मध्य प्रदेश के आदिवासी जिलों के 323 विद्यार्थी जेईई और नीट परीक्षा में कामयाब

मध्य प्रदेश के आदिवासी जिलों के 323 विद्यार्थी जेईई और नीट परीक्षा में कामयाब

मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों में पढ़ते हुए, आर्थिक अभाव से जूझते हुए प्रदेश के 20 आदिवासी बहुल जिलों के 323 विद्यार्थियों ने इस वर्ष जे.ई.ई. और एम्स, ए.आई.पी.एम.टी. और ए.आई.पी.एम.टी.(नीट) में सफलता हासिल की है। इनमें मंडला जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के 3 विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा उत्तीर्ण की है।

आधिकारिक तौर पर बताया गया कि प्रदेश के 20 आदिवासी बहुल जिलों के 323 विद्यार्थी इस वर्ष जेईई, एआईपीएमटी, एम्स और नीट जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हुए हैं। इनमें से मंडला, झाबुआ, धार और छिंदवाड़ा जिले के 155 आदिवासी बच्चे शामिल हैं तथा मंडला जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय के 3 विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा उत्तीर्ण की है। इन तीनों बच्चों के परिवार मजदूर वर्ग के हैं।

सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाकर और आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों के लिये की गयी विशेष शिक्षण व्यवस्था से यह परिणाम हासिल हुए हैं। वर्ष 2016-17 में जे.ई.ई. की परीक्षा में 250 छात्र-छात्राएँ सफल हुए और एआईपीएमटी (नीट) में 73 विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की। इनमें 21 अनुसूचित-जनजाति के विद्यार्थियों का आई.आई.टी. के लिये तथा शेष का एन.आई.टी. और अन्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में चयन हुआ। नीट में सफल 73 में से 55 विद्यार्थी अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। इसके पहले वर्ष 2015-16 में आरक्षित वर्ग के 153 छात्र-छात्रा इन परीक्षाओं में सफल हुए थे।

आदिवासी वर्ग के इन विद्यार्थियों की सफलता ने साबित कर दिया है कि मध्यप्रदेश के पिछड़े, आदिवासी और अंदरूनी क्षेत्रों में भी शिक्षा का प्रकाश फैल रहा है। वहाँ बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। इसी के अनुरूप सरकार भी उन्हें आवश्यक सुविधाएँ और मदद उपलब्ध करवा रही है, जिसके चलते उनकी प्रतिभा परवान चढ़ रही है और राज्य सरकार के शिक्षा व्यवस्था सुधार के प्रयासों को पंख मिल रहे हैं।


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