तक स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करती हैं और कहती हैं कि उन्हें समझ नहीं आता कि लोग सोशल मीडिया क्यों इस्तेमाल करते हैं. उनका मानना है कि अगर आपको अपना लक्ष्य हासिल करना है तो आपको 2 साल तक सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए और अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए.
रमनीक से एकदम विपरीत कहानी है महक अरोरा कि जिन्होंने मस्ती करते हुए पढ़ाई की और AIIMS जैसी कठिन परीक्षा में तीसरा रैंक हासिल किया. वह बताती हैं कि उन्होंने हमेशा बिना परेशान हुए पढ़ाई की और इस पूरी तैयारी में कोई फिक्स टाईम टेबल नहीं सेट किया. महक को डॉक्टर बनने की प्रेरणा उनके पिता से मिली जो चाहते थे कि उनकी बेटी डॉक्टर बने और आज उन्होंने अपने पिता का सपना पूरा कर दिया.
रमनीक (फाइल फोटो)
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महक कहती हैं कि अगर आपको AIIMS में अच्छी रैंक हासिल करनी है, तो फिजिक्स पर ज्यादा जोर देना होगा क्यूंकि फिजिक्स में काफी मुश्किल होती है, जिसके लिए काफी प्रैक्टिस की जरुरत होती है. केमिस्ट्री कि लिए उनका मानना है ज्यादातर छात्र आसान चैप्टर्स को छोड़ देते हैं, जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए क्यूंकि AIIMS के एग्जाम में हम कोई भी टॉपिक नहीं छोड़ सकते अगर हमें अच्छी रैंक हासिल करनी चाहिए. इस बार AIIMS की परीक्षा में टॉप थ्री रैंक्स पर लड़कियों ने कब्ज़ा किया है.
महक (फाइल फोटो)
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वहीं, चौथे स्थान पर बठिंडा की रहने वाले मनराज सरां हैं, जिन्होंने भी 100 पर्सेंटाइल हासिल किया है. इस साल 100 पर्सेंटाइल के साथ चार कैंडिडेट्स ने टॉप किया है जिसमें से मनराज सरां भी हैं. मनराज सेल्फ स्टडी पर यकीन रखते हैं और उन्होंने हर दिन करीब 10 घंटे सेल्फ स्टडी की और ये मुकाम हासिल किया . मनराज ने किसी एक कोचिंग इंस्टीट्यूट से तैयारी नहीं की बल्कि अलग-अलग एक्सपर्ट के पास ट्यूशन लिया और अपनी गलतियों को हमेशा सुधारा और एक जगह लिखा ताकि वह देख सके की उनसे क्या गलती होती है.
मनराज (फाइल फोटो)
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मनराज भी महक की तरह फिजिक्स पर जोर देने को कहते हैं और उनका मानना है कि छात्रों को आईआईटी जेईई की लेवल की फिजिक्स तैयार करनी चाहिए ताकि एग्जाम में टाइम न बर्बाद हो क्यूंकि फिजिक्स के सवाल कभी कभी आउट ऑफ़ कोर्स भी आते हैं. मनराज का कहना है कि उन्हें डॉक्टर बनने का मोटिवेशन सबसे ज्यादा अपने माता-पिता से मिला जो की खुद डॉक्टर्स हैं. टेस्ट सीरीज को मनराज बेहद अहम् बताते हैं और कहते है की टेस्ट सीरीज का फ़ायदा तब है जब आप हर बार खुद में सुधार करे. मनराज ने खुद को सोशल मीडिया से भी दूर रखा ताकि उनका सारा ध्यान पढ़ाई पर रहे और ये ही अंत में उनकी सफलता का कारण भी बना.
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