नयी दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि लॉ के पार्ट-टाइम कोर्स की अवधारणा एक समस्या है क्योंकि यह लॉ के पेशे को ‘दोयम दर्जा’ प्रदान करता है और आश्चर्य जताया कि क्यों इसे मेडिकल के कोर्स की तरह प्रमुखता नहीं दी गई।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने केंद्र, दिल्ली विश्वविद्यालय और बार काउन्सिल ऑफ इंडिया से विश्वविद्यालय द्वारा संचालित दो लॉ सेंटरों के समय में परिवर्तन के खिलाफ याचिका पर जवाब मांगते हुए कहा, ‘‘पार्ट-टाइम कोर्स की समूची अवधारणा एक समस्या है। क्यों कानून दोयम दर्जे का काम है। क्यों यह मेडिकल की तरह प्रमुख नहीं है।’’
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अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा संचालित लॉ के कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा पास करने वाले 2310 छात्रों में से सैकड़ों उम्मीदवारों की याचिका पर काउन्सलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया। काउन्सलिंग की प्रक्रिया 26 अगस्त से शुरू होने वाली है।
याचिकाकर्ताओं ने काउन्सलिंग पर रोक लगाने की मांग की थी। एक बार वे इन दोनों सेंटरों में से किसी एक को चुन लेंगे तो फिर वे इसमें बदलाव करने में सक्षम नहीं होंगे। इन सेंटरों में पहले शाम को कक्षाएं हुआ करती थीं।
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समय में बदलाव की घोषणा बार काउन्सिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार की गई है, जो इस साल से प्रभावी होगी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि समय में बदलाव से वे प्रभावित होंगे क्योंकि उनमें से ज्यादातर सरकारी कर्मचारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘उन्हें अपने मौजूदा काम का आनंद लेने दें।’’
न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने केंद्र, दिल्ली विश्वविद्यालय और बार काउन्सिल ऑफ इंडिया से विश्वविद्यालय द्वारा संचालित दो लॉ सेंटरों के समय में परिवर्तन के खिलाफ याचिका पर जवाब मांगते हुए कहा, ‘‘पार्ट-टाइम कोर्स की समूची अवधारणा एक समस्या है। क्यों कानून दोयम दर्जे का काम है। क्यों यह मेडिकल की तरह प्रमुख नहीं है।’’
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अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा संचालित लॉ के कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा पास करने वाले 2310 छात्रों में से सैकड़ों उम्मीदवारों की याचिका पर काउन्सलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया। काउन्सलिंग की प्रक्रिया 26 अगस्त से शुरू होने वाली है।
याचिकाकर्ताओं ने काउन्सलिंग पर रोक लगाने की मांग की थी। एक बार वे इन दोनों सेंटरों में से किसी एक को चुन लेंगे तो फिर वे इसमें बदलाव करने में सक्षम नहीं होंगे। इन सेंटरों में पहले शाम को कक्षाएं हुआ करती थीं।
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याचिकाकर्ताओं ने कहा कि समय में बदलाव से वे प्रभावित होंगे क्योंकि उनमें से ज्यादातर सरकारी कर्मचारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोग हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘उन्हें अपने मौजूदा काम का आनंद लेने दें।’’
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