उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को घोषणा की राज्य के स्कूल करिकुलम में सिख गुरुओं के इतिहास को शामिल किया जाएगा.
आदित्यनाथ ने यह बात 'साहिबज़ादा दिवस' के अवसर पर अपने आवास पर आयोजित एक गुरबानी कीर्तन में कही, जो 10 वें सिख गुरु गोबिंद सिंह और उनकी माता माता गुजरी के चार 'साहिबज़ादा' (पुत्रों) की शहादत का प्रतीक है.
27 दिसंबर को, आदित्यनाथ ने कहा, स्कूलों और कॉलेजों को बहस आयोजित करनी चाहिए और इस दिन को इस तरह से मनाया जाना चाहिए कि लोग इससे प्रेरणा ले सकें और 'साहिबज़ादा दिवस' बाल दिवस बन सकता है.
भारत के इतिहास की जब बात करते हैं तो सिख इतिहास उससे अलग हो ही नहीं सकता, वह तो हमारे पाठ्यक्रम का एक हिस्सा बनना चाहिए।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 27, 2020
एक-एक बच्चे को गुरु पुत्रों की शहादत के विषय में बताया जाना चाहिए।
उनका बलिदान वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के लिए नई प्रेरणा बनेगा।
भगवा पगड़ी बांधने वाले आदित्यनाथ ने कहा, "सिख गुरुओं का इतिहास सिलेबस का एक हिस्सा होगा. इसके अलावा सभी स्कूलों में 27 दिसंबर हर साल साहिबजादा दिवस के रूप में मनाया जाएगा. आज का दिन कृतज्ञता ज्ञापित करने का दिन है." गुरु और माता के पुत्र जिन्होंने मातृभूमि, देश और धर्म के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. ”
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा, और कैबिनेट मंत्रियों ने कार्यक्रम में भाग लिया. आदित्यनाथ ने कहा, "यदि इतिहास को भुला दिया जाए तो कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता. सिख समाज अपनी कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता है. सिख गुरुओं ने अपने जीवन का बलिदान दिया. देश हमेशा इसे याद रखेगा." मुख्यमंत्री, उनके मंत्री सहयोगियों और सिख समुदाय के लोगों ने भी इस अवसर पर '' लंगर प्रसाद '' स्वीकार किया.
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