नई दिल्ली:
लोकसभा में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक 2017 पेश किया गया, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक नियुक्त शिक्षक या 31 मार्च 2015 तक जो शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करने या उससे जुड़ी न्यूनतम अर्हता नहीं रखते, वे चार वर्ष के भीतर ऐसी न्यूनतम अर्हताएं अर्जित करें. लोकसभा में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यह विधेयक पेश किया जिसमें नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि छह से 14 वर्ष की आयु के सभी बालकों को नि:शुन्क एवं अनिवार्य शिक्षा का उपबंध करने के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 अधिनियमित किया गया था और यह एक अप्रैल 2010 से लागू हुआ था.
उक्त अधिनियम की धारा 23 की उपधारा (2) के तहत उक्त अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से पांच वर्ष की नियत अवधि 31 मार्च 2015 तक उक्त धारा की उपधारा में उल्लिखित अर्हता न रखने वाले अध्यापकों के लिए अंतिम सीमा के रूप में ऐसी अर्हताएं अर्जित करने के लिए समय सीमा निर्धारित की गयी है.
इसमें कहा गया है कि उपयुक्त उपबंधों को दृष्टि में रखते हुए उक्त अवधि के पूर्ण हो जाने के पश्चात राज्य सरकारें सेवा में अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण की प्रक्रिया जारी रखने में समर्थ नहीं है. अत: राज्य सरकारों ने अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए अवधि का विस्तार करने के लिए अनुरोध किया है जिससे वह उक्त प्रशिक्षण प्रक्रिया को आरंभ और पूरा करने में समर्थ हो सकें.
विधेयक में कहा गया है कि उक्त अधिनियम की धारा 23 उपधारा (2) में एक नए उपबंध के अंतस्थापन के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक 2017 लाने का प्रस्ताव किया गया है जिससे यह उपबंध किया जा सके कि प्रत्येक नियुक्त शिक्षक या 31 मार्च 2015 को जो उक्त धारा की उपधारा के अधीन न्यूनतम अर्हता रखते हैं. प्रस्तावित विधान के प्रारंभ की तारीख से ही चार वर्ष की अवधि के भीतर ऐसी न्यूनतम अर्हता हासिल करें.
विधेयक के वित्तीय ज्ञापन में कहा गया है कि अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित व्यय सर्व शिक्षा अभियान के अधीन अनुमोदित आवंटन से किये जायेंगे. रकम केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के मध्य सामान्य राज्यों के लिए 60 : 40 के अनुपात में विभाजित होगी जबकि पूर्वोत्तर राज्यों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए 90 : 10 के अनुपात पर आधारित पद्धति के अनुसार होगा.
इसमें कहा गया है कि यह अनुमानित है कि 31 मार्च 2019 तक अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण को पूर्ण करने के लिए पश्चातवर्ती वषरे में 453.62 करोड़ रुपये का व्यय होगा. यह रकम सर्व शिक्षा अभियान के लिए अनुमोदित बजट आवंटन से पूरा होगा.
न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि छह से 14 वर्ष की आयु के सभी बालकों को नि:शुन्क एवं अनिवार्य शिक्षा का उपबंध करने के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 अधिनियमित किया गया था और यह एक अप्रैल 2010 से लागू हुआ था.
उक्त अधिनियम की धारा 23 की उपधारा (2) के तहत उक्त अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से पांच वर्ष की नियत अवधि 31 मार्च 2015 तक उक्त धारा की उपधारा में उल्लिखित अर्हता न रखने वाले अध्यापकों के लिए अंतिम सीमा के रूप में ऐसी अर्हताएं अर्जित करने के लिए समय सीमा निर्धारित की गयी है.
इसमें कहा गया है कि उपयुक्त उपबंधों को दृष्टि में रखते हुए उक्त अवधि के पूर्ण हो जाने के पश्चात राज्य सरकारें सेवा में अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण की प्रक्रिया जारी रखने में समर्थ नहीं है. अत: राज्य सरकारों ने अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए अवधि का विस्तार करने के लिए अनुरोध किया है जिससे वह उक्त प्रशिक्षण प्रक्रिया को आरंभ और पूरा करने में समर्थ हो सकें.
विधेयक में कहा गया है कि उक्त अधिनियम की धारा 23 उपधारा (2) में एक नए उपबंध के अंतस्थापन के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक 2017 लाने का प्रस्ताव किया गया है जिससे यह उपबंध किया जा सके कि प्रत्येक नियुक्त शिक्षक या 31 मार्च 2015 को जो उक्त धारा की उपधारा के अधीन न्यूनतम अर्हता रखते हैं. प्रस्तावित विधान के प्रारंभ की तारीख से ही चार वर्ष की अवधि के भीतर ऐसी न्यूनतम अर्हता हासिल करें.
विधेयक के वित्तीय ज्ञापन में कहा गया है कि अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित व्यय सर्व शिक्षा अभियान के अधीन अनुमोदित आवंटन से किये जायेंगे. रकम केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के मध्य सामान्य राज्यों के लिए 60 : 40 के अनुपात में विभाजित होगी जबकि पूर्वोत्तर राज्यों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए 90 : 10 के अनुपात पर आधारित पद्धति के अनुसार होगा.
इसमें कहा गया है कि यह अनुमानित है कि 31 मार्च 2019 तक अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण को पूर्ण करने के लिए पश्चातवर्ती वषरे में 453.62 करोड़ रुपये का व्यय होगा. यह रकम सर्व शिक्षा अभियान के लिए अनुमोदित बजट आवंटन से पूरा होगा.
न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट
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