Labour Day 2019: जानिए 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस, क्या है इसका इतिहास?

Labour day या May Day हर साल 1 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है. इस दिन अधिकतक कंपनियों में अवकाश होता है. सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है.

Labour Day 2019: जानिए 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस, क्या है इसका इतिहास?

Labour Day In India: भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 को हुई थी.

खास बातें

  • मजदूर दिवस 1 मई को मनाया जाता है.
  • मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 में हुई.
  • 1889 में मजदूर दिवस मनाने का ऐलान किया गया था.
नई दिल्ली:

मजदूर दिवस (Labour Day) उन लोगों का दिन है जिन्होंने अपने खून पसीने से देश और दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. किसी भी देश, समाज, संस्था और उद्योग में मजदूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है. मजदूरों और कामगारों की मेहनत और लगन की बदौलत ही आज दुनिया भर के देश हर क्षेत्र में विकास कर रहे हैं. मजदूर दिवस (Labour Day 2019) हर साल बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. मजदूर दिवस का एक महत्वपूर्ण स्थान है. मजदूर दिवस को लेबर डे, मई दिवस (May Day 2019), श्रमिक दिवस  भी कहा जाता है. मजदूर दिवस या मई दिवस हर साल दुनिया भर में 1 मई (1 May) को मनाया जाता है. इस दिन देश की लगभग सभी कंपनियों में छुट्टी रहती है. सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है. भारत में मजदूर दिवस (Labour Day In India) कामकाजी लोगों के सम्‍मान में मनाया जाता है. भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को हुई थी. उस समय इसको मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था. इस की शुरु

आत भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी. भारत में मद्रास हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया गया और एक संकल्प पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी मजदूर दिवस के तौर पर मनाया जाए और इस दिन छुट्टी (Labour Day Holiday) का ऐलान किया जाए. उस समय भारत में मजदूरों की जंग लड़ने के लिए कई नेता सामने आए जिनमें बड़ा नाम दत्तात्रेय नारायण सामंत उर्फ डॉक्टर साहेब और जॉर्ज फर्नांडिस का था. 


मजदूर दिवस का इतिहास (History Of Labour Day)
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Labour Day) की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई, जब अमेरिका में कई मजदूर यूनियन ने काम का समय 8 घंटे से ज्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी. इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम धमाका हुआ था. यह बम किस ने फेंका किसी का कोई पता नहीं. लेकिन प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चला दी और कई मजदूर मारे गए. शिकागो शहर में शहीद मजदूरों की याद में पहली बार मजदूर दिवस मनाया गया. इसके बाद पेरिस में 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा. तब से ही भारत समेत दुनिया के करीब 80 देशों में मजदूर दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा.

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मशहूर शायर फैज अहमद फैज ने 'मजदूर' फिल्म के लिए एक गीत लिखा था, फैज का ये गीत बेहद पसंद किया जाता है.-

हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्‍सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे.

यां पर्वत-पर्वत हीरे हैं, यां सागर-सागर मोती हैं
ये सारा माल हमारा है, हम सारा खजाना मांगेंगे.

वो सेठ व्‍यापारी रजवाड़े, दस लाख तो हम हैं दस करोड
ये कब तक अमरीका से, जीने का सहारा मांगेंगे.

जो खून बहे जो बाग उजड़े जो गीत दिलों में कत्ल हुए,
हर कतरे का हर गुंचे का, हर गीत का बदला मांगेंगे.

जब सब सीधा हो जाएगा, जब सब झगडे मिट जाएंगे,
हम मेहनत से उपजाएंगे, बस बांट बराबर खाएंगे.

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हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्‍सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे. 

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