उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान सरकार के शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी कर पूछा है कि 2019 के उसके आदेश का पालन न करने पर क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि 2011 में बंद हुए सरकारी सहायता प्राप्त एक स्कूल द्वारा शिक्षकों को दिए गए वेतन के 70 प्रतिशत हिस्से का भुगतान संबंधित संस्थान को किया जाए. न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, ‘‘उन्होंने (अधिकारियों) कुछ नहीं किया है.''
बिश्वम्भर लाल माहेश्वरी एजुकेशन फाउंडेशन का स्कूल सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थान था, जो 2011 में बंद हो गया था, इस संस्थान को सरकार से 70 फीसदी सहायता मिलती थी. पीठ ने स्कूल ट्रस्ट द्वारा दायर की गई अवमानना याचिका पर छह मई को राजस्थान सरकार के शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने दलील दी कि राजस्थान सरकार ने शीर्ष अदालत के 30 सितंबर 2019 के आदेश का पालन नहीं किया है.
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 30 सितंबर 2019 को आदेश पारित किया था और कहा था, ‘‘हमारा मत है कि संस्थान को 70 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाए जो 10 मई 2016 के हमारे आदेश के अनुपालन में दी गई थी.''
न्यायालय ने ट्रस्ट के शपथपत्र का भी संज्ञान लिया था. अदालत ने ट्रस्ट को निर्देश दिया था कि वह स्कूल के सभी शिक्षकों को छठे वेतन आयोग के अनुरूप वेतन दे और फिर इसकी भरपाई राज्य सरकार से मांगे.
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