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This Article is From Nov 04, 2018

National Ayurveda Day: जानिए धनतेरस पर ही क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस?

राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) हर साल धन्वंतरी जयंती या धनतेरस (Dhanteras) के दिन मनाया जाता है. राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) की शुरुआत साल 2016 में हुई थी.

National Ayurveda Day: जानिए धनतेरस पर ही क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस?
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की शुरुआत साल 2016 में हुई थी.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) हर साल धन्वंतरी जयंती या धनतेरस (Dhanteras) के दिन मनाया जाता है. राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) की शुरुआत साल 2016 में हुई थी. पहला आयुर्वेद दिवस (Ayurveda Day) 28 अक्टूबर 2018 को धनतेरस के दिन मनाया गया था. इस साल देश तीसरा आयुर्वेद दिवस मना रहा है. इस उपलक्ष्‍य में आयुष मंत्रालय ने नीति आयोग के साथ मिलकर नई दिल्‍ली में आयुर्वेद में उद्यमिता और व्‍यापार विकास पर एक संगोष्‍ठी का आयोजन किया है. इसका उद्देश्‍य आयुर्वेद क्षेत्र से जुड़े हितधारकों और उद्यमियों को कारोबार के नए अवसरों के प्रति जागरूक करना है. बता दें कि आयुर्वेद सालों से हमारे अच्छे स्वास्थ्य में अपनी भूमिका निभाता आ रहा है. ऐसे में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है.

धनतेरस पर ही क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) ?
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) हर साल धनतेरस के दिन मनाया जाता है. भगवान धन्वंतरी (Dhanvantari) को आयुर्वेद और आरोग्य का देवता माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. समुद्र मंथन से निकले भगवान धन्वंतरी के हाथों में कलश था. इसी वजह से दिवाली के दो दिन पहले भगवान धन्वंतरी के जन्मदिन को धनतेरस (Dhanteras) के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में आयुर्वेद के देवता कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरी के जन्मदिन यानी धनतेरस के दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है.

कौन है भगवान धन्वंतरी?
भगवान धन्वंतरी (Dhanvantari) को भगवान विष्णु का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं. उपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं. जबकि दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं. इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है. इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है. इन्‍हे आयुर्वेद की चिकित्सा करनें वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं. इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी.

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