प्रतीकात्मक तस्वीर
उच्चतम न्यायालय द्वारा एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एनईईटी रद्द करने के अपने आदेश को वापस लेने के एक दिन बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस साल परीक्षाएं कराना ‘‘व्यावहारिक तौर पर’’ संभव नहीं है ।
उच्चतम न्यायालय ने सभी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एक ही साझा प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) रद्द करने के अपने विवादित आदेश को सोमवार को यह कहते हुए वापस ले लिया था कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की सेवानिवृति के दिन उनकी अध्यक्षता वाली पीठ के सदस्यों के बीच बगैर किसी चर्चा के बहुमत से आदेश पारित कर दिया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, ‘‘इस साल परीक्षा कराना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है क्योंकि परीक्षाएं पहले ही दिसंबर से तय कर दी गई हैं । एक या दो परीक्षाएं पहले ही हो चुकी हैं ।’’
सूत्रों ने बताया, ‘‘दूसरे स्थानों पर आखिरी तारीख बीत चुकी है । हमारी अपनी अखिल भारतीय पीएमटी, जो हर साल मई में होती है, शायद मई के पहले हफ्ते में है । लिहाजा, यह इस साल कराना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है ।’’
सूत्रों ने बताया कि जहां तक यह परीक्षा अगले साल कराने का सवाल है, तो यह उच्चतम न्यायालय के आदेश पर निर्भर करेगा, क्योंकि उसने अब तक अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है।
उच्चतम न्यायालय ने सभी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एक ही साझा प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) रद्द करने के अपने विवादित आदेश को सोमवार को यह कहते हुए वापस ले लिया था कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की सेवानिवृति के दिन उनकी अध्यक्षता वाली पीठ के सदस्यों के बीच बगैर किसी चर्चा के बहुमत से आदेश पारित कर दिया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, ‘‘इस साल परीक्षा कराना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है क्योंकि परीक्षाएं पहले ही दिसंबर से तय कर दी गई हैं । एक या दो परीक्षाएं पहले ही हो चुकी हैं ।’’
सूत्रों ने बताया, ‘‘दूसरे स्थानों पर आखिरी तारीख बीत चुकी है । हमारी अपनी अखिल भारतीय पीएमटी, जो हर साल मई में होती है, शायद मई के पहले हफ्ते में है । लिहाजा, यह इस साल कराना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है ।’’
सूत्रों ने बताया कि जहां तक यह परीक्षा अगले साल कराने का सवाल है, तो यह उच्चतम न्यायालय के आदेश पर निर्भर करेगा, क्योंकि उसने अब तक अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है।
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