डीयू
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                नयी दिल्ली: 
                                        डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के कई छात्रों ने प्रदान की जाने वाली डिग्री पर अध्ययन के प्रारूप (mode of learning) के बारे में उल्लेख करने के लिए विश्वविद्यालय को यूजीसी के दिए गए निर्देश के खिलाफ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन किया.
छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों से भी मुलाकात कर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए इसे उनकी डिग्री का महत्व घटाया जाना करार दिया.
यूजीसी ने पिछले अक्टूबर को कॉरस्पांडेंस छात्रों को उनकी डिग्री सहित जारी किये जाने वाले कागजातों पर ‘‘मोड ऑफ डेलिवरी’’ का जिक्र करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया था.
यूजीसी के मुताबिक डिग्री के पारंपरिक प्रारूप और ओडीएल प्रारूप डिग्री के बीच अस्पष्टता खत्म करने के लिए यह किया गया.
हालांकि, तब से छात्र इस मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं.
एसओएल छात्रों के क्रांतिकारी युवा संगठन के एक सदस्य हरीश गौतम ने कहा, ‘‘विश्वविद्यालयों में यह जानना चाहिए कि डीयू के एसओएल की तरह ओडीएल और नियमित प्रारूप दोनों में पाठ्यक्रमों की पेशकश होती है, छात्रों को समान पाठ्यकमों के लिए परीक्षा ली जाती है और उनकी उत्तर पुस्तिका परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर चिन्हित की जाती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ओडीएल प्रारूप की परीक्षा विश्वविद्यालय का वही विभाग लेता है जो कि नियमित प्रारूप के छात्रों के लिए आयोजित करता है. यही कारण है डिग्रियों के बीच गैरजरूरी भेद करने के लिए पहले ऐसा कदम नहीं उठाया गया जहां परीक्षा में अंक पाने की समान प्रक्रिया है.’
                                                                        
                                    
                                छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों से भी मुलाकात कर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए इसे उनकी डिग्री का महत्व घटाया जाना करार दिया.
यूजीसी ने पिछले अक्टूबर को कॉरस्पांडेंस छात्रों को उनकी डिग्री सहित जारी किये जाने वाले कागजातों पर ‘‘मोड ऑफ डेलिवरी’’ का जिक्र करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया था.
यूजीसी के मुताबिक डिग्री के पारंपरिक प्रारूप और ओडीएल प्रारूप डिग्री के बीच अस्पष्टता खत्म करने के लिए यह किया गया.
हालांकि, तब से छात्र इस मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं.
एसओएल छात्रों के क्रांतिकारी युवा संगठन के एक सदस्य हरीश गौतम ने कहा, ‘‘विश्वविद्यालयों में यह जानना चाहिए कि डीयू के एसओएल की तरह ओडीएल और नियमित प्रारूप दोनों में पाठ्यक्रमों की पेशकश होती है, छात्रों को समान पाठ्यकमों के लिए परीक्षा ली जाती है और उनकी उत्तर पुस्तिका परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर चिन्हित की जाती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ओडीएल प्रारूप की परीक्षा विश्वविद्यालय का वही विभाग लेता है जो कि नियमित प्रारूप के छात्रों के लिए आयोजित करता है. यही कारण है डिग्रियों के बीच गैरजरूरी भेद करने के लिए पहले ऐसा कदम नहीं उठाया गया जहां परीक्षा में अंक पाने की समान प्रक्रिया है.’
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