सर्वोच्च न्यायालय में गुरुवार को मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के दायरे से इस साल तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब को बाहर रखने के लिए जारी एनईईटी अध्यादेश को चुनौती दी गई।
यह लोकहित याचिका मध्य प्रदेश व्यापम दाखिला एवं नियुक्ति घोटाले के ह्विसलब्लोअर आनंद राय ने दाखिल की है। राय की ही याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने व्यापम घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
नई याचिका में राय ने उस एनईईटी अध्यादेश को चुनौती दी है जिस पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गत 24 मई को हस्ताक्षर किया है। इसमें कहा गया है यह अध्यादेश शीर्ष अदालत के समक्ष केंद्र सरकार का जो पहले का रुख था उसके विपरीत है। शीर्ष अदालत में केंद्र ने कहा था कि वह पूरे भारत में एकीकृत, मानकीकृत मेडिकल प्रवेश परीक्षा के पक्ष में है।
राय के वकील वैभव श्रीवास्तव ने आईएएनएस को बताया कि लाखों छात्र इससे भ्रमित हैं कि अध्यादेश जारी हो जाने के बाद अब क्या होगा। राज्य सरकारों पर यह छोड़ दिया गया है कि वे सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीटों के साथ-साथ निजी मेडिकल कॉलेजों की सरकारी कोटा की सीटों के लिए खुद प्रवेश परीक्षा ले सकती हैं।
उन्होंने कहा कि जल्दी सुनवाई के लिए उनकी इस लोकहित याचिका को संभवत: शुक्रवार को न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी. पंत एवं डी. वाई चंद्रचूड की अवकाश पीठ के समक्ष पेश किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो सोमवार को निश्चित रूप से पेश होगा।
इस बीच गुजरात के एक छात्र जुगल निखिल शाह ने एक कैविएट(प्रतिवाद-पत्र) दायर किया है। उसमें आग्रह किया गया है कि नीट अध्यादेश को चुनौती देने वाली किसी भी याचिका पर विचार करने से पहले उसकी सुनी जाए।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे देश में मेडिकल कॉलेजों में दाखिला के लिए नीट को अनिवार्य कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने गत 28 अप्रैल के अपने फैसले में जब कोई बदलाव नहीं किया तो राज्यों के दबाव में केंद्र सरकार ने अध्यादेश का सहारा लिया।
यह लोकहित याचिका मध्य प्रदेश व्यापम दाखिला एवं नियुक्ति घोटाले के ह्विसलब्लोअर आनंद राय ने दाखिल की है। राय की ही याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने व्यापम घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
नई याचिका में राय ने उस एनईईटी अध्यादेश को चुनौती दी है जिस पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गत 24 मई को हस्ताक्षर किया है। इसमें कहा गया है यह अध्यादेश शीर्ष अदालत के समक्ष केंद्र सरकार का जो पहले का रुख था उसके विपरीत है। शीर्ष अदालत में केंद्र ने कहा था कि वह पूरे भारत में एकीकृत, मानकीकृत मेडिकल प्रवेश परीक्षा के पक्ष में है।
राय के वकील वैभव श्रीवास्तव ने आईएएनएस को बताया कि लाखों छात्र इससे भ्रमित हैं कि अध्यादेश जारी हो जाने के बाद अब क्या होगा। राज्य सरकारों पर यह छोड़ दिया गया है कि वे सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीटों के साथ-साथ निजी मेडिकल कॉलेजों की सरकारी कोटा की सीटों के लिए खुद प्रवेश परीक्षा ले सकती हैं।
उन्होंने कहा कि जल्दी सुनवाई के लिए उनकी इस लोकहित याचिका को संभवत: शुक्रवार को न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी. पंत एवं डी. वाई चंद्रचूड की अवकाश पीठ के समक्ष पेश किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो सोमवार को निश्चित रूप से पेश होगा।
इस बीच गुजरात के एक छात्र जुगल निखिल शाह ने एक कैविएट(प्रतिवाद-पत्र) दायर किया है। उसमें आग्रह किया गया है कि नीट अध्यादेश को चुनौती देने वाली किसी भी याचिका पर विचार करने से पहले उसकी सुनी जाए।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे देश में मेडिकल कॉलेजों में दाखिला के लिए नीट को अनिवार्य कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने गत 28 अप्रैल के अपने फैसले में जब कोई बदलाव नहीं किया तो राज्यों के दबाव में केंद्र सरकार ने अध्यादेश का सहारा लिया।
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