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This Article is From Feb 02, 2018

Khushwant Singh Birthday: ये हैं वे 7 रोचक बातें जिनके बारे में कम लोगों को ही पता है

Khushwant Singh 1980 से 1986 तक राज्य सभा के सदस्य रहे. इस दौरान उन्होंने अपनी बात को हमेशा संसद में रखा.

Khushwant Singh Birthday: ये हैं वे 7 रोचक बातें जिनके बारे में कम लोगों को ही पता है
खुशवंत सिंह की फाइल फोटो
नई दिल्ली: खुशवंत सिंह एक जाने-मानें उपान्यासकार, पत्रकार, वकील और राजनेता थे. उनका जन्म 2 फरवरी 1915 को पंजाब के हदाली में हुआ था. जो अब पाकिस्तान में है. खुशवंत सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से पढ़ाई की. बाद में उन्होंने 1951 में ऑल इंडिया रेडियो में नौकरी करना शुरू किया. बतौर लेखक वह हमेशा अपने कटाक्ष, कविताओं के प्रति अपने प्रेम और ह्यूमर के लिए जाने गए. आज हम उनके जन्मदिन के मौके पर उनसे जुड़ी ऐसी ही 7 बातें आपसे साझा करने जा रहे हैं जिनके बारे में कम लोगों को ही पता है. 

पद्मभूषण पुरस्कार लौटाया
खुशवंत सिंह को वर्ष 1974 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था. लेकिन उन्होंने इंदिरा गांधी द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाए जाने के खिलाफ आवाज उठाते हुए इस सम्मान को वर्ष 1984 में वापस कर दिया. उनके इस कदम की उस समय काफी सराहना की गई. 

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राजनीति से था पुराना नाता
खुशवंत सिंह का बचपन से ही राजनीति से नाता था. उनके चाचा सरदार उज्जवल सिंह पंजाब और तमिलनाडू के राज्यपाल रहे थे. बाद में भी उन्होंने राजनीति ज्वाइन की. 

वकील के तौर पर शुरू किया करियर
सिंह ने अपने करियर की शुरुआत बतौर वकील की थी. शुरुआत में उन्होंने आठ साल तक लाहौर कोर्ट में प्रैक्टिस की थी. इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों के लिए वकालत छोड़ दी. 

चार साल में ही छोड़ी फॉरन सर्विस की नौकरी
वकालत करते हुए ही खुशवंत सिंह ने फॉरन सर्विस की तैयारी शुरू कर दी थी. वह 1947 में इसके लिए चुने गए. उन्होंने स्वतंत्र भारत में सरकार के इंफॉरमेशन ऑफिसर के तौर पर टोरंटो और कनाड़ा में सेवाएं दी. 

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छह साल रहे सांसद
खुशवंत सिंह 1980 से 1986 तक राज्य सभा के सदस्य रहे. इस दौरान उन्होंने अपनी बात को हमेशा संसद में रखा. उन्हें 2007 में पद्म विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. 

ईश्वर को नहीं मानते थे खुशवंत सिंह
खुशवंत सिंह मानते थे कि भगवान नाम की कोई चीज नहीं होती है. वह मानते थे कि जो जितनी और जिस तरह से मेहनत करता है उसे उसी हिसाब से परिणाम मिलता है. उनका मानना था कि पुनर्जन्म जैसी भी कोई चीज नहीं होती है. 

VIDEO: जब खुशवंत सिंह का हुआ निधन


मौत के बाद खुदको दफन करना चाहते थे सिंह
वह चाहते थे कि उनकी मौत के उनके शरीर को दफनाया जाए. उनका मानना था कि ऐसा करने से उनकी शरीर वापस मिट्टी में मिल जाएगा. लेकिन बाहा ए फेत  द्वारा कुछ नियम सामने रखने पर वह अपने इरादे से पलट गए. आखिर में 20 मार्च 2014 को उनकी मौत के बाद उन्हें लोधी क्रिमेटोरियम में उनके शव का अंतिम संस्कार किया गया. 

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