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This Article is From Apr 15, 2018

उत्तर प्रदेश: चाय वाले का बेटा पहुंचा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च

टीआईएफआर के बेंगलुरु कैंपस में एप्लीकेबल मैथमैटिक्स के लिए इंटीग्रेटेड पोस्ट-ग्रेजुएट और पीएचडी प्रोग्राम के लिए 2018 की प्रवेश परीक्षा के जरिये देश-भर से चुने गए 20 छात्रों में से एक नाम रवि शंकर जयसवाल का है.

उत्तर प्रदेश: चाय वाले का बेटा पहुंचा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च
रवि शंकर जयसवाल (फाइल फोटो)
बहराइच: अधिकतर लोग अपने बच्चों को स्कूल के दिनों से ही आईएएस, इंजीनियर और डॉक्टर बनाने का सपना देखते हैं. जहां तक मैथमैटिशन की बात है, सोचना तो दूर पता भी कम ही बच्चों को होता है. रवि को भी स्कूल के दिनों से ही नंबर से प्यार था और उन्होंने भी इंजीनियरिंग के लिए आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी की. हैसियत से बाहर जाकर पैसे भी खर्च किये. कोचिंग की पर सफल नहीं हो सके. पिता के पैसे खर्च करवाने के लिए लोगों से ताने भी सुनने को मिले. पर ये असफलता जैसे रवि के लिए नई ज़िद पैदा करने और इच्छा शक्ति भरने वाली थी. नंबर से खेलने के शौक़ीन रवि को इसी ज़िद ने देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च में पहुंचा दिया. अब रवि मैथमैटिशन बनाने की राह पर हैं.

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टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के बेंगलुरु कैंपस में एप्लीकेबल मैथमैटिक्स के लिए इंटीग्रेटेड पोस्ट-ग्रेजुएट और पीएचडी प्रोग्राम के लिए 2018 की प्रवेश परीक्षा के जरिये देश-भर से चुने गए 20 छात्रों में से एक नाम रवि शंकर जयसवाल का है. अगर आप गौर से देखें, तो रवि कुछ मायनों में पूरी लिस्ट में थोड़े अलग दिखेंगे. बाकी छात्र देश के काफी प्रतिष्ठित विश्विद्यालयों या संस्थानों से हैं. मसलन, दिल्ली विश्वविद्यालय, कोलकाता के इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट, पुणे के फ़र्गुसन कॉलेज वगैरह. वहीं, रवि उत्तर प्रदेश के एक लो-प्रोफाइल विश्वविद्यालय डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैज़ाबाद से सम्बद्ध ठाकुर हुकुम सिंह किसान पीजी कॉलेज बहराइच से बीएससी कर रहे हैं. 
 
ravi and his father

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रवि उत्तर प्रदेश के बहराइच में बेहद साधारण परिवार में पले-बढ़े हैं और चाय की एक छोटी सी दुकान चलाने वाले पिता के लिए रवि की इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की कोचिंग के लिए पैसे जुटाना भी आसान नहीं था. फिर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए मैथ्स की महंगी किताबों के लिए भी रवि को अपने टीचर्स पर निर्भर होना पड़ता था. अवध यूनिवर्सिटी में मैथ्स के टीचर प्रो. विनय सक्सेना और आईआईटी बॉम्बे से मैथ्स में पीएचडी कर रहे भीम सेन चौधरी ने रवि को प्रवेश परीक्षा की तैयारी में काफी सहायता की. साथ ही पीजी कॉलेज के प्राचार्य मेजर ( डॉक्टर) शिव प्रताप सिंह  को जब कभी लगता था रवि कोई परेशानी का सामना कर रहा है तो वो उनके साथ खड़े रहे , मेजर ( डॉक्टर) शिव प्रताप सिंह  कहते है उत्तर प्रदेश के पिछड़े ज़िले बहराइच में स्थापित ठाकुर हुकुम सिंह किसान पीजी कालेज से रवि का टीआईएफआर में पहुंचना अपने आप ने मिसाल है, जिसे हम सभी को गर्व है. 

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रवि ने टीआईएफआर के अलावा आईआईटी द्वारा आयोजित जॉइंट एडमिशन टेस्ट भी अच्छे रैंक से क्वालीफाई किया है और उन्हें उम्मीद है कि रैंकिंग के लिहाज़ से देश के नंबर 1 इंस्टिट्यूट इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से भी उन्हें इंटरव्यू के लिए कॉल आएगा. रवि के पिता भी अपने स्कूल के दिनों में मैथ्स में अच्छे थे पर आर्थिक तंगी की वजह से वो ठीक से पढाई नहीं कर पाए, आज वो भले ही चाय बेचते हों पर अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए उसकी हर कोशिश में पीछे खड़े होते हैं क्योंकि ये सपना उनका भी अपना है.

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