पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कोरोनावायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों को ट्यूशन फी लेने की अनुमति दे दी है. न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर ने स्कूलों को नामांकन शुल्क एकत्र करने की इजाजत दे दी. इंडिपेन्डेंट स्कूल एसोसिएशन, पंजाब स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन, मान्यताप्राप्त और संबद्ध स्कूलों के एसोसिएशन तथा कुछ अन्य संगठनों की याचिकाओं पर यह आदेश आया. अदालत ने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित की गई या नहीं, इसके बावजूद सभी स्कूलों को ट्यूशन फी जमा करने की अनुमति दी जाती है.''
अदालत ने कहा कि हालांकि स्कूलों को ऑनलाइन या दूर शिक्षा के लिए प्रयत्न जारी रखना होगा, ताकि कोविड-19 के कारण मौजूदा या भविष्य में लॉकडाउन से शिक्षा पर असर नहीं पड़े. आदेश के मुताबिक, जो अभिभावक शुल्क भुगतान करने में सक्षम नहीं होंगे उन्हें अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में आवश्यक प्रमाणपत्र के साथ आवेदन देना होगा. इस पर स्कूल सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगा और पूरी तरह या आंशिक तौर पर छूट दी जा सकेगी.
वहीं, कुछ समय पहले सीबीएसई के डायरेक्टर ने कहा था कि बच्चों की सही शिक्षा के लिए माता-पिता और स्कूल मैनेजमेंट के बीच सहयोग की आवश्यकता है. सीबीएसई के ट्रेनिंग और स्किल डायरेक्टर बिस्वजीत साहा ने शिक्षा पर एक ई-सत्र के आयोजन के दौरान कहा था कि "माता-पिता और स्कूल प्रबंधन को बच्चों की शिक्षा के लिए एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए." दरअसल अभिभावकों की तरफ से इस बात की शिकायत की गई थी कि कुछ प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा भी कई दूसरी चीजों की फीस ले रहे हैं, जबकि स्कूल लंबे समय से बंद हैं. लॉकडाउन के दौरान बच्चों की सिर्फ सीमित ऑनलाइन क्लासेस ही ली गई हैं. ऐसे में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य चीजों के लिए फीस की मांग करना गलत है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं