आज सर सैयद अहमद खां की 203वीं जयंती है. सर सैयद का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली में हुआ था. सर सैयद की जयंती इस साल इसलिए भी खास है क्योंकि इस साल सर सैयद द्वारा स्थापित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भी अपने सौ साल पूरे करेगा. सर सैयद ने 1875 में जिस स्कूल की स्थापना की थी 1920 में उसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का रूप लिया.
हमारी बातें ही बातें हैं सैयद कमाल करता था
न भूलो फर्क जो है कहने वाले करने वाले में
- अकबर इलाहबादी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़े आतिफ हनीफ बताते हैं, ''सर सैयद शिक्षाविद, समाज सुधारक, पत्रकार और इतिहासकार होने के अलावा राष्ट्र निर्माण के काम को आगे बढ़ाने वाली कई संस्थाओं के संस्थापक भी रहे हैं. उन्होंने अपने लेखन के जरिए अपनी इस सोच को आगे बढ़ाया. उत्तर प्रदेश में ही कई जगह उन्होंने बहुत सी संस्थाओं की शुरुआत की. सही मायने में उनका आधुनिक भारत के निर्माण में अहम योगदान रहा है.''
हनीफ बताते हैं, ''सर सैयद से प्रेरित होकर अलीगढ़ आंदोलन की शुरुआत हुई. जिसमें शिक्षा को बढ़ावा देना, सामाजिक सुधार, धार्मिक जागरुकता शामिल है. ये सिर्फ अलीगढ़ यूनिवर्सिटी तक ही सीमित नहीं है. खास बात ये है कि सर सैयद ने किसी भी चीज से बढ़कर शिक्षा को माना. महात्मा गांधी के ही शब्दों में ही कहें तो सर सैयद शिक्षा जगत के पैगम्बर थे.''
सर सैयद अहमद खां सामाजिक सौहार्द के पैरोकार थे. उनका मानना था कि हिंदू और मुस्लिम एक दुल्हन की दो आंखों की तरह हैं. अल्लामा इकबाल के मुताबिक सर सैयद पहले भारतीय मुस्लिम थे जिन्होंने इस्लाम के नए पहलुओं को समझने की कोशिश की.
लाला लाजपत राय ने सर सैयद के बारे में कहा, ''बचपन से मुझे सर सैयद का और उनकी बातों का सम्मान करना सिखाया गया था. वे 19वीं सदी के किसी पैगंबर से कम नहीं थे.''' गौरतलब है कि सर सैयद की जयंती को सर सैयद डे के तौर पर भी मनाया जाता है.
हजारों साल नरगिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बुड़ी मुश्किल से पैदा होता है चमन में दीदावर पैदा
-इकबाल
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