Pariksha Pe Charcha 2023: प्रधानमंत्री मोदी की मास्टर क्लास शुरू, बच्चों दबावों के दबाव में न रहें, अपनी प्रतिभा पहचानें

Pariksha Pe Charcha 2023: समाज में एक सहज प्रवत्ति बनी हुई है कि आप अच्छा करेंगे, तो हर कोई आपसे और अच्छा करने की उम्मीद करेगा. मैं राजनीति में हूं, फिर भी मुझसे हर बार जीतने और हर बार ज्यादा से ज्यादा वोट लाने की उम्मीद की जाती है. लेकिन सवाल है कि क्या हमें इन सवालों से दबना चाहिए.

Pariksha Pe Charcha 2023: प्रधानमंत्री मोदी की मास्टर क्लास शुरू, बच्चों दबावों के दबाव में न रहें, अपनी प्रतिभा पहचानें

प्रधानमंत्री मोदी की मास्टर क्लास शुरू, बच्चों दबावों के दबाव में न रहें, अपनी प्रतिभा पहचानें

नई दिल्ली:

Pariksha Pe Charcha 2023: परीक्षा पे चर्चा आज सुबह 11 बजे शुरू हो गया है. इस कार्यक्रम की शुरुआत केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की. इस कार्यक्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री समेत सभी का स्वागत किया. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच पर आए तो उन्होंने बड़े प्यार से बच्चों का अभिनंदन करते हुए बिना देरी कार्यक्रम को शुरू करने को कहा है. उन्होंने कहा शायद इतनी ठंड में पहली बार परीक्षा पे चर्चा कर रहे हैं. मेरी परीक्षा चल रही है, मुझे ये अच्छा लगता है. मुझे ये परीक्षा देनी में खुशी होती है. 

मदुरैई से अश्विनी, दिल्ली से नवतेस और पटना से एक छात्र ने बोर्ड परीक्षा के तनाव और फैमिली प्रेशर पर सवाल किया. बच्चों ने प्रधानमंत्री से पूछा कैसे इन प्रेशर से पार पाएं. इस सवाल के जबाव में प्रधानमंत्री ने मदुरैई की छात्र अश्विनी से पूछा क्या आप क्रिकेट खेलती हैं. क्रिकेट में गुगली बहुत होती है. मुझे लगता है आप पहले ही बॉल में मुझे आउट करना चाहती हूं, परीक्षा में सभी की आपसे उपेक्षाएं होना स्वाभिक है, यह गलत भी नहीं है. लेकिन परिवार में फैमिली प्रेशर का होना उचित नहीं है. माता-पिता को लगता है कि जब उनके बच्चे की बात सोसाइट में होगी, उसके नंबर लोगों को पता चलेंगे कि तो उन्हें शर्मिंदगी होगी. कभी-कभी मां बाप भी अपने सोशल स्टेटस के कारण बच्चों पर प्रेशर देते हैं. माता-पिता घर से बाहर लोगों से अपने बच्चों के बारे में बड़ी-बड़ी बाते करते हैं. 

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समाज में एक सहज प्रवत्ति बनी हुई है कि आप अच्छा करेंगे, तो हर कोई आपसे और अच्छा करेंगे. मैं राजनीति में हूं, फिर भी मुझे जीतने और वोट ज्यादा लाने की उम्मीद की जाती है. लेकिन सवाल है कि क्या हमें इन सवालों से दबना चाहिए. क्या हमें इन सवालों पर समय बबार्द करना चाहिए. आपने क्रिकेट मैच देखा होगा, कैसे एक खिलाड़ी के खेल मैदान में आते ही दर्शक चौका, छक्के चिलाने लगते हैं, लेकिन बैट्समैन की नजर बॉलर के बॉल पर फोकस रहती है. 

आप बच्चों को भी उस बॉलर की तरह फोकस होना होगा. अगर आप भी अपने एक्टिवटि में फोकस रहते हैं, तो आप एग्जाम प्रेशर से बाहर आ सकते हैं. उन्होंने कहा बच्चों दबावों के दबाव में नहीं रहो, दवाब को एनालिसिस करें, अपनी क्षमता को पहनाओं. मुझे विश्वास है आप बेहतर  करेंगे.