देश में कोरोना वायरससंक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान आयोजित ऑनलाइन कक्षाओं के लिए केवल 57 फीसदी स्टूडेंट के पास ही घर पर कंप्यूटर, राउटर और प्रिंटर जैसे जरूरी संसाधन हैं. यह बात एक सर्वेक्षण में सामने आई है.
सर्वेक्षण में 25 हजार से ज्यादा उत्तरदाताओं को शामिल किया गया. इसमें छात्रों द्वारा संसाधनों को माता-पिता के साथ साझा करने में सामने आ रही समस्याओं का भी पता चला. ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों के माता पिता भी लॉकडाउन के चलते अपने घरों से काम कर रहे हैं.
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म 'लोकल सर्कल्स' द्वारा किए गए सर्वेक्षण में कहा गया है, "लगभग 57 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके पास बच्चों के लिए घर से ऑनलाइन कक्षाओं से पढ़ाई करने के लिए जरूरी कंप्यूटर, टैबलेट, प्रिंटर और राउटर जैसे संसाधन हैं जबकि 43 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके पास आवश्यक संसाधन नहीं हैं."
उसने कहा, "इसका मतलब यह है कि हर पांच में से दो अभिभावकों के पास अपने बच्चों द्वारा ऑनलाइन कक्षाएं लेने के लिए आवश्यक उपकरण नहीं हैं जो अप्रैल में किसी समय शुरू हो जाएंगी. कुछ स्कूलों द्वारा ऑनलाइन कक्षाएं पिछले सप्ताह ही शुरू की जा चुकी हैं और ऐसे स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावकों ने यह बताया कि वे अपने बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए अपने कंप्यूटर का इस्तेमाल करने देकर किस तरह से घर से काम करने (वर्क फ्रॉम होम) से समझौता कर रहे हैं."
कुछ माता-पिता ने यह भी जिक्र किया कि उन्हें अपने बच्चों के साथ संसाधनों को साझा करने में किस तरह की परेशानी हो रही है.
देश में कोरोनावायरस के प्रकोप के मद्देनजर सरकार द्वारा शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने की घोषणा के बाद से कई स्कूल और कॉलेजों ने छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन किया है. 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित देशव्यापी लॉकडाउन से एक सप्ताह पहले ही स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए थे और परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं थीं.
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ''निशंक'' ने रविवार को कहा कि सरकार 14 अप्रैल को स्थिति की समीक्षा करने के बाद स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोलने के बारे में फैसला लेगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या रविवार को 3,374 हो गई, जबकि मरने वालों की संख्या बढ़कर 79 हो गई है.
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