विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Oct 19, 2023

NASA का 'साइकी मिशन' है बेहद दिलचस्प, मिशन के साथ जानिए साइकी नाम के रहस्य से जुड़ी अन्य बातें 

NASA Psyche Mission: यूनान में साइकी को एक देवी माना जाता है जिन्होंने शरीर धारण कर जन्म लिया और प्रेम के देवता इरोज से विवाह किया था. अब भला किसे पता कि इतालवी खगोलशास्त्री एनीबेल दे गैस्पारिस ने 1852 में एक रात देखी गई एक खगोलीय वस्तु को ‘साइकी’नाम क्यों दिया?

Read Time: 6 mins
NASA का 'साइकी मिशन' है बेहद दिलचस्प, मिशन के साथ जानिए साइकी नाम के रहस्य से जुड़ी अन्य बातें 
NASA का 'साइकी मिशन' है बेहद दिलचस्प
नई दिल्ली:

NASA Psyche Mission: यूनान में साइकी को एक देवी माना जाता है जिन्होंने शरीर धारण कर जन्म लिया और प्रेम के देवता इरोज से विवाह किया था. अब भला किसे पता कि इतालवी खगोलशास्त्री एनीबेल दे गैस्पारिस ने 1852 में एक रात देखी गई एक खगोलीय वस्तु को भला‘साइकी'नाम क्यों दिया?  साइकी अब तक खोजा गया 16वां 'क्षुद्रग्रह' है. क्षुद्रग्रह सौर मंडल का हिस्सा हैं. ये न तो परिचित ग्रह हैं और न ही कभी-कभार आने वाले धूमकेतु हैं. कई अध्ययनों और अन्वेषणों के बाद आज हम जानते हैं कि मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच क्षुद्रग्रह की पट्टी में लाखों अंतरिक्ष चट्टानें हैं, जिनका आकार बौने ग्रह सेरेस से लेकर छोटे कंकड़ और धूल के कणों जैसा है. इन सबके बीच साइकी आज भी खास है. लगभग 226 किलोमीटर के औसत व्यास के साथ, यह सबसे बड़ा ‘‘एम-प्रकार'' का क्षुद्रग्रह है, जो पृथ्वी के कोर की तरह लौह और निकल से बना है.

कक्षा 10वीं, 12वीं स्टूडेंट्स के लिए बड़ी अपडेट, अब नहीं देने पड़ेंगे दो बार बोर्ड परीक्षा, जानें पूरी बात

पिछले सप्ताह नासा ने साइकी के अध्ययन के लिए एक अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित किया था. यह मिशन उन सुरागों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए छह साल में 3.6 अरब किलोमीटर की यात्रा करेगा, जिन्हें लेकर मेरे जैसे पृथ्वी वैज्ञानिकों को हमारी अपनी दुनिया के दुर्गम आंतरिक भाग को लेकर जिज्ञासा है. 

प्राकृतिक प्रयोगशालाएं

साइकी जैसे एम-प्रकार के क्षुद्रग्रहों को सौर मंडल के प्रारंभिक वर्षों में नष्ट हुए ग्रहों के अवशेष माना जाता है. इन क्षुद्रग्रहों में, भारी तत्व (जैसे धातु) केंद्र की ओर आ गए और हल्के तत्व बाहरी परतों की ओर गए. फिर, अन्य वस्तुओं के साथ घर्षण के कारण, बाहरी परतें फट गईं और धातु-समृद्ध कोर को पीछे छोड़ते हुए अधिकतर सामग्री अंतरिक्ष में निकल गई. ग्रहों के कोर का अध्ययन करने के लिए ये धात्विक संसार एकदम सही 'प्राकृतिक प्रयोगशालाएं' हैं.

पृथ्वी के केंद्र का अध्ययन करने की हमारी वर्तमान विधियां बिल्कुल अप्रत्यक्ष हैं. हमें कभी-कभी सौर मंडल के प्रारंभिक इतिहास और हमारे अपने ग्रह की भी छोटी-छोटी झलकियां मिलती हैं. यह सिलसिला धात्विक उल्कापिंडों से लेकर पृथ्वी पर गिरने वाले क्षुद्रग्रहों तक है. बहरहाल, यह दृष्टिकोण बहुत सीमित है. कोर का अध्ययन करने का दूसरा तरीका भूकंप विज्ञान का उपयोग करना है. भूकंप के कारण होने वाले कंपन का ग्रह के आंतरिक भाग से गुजरने का अध्ययन वैसा ही है जैसा कि डॉक्टर हमारे शरीर के अंदर देखने के लिए अल्ट्रासाउंड का उपयोग कर सकते हैं.

वैसे पृथ्वी पर हमारे पास महासागरों और दक्षिणी गोलार्ध में सिस्मोग्राफ कम ही हैं जो कोर के बारे में हमारे ही अध्ययन के दायरे को सीमित कर देते हैं. इसके अलावा, ग्रह की बाहरी परतों के नीचे दबा हुआ कोर का हिस्सा हमारे दृष्टिकोण को और भी अस्पष्ट कर देता है. यह किसी दूर की वस्तु को ऐसे लेंस से देखने जैसा है जिसमें कोई खामी हो.

मेडिकल की तैयारी कर रहे स्टूडेंट के लिए बड़ी खबर, NEET 2024 पाठ्यक्रम संशोधित, जानिए नीट की लेटेस्ट अपडेट

भूकंप विज्ञान के साथ-साथ, हम पृथ्वी के आंतरिक भाग के उच्च दबाव और तापमान को समझने के लिए, प्रयोगशाला के प्रयोगों की मदद लेते हैं और कोर के बारे में सीखते हैं. हम भूकंप विज्ञान और प्रयोगशाला के प्रयोगों के अलावा कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग करके उन्हें समझाने का प्रयास करते हैं.‘नेचर कम्युनिकेशंस' के एक हालिया पेपर में, ‘हमारी पृथ्वी के केंद्र के अध्ययन में वर्तमान चुनौतियों'' और आगे के तरीकों पर चर्चा की.

साइकी मिशन क्या खोजेगा

हम नासा के साइकी मिशन को ग्रह की चट्टानी परत, धीरे-धीरे चलने वाले मेंटल और तरल कोर के माध्यम से यात्रा किए बिना पृथ्वी के केंद्र की ओर जाने वाले मिशन के रूप में सोच सकते हैं. मिशन का लक्ष्य यह पता लगाना है कि क्या साइकी वास्तव में एक नष्ट हुए ग्रह का हिस्सा है, जो शुरू में गर्म और पिघला हुआ था लेकिन धीरे-धीरे ठंडा हो गया और हमारे ग्रह की तरह ठोस हो गया। दूसरी ओर यह भी संभव है कि साइकी ऐसी सामग्री से बना हो जो कभी पिघली ही न हो.

नासा यह भी पता लगाना चाहता है कि साइकी की सतह कितनी पुरानी है, जिससे पता चलेगा कि कितने समय पहले इसने अपनी बाहरी परतें खो दी थीं. मिशन क्षुद्रग्रह की रासायनिक संरचना की भी जांच करेगा और पता लगाएगा कि क्या इसमें लोहे और निकल के साथ ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, कार्बन, सिलिकॉन और सल्फर जैसे हल्के तत्व शामिल हैं ? इनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति हमें हमारे अपने ग्रह के विकास के बारे में सुराग दे सकती है. साइकी के आकार, द्रव्यमान और गुरुत्वाकर्षण वितरण के बारे में भी जानकारी जुटाई जाएगी. साथ ही, भविष्य में खनिज अन्वेषण की संभावनाओं का भी अध्ययन किया जाना चाहिए.

CBSE Board Exam 2024: सीबीएसई बोर्ड की शीतकालीन स्कूलों की प्रैक्टिकल परीक्षा की डेट जारी, जानिए कब से होगी 10वीं, 12वीं की बोर्ड परीक्षा

यह सब अंतरिक्ष यान में मौजूद ब्रॉड-स्पेक्ट्रम कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, मैग्नेटोमीटर, ग्रेवीमीटर और अन्य उपकरणों से संभव होगा। मेरे जैसे वैज्ञानिक अंतरिक्ष में मिशन की लंबी यात्रा के परिणामों की बेसब्री प्रतीक्षा करेंगे ताकि क्षुद्रग्रह को लेकर हमारी जिज्ञासा दूर हो सके.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
NEET UG 2024: नीट यूजी काउंसलिंग में हो सकती है देरी, शेड्यूल अब तक नहीं हुआ जारी 
NASA का 'साइकी मिशन' है बेहद दिलचस्प, मिशन के साथ जानिए साइकी नाम के रहस्य से जुड़ी अन्य बातें 
CBSE बोर्ड का नया परीक्षा पैटर्न, 11वीं और 12वीं के छात्रों की रटने की आदत को लगाएगा लगाम, फिर कैसी होगा 2025 की बोर्ड परीक्षा पास
Next Article
CBSE बोर्ड का नया परीक्षा पैटर्न, 11वीं और 12वीं के छात्रों की रटने की आदत को लगाएगा लगाम, फिर कैसी होगा 2025 की बोर्ड परीक्षा पास
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;